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अलीगढ़: AMU में छात्राओं ने 18 साल तक लड़कियों को मुफ्त शिक्षा देने की उठाई मांग - AMU में छात्राओं ने लड़कियों को मुफ्त शिक्षा देने की उठाई मांग

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में छात्राओं ने लड़कियों को मुफ्त शिक्षा देने की मांग को लेकर शांति मार्च निकाला. इसके साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय को संबोधित एक पत्र डिप्टी प्रॉक्टर को सौंपा.

लड़कियों को मुफ्त शिक्षा देने की मांग को लेकर amu में शांति मार्च.
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Published : Oct 11, 2019, 11:52 PM IST

अलीगढ़: 18 साल तक लड़कियों के लिए मुफ्त शिक्षा की मांग करते हुए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में छात्राओं ने शुक्रवार को शांति मार्च निकाला. यह पीस मार्च लाइब्रेरी कैंटीन से लेकर बाबे सैयद गेट तक गया. मार्च में शामिल लड़कियों ने हाथों में पोस्टर-बैनर लेकर के लड़कियों को शिक्षित करने का संदेश दिया. साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय को संबोधित एक पत्र डिप्टी प्रॉक्टर को सौंपा.

लड़कियों को मुफ्त शिक्षा देने की मांग को लेकर amu में शांति मार्च.

विश्वविद्यालयों में दान की जाए आधारभूत संरचना
मांग पत्र में कहा गया है कि 18 वर्ष तक की लड़कियों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के लिए सरकार कानून बनाए. लड़कियों की पढ़ाई के लिए स्कूल, कालेज, विश्वविद्यालयों में आधारभूत संरचना प्रदान की जाए. पीस मार्च में शामिल छात्राओं ने कहा कि लड़कियों को पीएचडी स्तर तक की शिक्षा पूरी करने के लिए सरकार वित्तीय सहायता दें.

इसे भी पढ़ें- AMU में छात्रों ने नुक्कड़ नाटक के जरिए दिया आत्महत्या से बचाव का संदेश

छात्राओं का कहना है कि लड़कियों के विकास के लिए सभी सरकारी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए. यूनाइटेड नेंशन ने आज का दिन गर्ल्स चाइल्ड डे के रूप में घोषित कर रखा है. वहीं लड़कियों को समान दर्जा हासिल करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. हालांकि भारत में महिलाओं को सम्मान दिया जाता है, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि यहां शैक्षिक व सामाजिक रूप से आधी आबादी पिछड़ी है. छात्राओं ने शैक्षिक संस्थानों में अलग से शौचालय का निर्माण किए जाने की मांग की है.

सरकार 14 साल तक की छात्राओं को फ्री एजुकेशन दे रही है. लेकिन सर्वेक्षण में देखा गया है कि लड़कियों का ड्रॉपआउट प्रतिशत ज्यादा है. इसलिए गर्ल्स एजुकेशन को 18 साल की उम्र तक मुफ्त किया जाए. हमारे समाज में लड़कों को पहले प्राथमिकता मिलती है. लड़कियों को शादी करके भेजना होता है. इसलिए शैक्षिक स्तर में गिरावट आई है.
- सुमैया, छात्रा

हमें पढ़ाई के लिए मौका तो दिया जा रहा है, लेकिन बढ़ावा नहीं दिया जा रहा है. एक सर्वे के अनुसार 8.1 मिलियन गर्ल्स पढ़ाई नहीं कर पा रही है. उन्होंने बताया कि सिर्फ अच्छी फैमिली की लड़कियां पीएचडी और मास्टर्स तक पहुंच पाती है. इसके बावजूद आज भी हमारे समाज में चाइल्ड लेबर विद्यमान है. जो कि स्कूलों तक नहीं पहुंच पाते.
- माहन, छात्रा

छात्राओं ने एक पत्र दिया है. जिसमें मांग की है कि 18 साल तक छात्राओं को फ्री शिक्षा दी जाएं. यह ज्ञापन मंत्रालय भेजा जाएगा.
- इफ्फत असगर, डिप्टी प्रॉक्टर

अलीगढ़: 18 साल तक लड़कियों के लिए मुफ्त शिक्षा की मांग करते हुए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में छात्राओं ने शुक्रवार को शांति मार्च निकाला. यह पीस मार्च लाइब्रेरी कैंटीन से लेकर बाबे सैयद गेट तक गया. मार्च में शामिल लड़कियों ने हाथों में पोस्टर-बैनर लेकर के लड़कियों को शिक्षित करने का संदेश दिया. साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय को संबोधित एक पत्र डिप्टी प्रॉक्टर को सौंपा.

लड़कियों को मुफ्त शिक्षा देने की मांग को लेकर amu में शांति मार्च.

विश्वविद्यालयों में दान की जाए आधारभूत संरचना
मांग पत्र में कहा गया है कि 18 वर्ष तक की लड़कियों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के लिए सरकार कानून बनाए. लड़कियों की पढ़ाई के लिए स्कूल, कालेज, विश्वविद्यालयों में आधारभूत संरचना प्रदान की जाए. पीस मार्च में शामिल छात्राओं ने कहा कि लड़कियों को पीएचडी स्तर तक की शिक्षा पूरी करने के लिए सरकार वित्तीय सहायता दें.

इसे भी पढ़ें- AMU में छात्रों ने नुक्कड़ नाटक के जरिए दिया आत्महत्या से बचाव का संदेश

छात्राओं का कहना है कि लड़कियों के विकास के लिए सभी सरकारी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए. यूनाइटेड नेंशन ने आज का दिन गर्ल्स चाइल्ड डे के रूप में घोषित कर रखा है. वहीं लड़कियों को समान दर्जा हासिल करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. हालांकि भारत में महिलाओं को सम्मान दिया जाता है, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि यहां शैक्षिक व सामाजिक रूप से आधी आबादी पिछड़ी है. छात्राओं ने शैक्षिक संस्थानों में अलग से शौचालय का निर्माण किए जाने की मांग की है.

सरकार 14 साल तक की छात्राओं को फ्री एजुकेशन दे रही है. लेकिन सर्वेक्षण में देखा गया है कि लड़कियों का ड्रॉपआउट प्रतिशत ज्यादा है. इसलिए गर्ल्स एजुकेशन को 18 साल की उम्र तक मुफ्त किया जाए. हमारे समाज में लड़कों को पहले प्राथमिकता मिलती है. लड़कियों को शादी करके भेजना होता है. इसलिए शैक्षिक स्तर में गिरावट आई है.
- सुमैया, छात्रा

हमें पढ़ाई के लिए मौका तो दिया जा रहा है, लेकिन बढ़ावा नहीं दिया जा रहा है. एक सर्वे के अनुसार 8.1 मिलियन गर्ल्स पढ़ाई नहीं कर पा रही है. उन्होंने बताया कि सिर्फ अच्छी फैमिली की लड़कियां पीएचडी और मास्टर्स तक पहुंच पाती है. इसके बावजूद आज भी हमारे समाज में चाइल्ड लेबर विद्यमान है. जो कि स्कूलों तक नहीं पहुंच पाते.
- माहन, छात्रा

छात्राओं ने एक पत्र दिया है. जिसमें मांग की है कि 18 साल तक छात्राओं को फ्री शिक्षा दी जाएं. यह ज्ञापन मंत्रालय भेजा जाएगा.
- इफ्फत असगर, डिप्टी प्रॉक्टर

Intro:अलीगढ़  : 18 साल तक लड़कियों के लिए मुफ्त शिक्षा की मांग करते हुए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में छात्राओं ने शांति मार्च निकाला.  यह पीस मार्च लाइब्रेरी कैंटीन से लेकर बाबे सैयद गेट तक गया. इस दौरान मार्च कर रहे लोगों ने हाथों में पोस्टर बैनर लेकर के लड़कियों को शिक्षित करने का संदेश दिया. वही मानव संसाधन विकास मंत्रालय को संबोधित एक पत्र डिप्टी प्रॉक्टर को सौंपा. मांग पत्र में कहा गया है कि 18 वर्ष तक की लड़कियों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के लिए सरकार कानून बनाये. लड़कियों की पढ़ाई के लिए स्कूल , कालेज, विश्वविद्यालयों में आधारभूत संरचना प्रदान की जाए. पीस मार्च में शामिल छात्राओं ने कहा कि लड़कियों को पीएचडी स्तर तक की शिक्षा पूरी करने के लिए सरकार वित्तीय सहायता दें.
 





Body:वही लड़कियों के विकास के लिए सभी सरकारी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए. यूनाइटेड नेंशन ने आज का दिन गर्ल्स चाइल्ड डे के रूप में घोषित कर रखा है. वहीं लड़कियों को समान दर्जा हासिल करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. हालांकि भारत में महिलाओं को सम्मान दिया जाता है. लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि यहां शैक्षिक व सामाजिक रूप से आधी आबादी पिछड़ी है. छात्राओं ने शैक्षिक संस्थानों में अलग से शौचालय का निर्माण किए जाने की मांग की है. 


Conclusion: डिप्टी प्रॉक्टर इफ्फत असगर ने बताया कि छात्राओं ने एक पत्र दिया है. जिसमें मांग की है कि 18 साल तक छात्राओं को फ्री शिक्षा दी जाएं. यह ज्ञापन मंत्रालय भेजा जाएगा. छात्रा सुमैया ने बताया कि सरकार 14 साल तक की छात्राओं को फ्री एजुकेशन दे रही है. लेकिन सर्वेक्षण में देखा गया है कि लड़कियों का ड्रॉपआउट प्रतिशत ज्यादा है. इसलिए गर्ल्स एजुकेशन को 18 साल की उम्र तक मुफ्त किया जाए. सुमैया  ने बताया कि हमारे समाज में लड़कों को पहले प्राथमिकता मिलती है. लड़कियों को शादी करके भेजना होता है. इसलिए शैक्षिक स्तर में गिरावट आई है. छात्रा माहन ने बताया कि पीसफुल मार्च निकाला गया है. उन्होंने बताया कि हमें पढ़ाई के लिए मौका तो दिया जा रहा है. लेकिन बढ़ावा नहीं दिया जा रहा है. एक सर्वे के अनुसार 8.1 मिलियन गर्ल्स पढ़ाई नहीं कर पा रही है. उन्होंने बताया कि सिर्फ अच्छी फैमिली की लड़कियां पीएचडी और मास्टर्स तक पहुंच पाती है. लेकिन आज भी हमारे समाज में चाइल्ड लेबर विद्यमान है. जो कि स्कूलों तक नहीं पहुंच पाते. 

बाइट - इफ्फत असगर , डिप्टी प्राक्टर
बाइट - सुमैया , छात्रा, एएमयू
बाइट - माहम , छात्रा , एएमयू

आलोक सिंह, अलीगढ़
9837830535


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