ETV Bharat / state

विज्ञान वेबिनार: AMU में गुरुत्वाकर्षण तरंगों के पृथ्वी पर पड़ने वाले असर पर हुई चर्चा - वेबिनार का उद्घाटन

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में तीन शताब्दी विज्ञान वेबिनार का उद्घाटन हुआ है. इस दौरान गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पृथ्वी पर पड़ने वाले असर पर चर्चा की गई.

Aligarh Muslim University
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय.
author img

By

Published : Feb 28, 2021, 9:38 PM IST

अलीगढ़ : एएमयू के विज्ञान संकाय के तत्वावधान में समकालीन वैज्ञानिक विषयों पर तीन दिवसीय शताब्दी विज्ञान वेबिनार आयोजित किया गया है. इसके उद्घाटन सत्र को नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो. तकाकी कजीता ने सम्बोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाने वाली जापान की संस्था केमियोका ग्रेवीटेशनल वेब डिटेक्टर ने एक वैश्विक गुरुत्वाकर्षण-तरंग वेधशाला नेटवर्क के साथ सहयोग प्रारंभ कर दिया है. इससे पृथ्वी को हिला देने वाली लहरों को उत्पन्न करने वाली दूर-दराजीय घटनाओं को इंगित करने में मदद मिलेगी.

Aligarh Muslim University
वेबिनार में शामिल वैज्ञानिक.
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित है प्रो. तकाकी कजीता
न्यूट्रिनो प्रयोगों के लिए विख्यात जापानी भौतिक विज्ञानी प्रो. तकाकी कजीता ने अपनी खोज के लिए 2015 में कनाडा के भौतिक विज्ञानी आर्थर बी मैकडॉनल्ड के साथ संयुक्त रूप से भौतिकी में नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया था. उन्होंने कहा कि केमियोका ग्रेवीटेशनल वेब डिटेक्टर एक अद्वितीय गुरुत्वाकर्षण तरंग डिटेक्टर है और पहले इसे बड़े पैमाने पर लेजर इंटरफेरोमीटर को क्रायोजेनिक दर्पणों के साथ भूमिगत स्थापित किया गया है.
गुरुत्वाकर्षण तरंगों के अध्ययन पर काम
प्रोफेसर कजीता ने वैश्विक गुरुत्वाकर्षण-तरंग नेटवर्क में कई डिटेक्टर स्थापित किए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि कई डिटेक्टर की सहायता से गुरुत्वाकर्षण-लहर संकेतों के अधिक सटीक स्थानीयकरण और प्रलयकारी घटनाओं की अंतर्निहित प्रकृति की बेहतर समझ में मदद मिलेगी.
ब्लैक होल पर की चर्चा
वैश्विक जीडब्ल्यू नेटवर्क और आकाश स्थानीयकरण के महत्व पर बोलते हुए प्रो कजीता ने कहा कि संयुक्त अध्ययन से विद्युत चुम्बकीय और गुरुत्वाकर्षण-तरंग उत्सर्जन वाले इंजनों को विस्तार से समझा जा सकेगा. उन्होंने बाइनरी न्यूट्रॉन सितारों के विलय, ब्रह्मांड में भारी धातुओं की उत्पत्ति, न्यूट्रॉन सितारों का आकार, ब्लैक होल का निर्माण और भारी सितारों के जीवन की समाप्ति आदि पर भी विस्तार से प्रकाश डाला.

'विज्ञान में बढ़ा है अनुसंधान'
प्रोफेसर कजीता ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप में इस विषय पर कार्य करने वाली अगली पीढ़ी के जीडब्ल्यू इंटरफेरोमीटर बनाने की योजना बना रहे हैं, जिसमें बेहद उच्च संवेदनशीलता होगी. उन्होंने कहा कि वैश्विक नेटवर्क की सहायता से वैज्ञानिक उत्पादन क्षमता को बढ़ाया जा सकेगा. एएमयू कुलपति प्रो. तारिक मंसूर ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि रसायन विज्ञान, भौतिकी, जैव रसायन और अन्य क्षेत्रों जैसे बुनियादी विज्ञान में अनुसंधान और नवाचार का बड़ा महत्व है. उन्होंने कहा कि इकोकार्डियोग्राफी, पूर्ण रक्त गणना (सीबीसी), कोलोनोस्कोपी, प्रोथ्रोम्बिन टाइम (पीटी), अस्थि घनत्व अध्ययन, चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (एमआरआई) और कंप्यूटर एक्सियल टोमोग्राफी जैसे परीक्षण बुनियादी विज्ञान के शोध से ही अविष्कार में आए हैं.

एएमयू में तीन दिवसीय विज्ञान दिवस का हो रहा आयोजन
कुलपति प्रो. तारिक मंसूर ने बताया कि राष्ट्रीय विज्ञान दिवस को भव्य तरीके से ऑफलाइन मनाने की योजना थी, लेकिन महामारी के कारण इस तीन-दिवसीय कार्यक्रम को आभासी तरीके से ही आयोजित करने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने यह भी बताया कि एमएओ कॉलेज के प्रारंभिक काल से लेकर विश्वविद्यालय की वर्तमान समय तक की उपलब्धियों पर एक पुस्तक का प्रकाश किया जा रहा है. जिसका विमोचन जल्द ही किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस पुस्तक को प्रकाशित करने का उद्देश्य इतिहास को संरक्षित करना है. प्रो. मंसूर ने व्याख्यान प्रस्तुत करने के लिये प्रो. काजीता का भी आभार व्यक्त किया.

अलीगढ़ : एएमयू के विज्ञान संकाय के तत्वावधान में समकालीन वैज्ञानिक विषयों पर तीन दिवसीय शताब्दी विज्ञान वेबिनार आयोजित किया गया है. इसके उद्घाटन सत्र को नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो. तकाकी कजीता ने सम्बोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाने वाली जापान की संस्था केमियोका ग्रेवीटेशनल वेब डिटेक्टर ने एक वैश्विक गुरुत्वाकर्षण-तरंग वेधशाला नेटवर्क के साथ सहयोग प्रारंभ कर दिया है. इससे पृथ्वी को हिला देने वाली लहरों को उत्पन्न करने वाली दूर-दराजीय घटनाओं को इंगित करने में मदद मिलेगी.

Aligarh Muslim University
वेबिनार में शामिल वैज्ञानिक.
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित है प्रो. तकाकी कजीता
न्यूट्रिनो प्रयोगों के लिए विख्यात जापानी भौतिक विज्ञानी प्रो. तकाकी कजीता ने अपनी खोज के लिए 2015 में कनाडा के भौतिक विज्ञानी आर्थर बी मैकडॉनल्ड के साथ संयुक्त रूप से भौतिकी में नोबेल पुरस्कार प्राप्त किया था. उन्होंने कहा कि केमियोका ग्रेवीटेशनल वेब डिटेक्टर एक अद्वितीय गुरुत्वाकर्षण तरंग डिटेक्टर है और पहले इसे बड़े पैमाने पर लेजर इंटरफेरोमीटर को क्रायोजेनिक दर्पणों के साथ भूमिगत स्थापित किया गया है.
गुरुत्वाकर्षण तरंगों के अध्ययन पर काम
प्रोफेसर कजीता ने वैश्विक गुरुत्वाकर्षण-तरंग नेटवर्क में कई डिटेक्टर स्थापित किए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि कई डिटेक्टर की सहायता से गुरुत्वाकर्षण-लहर संकेतों के अधिक सटीक स्थानीयकरण और प्रलयकारी घटनाओं की अंतर्निहित प्रकृति की बेहतर समझ में मदद मिलेगी.
ब्लैक होल पर की चर्चा
वैश्विक जीडब्ल्यू नेटवर्क और आकाश स्थानीयकरण के महत्व पर बोलते हुए प्रो कजीता ने कहा कि संयुक्त अध्ययन से विद्युत चुम्बकीय और गुरुत्वाकर्षण-तरंग उत्सर्जन वाले इंजनों को विस्तार से समझा जा सकेगा. उन्होंने बाइनरी न्यूट्रॉन सितारों के विलय, ब्रह्मांड में भारी धातुओं की उत्पत्ति, न्यूट्रॉन सितारों का आकार, ब्लैक होल का निर्माण और भारी सितारों के जीवन की समाप्ति आदि पर भी विस्तार से प्रकाश डाला.

'विज्ञान में बढ़ा है अनुसंधान'
प्रोफेसर कजीता ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप में इस विषय पर कार्य करने वाली अगली पीढ़ी के जीडब्ल्यू इंटरफेरोमीटर बनाने की योजना बना रहे हैं, जिसमें बेहद उच्च संवेदनशीलता होगी. उन्होंने कहा कि वैश्विक नेटवर्क की सहायता से वैज्ञानिक उत्पादन क्षमता को बढ़ाया जा सकेगा. एएमयू कुलपति प्रो. तारिक मंसूर ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि रसायन विज्ञान, भौतिकी, जैव रसायन और अन्य क्षेत्रों जैसे बुनियादी विज्ञान में अनुसंधान और नवाचार का बड़ा महत्व है. उन्होंने कहा कि इकोकार्डियोग्राफी, पूर्ण रक्त गणना (सीबीसी), कोलोनोस्कोपी, प्रोथ्रोम्बिन टाइम (पीटी), अस्थि घनत्व अध्ययन, चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग (एमआरआई) और कंप्यूटर एक्सियल टोमोग्राफी जैसे परीक्षण बुनियादी विज्ञान के शोध से ही अविष्कार में आए हैं.

एएमयू में तीन दिवसीय विज्ञान दिवस का हो रहा आयोजन
कुलपति प्रो. तारिक मंसूर ने बताया कि राष्ट्रीय विज्ञान दिवस को भव्य तरीके से ऑफलाइन मनाने की योजना थी, लेकिन महामारी के कारण इस तीन-दिवसीय कार्यक्रम को आभासी तरीके से ही आयोजित करने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने यह भी बताया कि एमएओ कॉलेज के प्रारंभिक काल से लेकर विश्वविद्यालय की वर्तमान समय तक की उपलब्धियों पर एक पुस्तक का प्रकाश किया जा रहा है. जिसका विमोचन जल्द ही किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस पुस्तक को प्रकाशित करने का उद्देश्य इतिहास को संरक्षित करना है. प्रो. मंसूर ने व्याख्यान प्रस्तुत करने के लिये प्रो. काजीता का भी आभार व्यक्त किया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.