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अलीगढ़ के लड्डू गोपाल की मूर्तियों की विदेश में बढ़ी मांग, 1000 करोड़ का व्यापार

श्री कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर अलीगढ़ में अभी से लड्डू गोपाल की मूर्ति की मांग बढ़ने लगी है. ताला के कारोबार के लिए पहचाने जाने वाले अलीगढ़ के लड्डू गोपाल की मूर्ति की मांग विदेशों में भी खूब है.

Shri Krishna Janmashtami
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 23, 2023, 12:02 PM IST

Updated : Aug 23, 2023, 12:08 PM IST

कारोबार की जानकारी देते व्यापारी कपिल कुमार.

अलीगढ़ः ताला और तालीम से अलीगढ़ की पहचान है. लेकिन, इस कारोबार के साथ-साथ अलीगढ़ में कॉपर, पीतल और जस्ता मिक्स मूर्तियां भी बड़े पैमाने पर बनती हैं. इसकी मांग देश के साथ ही विदेशों तक है. इसी कड़ी में अलीगढ़ के मूर्ति कारोबारियों ने श्री कृष्ण जन्माष्टमी की तैयारी शुरू कर दी हैं. मूर्ति कारोबारियों ने विदेशी मांग को ध्यान में रखते हुए लड्डू गोपाल की मूर्ति बनाने की तैयारी में जुट चुके हैं. अलीगढ़ के बने लड्डू गोपाल की मूर्ति पूरे भारत वर्ष के साथ-साथ बाहर के मुल्कों में भी भेजे जाते हैं. इस बार अलीगढ़ के कारोबारियों ने करीब 10 करोड़ से अधिक के विदेशी आर्डर मिलने का अनुमान लगाया है.

दरअसल, अलीगढ़ में तालों के अलावा ब्रास की मूर्तियां भी बड़े पैमाने पर बनती हैं. आजादी के पहले से यहां ढलाई के जरिए पीतल की मूर्तियां बनाने का काम चला आ रहा है. पहले अलीगढ़ के मूर्ति कारोबारी खुद मूर्तियां बनाकर दिल्ली और मुंबई के बाजार में बेचने जाया करते थे. लेकिन, कुछ वर्षों से यह कारोबार बहुत तेजी से आगे बढ़ गया है. अब यह कारोबार जयगंज, सराय भूकी, भुजपुरा, पला रोड जैसे कई इलाकों में हो रहा है.

इस मूर्ति कारोबार में कई मुस्लिम परिवार भी शामिल हैं, जो मूर्तियां बनाते हैं. अलीगढ़ में बनने वाली लड्डू गोपाल की मूर्तियां दिल्ली, मध्य प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक के शहरों के अलावा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए कनाडा, अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, फ्रांस में रहने वाले भारतीयों के बीच इनकी भारी मांग है. मूर्ति कारोबारी कपिल कुमार बताते हैं कि आने वाला त्योहार जन्माष्टमी का है. इस पर्व को हिंदुस्तान पूरे हर्ष और उल्लास के साथ मनाता है. साथ ही विदेश में भी लोग इस त्योहार को मनाते हैं.

लड्डू गोपाल की मूर्ति की सबसे खास बात यह है कि पूरे हिंदुस्तान में यह सिर्फ अलीगढ़ में ही बनाई जाती है. इसके बाद यहां से देश-विदेश में इनको भेजा जाता है. इस व्यापार से सभी तरह के समुदाय के लोग जुड़े हुए हैं. इसे बनाने के लिए सबसे पहले मिट्टी का पीस बनाते हैं. फिर इसका पैटर्न बनाते हैं. इसके बाद इसे पीतल में ढालते हैं. फिर इसकी कास्टिंग, पॉलिश जैसे काम होते हैं. लड्डू गोपाल मूर्ति बनाने में करीब 5000 परिवारों को रोजगार मिलता है. सबसे बड़ी बात यह है कि यह काम हाथों से किया जाता है.

गौरतलब है कि इसकी सबसे ज्यादा इसकी डिमांड यूएसए (अमेरिका) में है. सिंगापुर, वियतनाम, नेपाल जैसे देशों में भी इसकी भारी डिमांड रहती है. जन्माष्टमी के समय इसकी डिमांड इतनी बढ़ जाती है कि अलीगढ़ के कारखानों में दिन-रात काम होता है, क्योंकि ऑर्डर को समय पर पूरा करना होता है. इस बार डिमांड बहुत अच्छी है. मूर्ति कारोबारी कपिल कुमार ने बताया कि पूरे साल का अलीगढ़ से करीब 1000 करोड़ का व्यापार हो जाता है.

लड्डू गोपाल की मूर्ति खरीदने वाली रिंकी मित्तल बताती हैं कि वह हर साल लड्डू गोपाल की मूर्तियां खरीदती हैं. दुकानों में 0 नंबर से लेकर 10-12 नंबर तक के ठाकुर जी मौजूद हैं. जन्माष्टमी पर्व पर ठाकुर जी सबसे ज्यादा बिकते हैं. इसमें पीतल का कलर, सफेद कलर और ब्लैक कलर भी आता हैं. हालांकि, पिछले साल के मुकाबले इस बार 50 रुपये से 80 रुपए तक रेट बढ़ा हुआ है.

ये भी पढ़ेंः आधी-अधूरी तैयारी के बीच अयोध्या का सावन झूला मेला शुरू, देखिए रामपथ के हाल

कारोबार की जानकारी देते व्यापारी कपिल कुमार.

अलीगढ़ः ताला और तालीम से अलीगढ़ की पहचान है. लेकिन, इस कारोबार के साथ-साथ अलीगढ़ में कॉपर, पीतल और जस्ता मिक्स मूर्तियां भी बड़े पैमाने पर बनती हैं. इसकी मांग देश के साथ ही विदेशों तक है. इसी कड़ी में अलीगढ़ के मूर्ति कारोबारियों ने श्री कृष्ण जन्माष्टमी की तैयारी शुरू कर दी हैं. मूर्ति कारोबारियों ने विदेशी मांग को ध्यान में रखते हुए लड्डू गोपाल की मूर्ति बनाने की तैयारी में जुट चुके हैं. अलीगढ़ के बने लड्डू गोपाल की मूर्ति पूरे भारत वर्ष के साथ-साथ बाहर के मुल्कों में भी भेजे जाते हैं. इस बार अलीगढ़ के कारोबारियों ने करीब 10 करोड़ से अधिक के विदेशी आर्डर मिलने का अनुमान लगाया है.

दरअसल, अलीगढ़ में तालों के अलावा ब्रास की मूर्तियां भी बड़े पैमाने पर बनती हैं. आजादी के पहले से यहां ढलाई के जरिए पीतल की मूर्तियां बनाने का काम चला आ रहा है. पहले अलीगढ़ के मूर्ति कारोबारी खुद मूर्तियां बनाकर दिल्ली और मुंबई के बाजार में बेचने जाया करते थे. लेकिन, कुछ वर्षों से यह कारोबार बहुत तेजी से आगे बढ़ गया है. अब यह कारोबार जयगंज, सराय भूकी, भुजपुरा, पला रोड जैसे कई इलाकों में हो रहा है.

इस मूर्ति कारोबार में कई मुस्लिम परिवार भी शामिल हैं, जो मूर्तियां बनाते हैं. अलीगढ़ में बनने वाली लड्डू गोपाल की मूर्तियां दिल्ली, मध्य प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक के शहरों के अलावा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए कनाडा, अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, फ्रांस में रहने वाले भारतीयों के बीच इनकी भारी मांग है. मूर्ति कारोबारी कपिल कुमार बताते हैं कि आने वाला त्योहार जन्माष्टमी का है. इस पर्व को हिंदुस्तान पूरे हर्ष और उल्लास के साथ मनाता है. साथ ही विदेश में भी लोग इस त्योहार को मनाते हैं.

लड्डू गोपाल की मूर्ति की सबसे खास बात यह है कि पूरे हिंदुस्तान में यह सिर्फ अलीगढ़ में ही बनाई जाती है. इसके बाद यहां से देश-विदेश में इनको भेजा जाता है. इस व्यापार से सभी तरह के समुदाय के लोग जुड़े हुए हैं. इसे बनाने के लिए सबसे पहले मिट्टी का पीस बनाते हैं. फिर इसका पैटर्न बनाते हैं. इसके बाद इसे पीतल में ढालते हैं. फिर इसकी कास्टिंग, पॉलिश जैसे काम होते हैं. लड्डू गोपाल मूर्ति बनाने में करीब 5000 परिवारों को रोजगार मिलता है. सबसे बड़ी बात यह है कि यह काम हाथों से किया जाता है.

गौरतलब है कि इसकी सबसे ज्यादा इसकी डिमांड यूएसए (अमेरिका) में है. सिंगापुर, वियतनाम, नेपाल जैसे देशों में भी इसकी भारी डिमांड रहती है. जन्माष्टमी के समय इसकी डिमांड इतनी बढ़ जाती है कि अलीगढ़ के कारखानों में दिन-रात काम होता है, क्योंकि ऑर्डर को समय पर पूरा करना होता है. इस बार डिमांड बहुत अच्छी है. मूर्ति कारोबारी कपिल कुमार ने बताया कि पूरे साल का अलीगढ़ से करीब 1000 करोड़ का व्यापार हो जाता है.

लड्डू गोपाल की मूर्ति खरीदने वाली रिंकी मित्तल बताती हैं कि वह हर साल लड्डू गोपाल की मूर्तियां खरीदती हैं. दुकानों में 0 नंबर से लेकर 10-12 नंबर तक के ठाकुर जी मौजूद हैं. जन्माष्टमी पर्व पर ठाकुर जी सबसे ज्यादा बिकते हैं. इसमें पीतल का कलर, सफेद कलर और ब्लैक कलर भी आता हैं. हालांकि, पिछले साल के मुकाबले इस बार 50 रुपये से 80 रुपए तक रेट बढ़ा हुआ है.

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Last Updated : Aug 23, 2023, 12:08 PM IST
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