अलीगढ़: जिले में बेसहारा और आवारा गायों की सुरक्षा को लेकर सरकार खूब जतन कर रही है. जिला प्रशासन भी गोरक्षा के लिए नोटिस जारी कर रहा है, लेकिन जमीन पर गायों की तीमारदारी सिर्फ छलावा साबित हो रही है. कड़ी धूप में गोवंश भूख और प्यास से तड़प रही हैं. पिछले दिनों पिसावा की गोशाला में कई गायों की मौत हो गई थी. वहीं टप्पल के जट्टारी स्थित गोशाला में भी चारे की व्यवस्था नहीं होने से गोवंश की मौत हो गई.
- जिले में गोरक्षा को लेकर सरकार के दावों की पोल खुल गई है.
- अवारा व बेसहारा गायों के लिए गोशाला की व्यवस्था नहीं है.
- जिलाधिकारी का कहना है कि 11 रजिस्टर्ड गोशालाएं है और 11 अनरजिस्टर्ड गोशालाएं है.
- उन्होंने कहा कि 165 गो सेवा केंद्र ग्राम पंचायतों के माध्यम से बनाए गए हैं.
- गोवंश की रक्षा और उनके भरण-पोषण के लिए शासन द्वारा पंजीकृत गोशालाओं को सीधे धनराशि भेजी जा रही है.
समाजसेवी ने प्रशासन पर उठाया सवाल
- गांव में गोवंश की रक्षा के लिए जियो टैगिंग करके धनराशि दी जा रही है.
- जिलाधिकारी ने कहा कि तीन माह की अग्रिम धनराशि गो सेवा केंद्र को भेजी गई है.
- एक करोड़ रुपये नगर निगम को शहर में गोवंश की रक्षा के लिए दिया गया है.
- ग्राम पंचायतों में भी एक करोड़ रुपये पूर्व में दिया जा चुका है.
- समाजसेवी विमल खेमानी का कहना है कि सरकार तो फंड भेज देती है, लेकिन प्रशासन इसका सही तरीके से इस्तेमाल नहीं करता.
गोशालाओं में वर्मी कंपोस्ट खाद बनेगी. वहीं गोशालाओं में सुरक्षा के लिए चौकीदार रखे जा रहे हैं. पशु चिकित्सक भी गोवंश की देखरेख करेंगे.
-चंद्र भूषण सिंह, जिलाधिकारी