ETV Bharat / state

Aligarh Turtle Toto: कुत्ते के पटकने से टूट गया कछुए का कवच, डॉक्टर ने तीन घंटे सर्जरी कर बचाई जान - पशु चिकित्सक डॉ विराम वार्ष्णेय

अलीगढ़ में तीन साल के एक कछुए का कवच टूट गया, जिसका नाम टोटो है (Aligarh Turtle Toto). अलीगढ़ के पशु चिकत्सक ने सर्जरी कर कछुए की जान बचाई.

Aligarh Turtle Toto
Aligarh Turtle Toto
author img

By

Published : Mar 3, 2023, 10:07 AM IST

कछुए की सर्जरी की जानकारी देते पशु चिकित्सक डॉ. विराम वार्ष्णेय

अलीगढ़ः जिले में कछुए के टूटे कवच की दुर्लभ सर्जरी कर पशु चिकत्सक ने उसको जीवन दान दिया. कछुए की उम्र मात्र 3 साल है, जिसकी एक ऊंचाई से गिरने और फिर कुत्ते के पटकने से कवच में दरार (क्रैक) आ गयी था. इसके बाद से कछुए को चलने फिरने में परेशानी होने लगी और कवच में आई दरार से ब्लड आना शुरू हो गया. कछुए के टूटे कवच की स्टील वायर से सर्जरी की गई. जो ब्रेसिज या स्प्लिंट कहलाती है. आमतौर पर इसका इस्तेमाल टेड़े-मेढ़े दांत को बांधने के लिए होता है.

वहीं, कासिमपुर के रहने वाले कछुए के मालिक सुधीर बताया कि उन्होंने पिछले 03 साल से एक कछुआ (Aligarh Turtle Toto) पाल रखा है. इसको वो प्यार से टोटो बुलाते हैं. एक महीने पहले ऊंचाई पर रखे एक्वेरियम से कछुआ गिर गया. इसके बाद वहां मौजूद कुत्ते के पटकने से कछुए के कवच में दरार आ गई. इसके बाद दरार वाली जगह में इन्फेक्शन फैल गया. इस गंभीर चोट से कछुए को चलने फिरने और पानी में तैरने पर परेशानी होने लगी, तो उन्होंने अपने कछुए पशु चिकित्सक को दिखाया. सुधीर ने बताया कि कछुए का कवच (खोल) उसके शरीर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, जो उसके आंतरिक अंगों को सुरक्षा प्रदान करता है और शरीर के तापमान को भी नियंत्रित करने में मदद करता है.

पशु चिकित्सक डॉ. विराम वार्ष्णेय ने बताया कि कछुए की कवच में आई गंभीर दरार का गहनता से अध्ययन किया गया. इसके बाद कछुए की कवच की सर्जरी के लिए विशेष ब्रेसिज तकनीक का प्रयोग किया गया, जिसे स्प्लिंट भी कहते है. डॉ. विराम ने बताया कि करीब 25 दिन पहले स्टील के तारों से टूटे हुए कवच की 3 घंटे सर्जरी की गई. वेटरनरी चिकित्सा पद्धति में ऐसी कोई तकनीक नहीं है. लेकिन, जिस तरह से टेढ़े-मेढ़े दांतों को बांधते हैं उसी तरीके से कछुए की कवच को जोड़ने के लिए ब्रेसिज तकनीक अपनाई गई.

डॉ. विराम ने बताया कि स्टील के तारों से कछुए के कवच को बांधा गया और दवाइयां दी गईं, ताकि घाव जल्दी भर जाएं. 20 दिन बाद कछुए के कवच में आया दरार ठीक हो गया है. स्वस्थ होने पर अब कछुआ आराम से चलने लगा है. उन्होंने बताया कि वो आमतौर पर पशुओं में हड्डी आदि टूटने पर नट, बोल्ट और रॉड के जरिए सर्जरी कर उसे सही करते हैं. इस तरह का यह पहला मामला सामने आया था. जब कछुए के टूटे कवच को ठीक किया गया.

ये भी पढ़ेंः Mango Production in Malihabad : फलों के राजा को कीटों से बचाएगा स्पेशल फ्रूट कवर बैग, जानिए क्या है खासियत

कछुए की सर्जरी की जानकारी देते पशु चिकित्सक डॉ. विराम वार्ष्णेय

अलीगढ़ः जिले में कछुए के टूटे कवच की दुर्लभ सर्जरी कर पशु चिकत्सक ने उसको जीवन दान दिया. कछुए की उम्र मात्र 3 साल है, जिसकी एक ऊंचाई से गिरने और फिर कुत्ते के पटकने से कवच में दरार (क्रैक) आ गयी था. इसके बाद से कछुए को चलने फिरने में परेशानी होने लगी और कवच में आई दरार से ब्लड आना शुरू हो गया. कछुए के टूटे कवच की स्टील वायर से सर्जरी की गई. जो ब्रेसिज या स्प्लिंट कहलाती है. आमतौर पर इसका इस्तेमाल टेड़े-मेढ़े दांत को बांधने के लिए होता है.

वहीं, कासिमपुर के रहने वाले कछुए के मालिक सुधीर बताया कि उन्होंने पिछले 03 साल से एक कछुआ (Aligarh Turtle Toto) पाल रखा है. इसको वो प्यार से टोटो बुलाते हैं. एक महीने पहले ऊंचाई पर रखे एक्वेरियम से कछुआ गिर गया. इसके बाद वहां मौजूद कुत्ते के पटकने से कछुए के कवच में दरार आ गई. इसके बाद दरार वाली जगह में इन्फेक्शन फैल गया. इस गंभीर चोट से कछुए को चलने फिरने और पानी में तैरने पर परेशानी होने लगी, तो उन्होंने अपने कछुए पशु चिकित्सक को दिखाया. सुधीर ने बताया कि कछुए का कवच (खोल) उसके शरीर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, जो उसके आंतरिक अंगों को सुरक्षा प्रदान करता है और शरीर के तापमान को भी नियंत्रित करने में मदद करता है.

पशु चिकित्सक डॉ. विराम वार्ष्णेय ने बताया कि कछुए की कवच में आई गंभीर दरार का गहनता से अध्ययन किया गया. इसके बाद कछुए की कवच की सर्जरी के लिए विशेष ब्रेसिज तकनीक का प्रयोग किया गया, जिसे स्प्लिंट भी कहते है. डॉ. विराम ने बताया कि करीब 25 दिन पहले स्टील के तारों से टूटे हुए कवच की 3 घंटे सर्जरी की गई. वेटरनरी चिकित्सा पद्धति में ऐसी कोई तकनीक नहीं है. लेकिन, जिस तरह से टेढ़े-मेढ़े दांतों को बांधते हैं उसी तरीके से कछुए की कवच को जोड़ने के लिए ब्रेसिज तकनीक अपनाई गई.

डॉ. विराम ने बताया कि स्टील के तारों से कछुए के कवच को बांधा गया और दवाइयां दी गईं, ताकि घाव जल्दी भर जाएं. 20 दिन बाद कछुए के कवच में आया दरार ठीक हो गया है. स्वस्थ होने पर अब कछुआ आराम से चलने लगा है. उन्होंने बताया कि वो आमतौर पर पशुओं में हड्डी आदि टूटने पर नट, बोल्ट और रॉड के जरिए सर्जरी कर उसे सही करते हैं. इस तरह का यह पहला मामला सामने आया था. जब कछुए के टूटे कवच को ठीक किया गया.

ये भी पढ़ेंः Mango Production in Malihabad : फलों के राजा को कीटों से बचाएगा स्पेशल फ्रूट कवर बैग, जानिए क्या है खासियत

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.