अलीगढ़ : श्रीलंका में आतंकी घटना के बाद वहां की सरकार ने बुर्का पहनने पर पाबंदी लगा दी. वहीं भारत में भी शिवसेना ने बुर्के पर बैन लगाने की आवाज उठाई, तो सरधना से भाजपा विधायक संगीत सोम ने भी वीडियो जारी कर बुर्के पर बैन लगाने का समर्थन किया है. हालांकि मुस्लिम धर्मगुरु देश में इस तरह के बयान को सियासी बता रहे हैं. वहीं अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की छात्राओं ने बुर्के पर पाबंदी को गलत बताया है. छात्राओं का कहना है कि लोकतंत्र में किसी को हक नहीं है कि लिबास पर पाबंदी लगाई जाए.
बुर्का बैन पर क्या बोलीं एएमयू की छात्रा
- बुर्के पर बैन लगाने की मांग पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की छात्राओं ने नाराजगी जाहिर की हैं.
- अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की परास्नातक छात्रा हुजैरा ने कहा कि बुर्का या हिजाब हमारी पहचान है. पर्दा करना जरूरी है क्योंकि एक महिला के लिए इस्लाम में यह अहमियत रखता है .
- छात्रा मरियम ने बताया कि पर्दा इस्लाम में फर्ज है. बुर्का सिर को ढकता है. लेकिन पर्दा करने से दिमाग बंद नहीं होता है.
- पर्दा अगर शरीर को कवर करता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि जहन नहीं खुला है.
- मरियम ने कहा बुर्का इसलिए है कि दूसरों की नजरों से बचे रहें. उन्होंने कहा पर्दा हमें अपने हक की आवाज उठाने से नहीं रोकता. बुर्का केवल हिफाजत के लिए है .
- यह इंसान की इच्छा पर निर्भर है कि वह बुर्का पहनना चाहता है तो पहने. छात्राओं ने कहा यह मुसलमानों की पहचान है. लोकतांत्रिक मुल्क में यह बात ठीक नहीं है. बुर्का को इस्लाम का हिस्सा माना जाता है.
बुर्के में रहकर महिलाएं आवाज उठा सकती हैं, उनकी आवाज कोई दबा नहीं सकता है. पर्दा करने से औरत कमजोर होती हैं, यह बात गलत है. महिला सशक्तिकरण की बात पर्दे में रहकर भी होती है, जो लोग बुर्के पर बैन लगाने की बात कर रहे हैं, उनकी जेहनी सोच गलत है. पर्दा केवल शरीर को कवर करता है. ब्रेन को कवर नहीं करता.
-मरियम, छात्रा, एएमयू