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तूल पकड़ रहा कर्नाटक का हिजाब मामला, विरोध में उतरे एएमयू छात्र

कर्नाटक के उडुपी जिले के कॉलेज परिसर में हिजाब (Karnataka hijab case) पहनने वाली छात्राओं के प्रवेश न लेने का मामला सुर्खियों में छाया हुआ है. इस मामले को लेकर चर्चित मुस्लिम संस्थानों में पढ़ने वाले विद्यार्थी विरोध प्रदर्शन करते हुए नजर आ रहे हैं.

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एएमयू छात्र
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Published : Feb 9, 2022, 6:28 PM IST

अलीगढ़/सहारनपुर: कर्नाटक के उडुपी जिले के एक कॉलेज परिसर में हिजाब (Karnataka hijab case) पहनने वाली छात्राओं के प्रवेश न लेने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (Aligarh Muslim University) में सैकड़ों की संख्या में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं हिजाब मामले के विरोध में प्रोटेस्ट मार्च निकालने के लिए आज एएमयू सर्किल के डक पॉइंट पर इकट्ठा हुए, लेकिन एएमयू प्रशासन ने उनको अलीगढ़ में कल होने वाले मतदान और कोरोना का हवाला देते हुए प्रोटेस्ट निकालने की अनुमति नहीं दी. इस पर काफी संख्या में इकट्ठा हुए छात्र- छात्राओं ने नाराजगी जताई और आगामी 11 फरवरी को एक बड़ा प्रोटेस्ट करने की चेतावनी दी है.

बीते दिन उडुपी में कॉलेज परिसर में हिजाब पहनने वाली छात्राओं के प्रवेश न लेने के मामले को लेकर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा एक पोस्टर वायरल किया गया था, जिसमें हिजाब के खिलाफ आज छात्र-छात्राओं के द्वारा एक प्रोटेस्ट डक पॉइंट से लेकर बाबे सैयद गेट तक किया जाना था, लेकिन जैसे ही प्रोटेस्ट की सूचना अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रशासन को हुई, उन्होंने प्रोटेस्ट की अनुमति देने से साफ इनकार कर दिया. हालांकि पूरे मामले पर छात्र नेता व छात्रों ने नाराजगी जताई है और एएमयू प्रशासन के खिलाफ प्रशासन व शासन के दबाव का कारण बताया है.

उनका कहना है कि एएमयू प्रशासन की नाकामी है और एएमयू प्रसाशन पर शासन का दवाब है, जिसके चलते उन्होंने परमिशन नहीं दी. उनका कहना है कि जब चुनावों में बड़ी राजनीतिक रैलियां की जा सकती हैं तो फिर एक प्रोटेस्ट के लिए अनुमति क्यों नहीं दी गई है. फिलहाल प्रोटेस्ट को स्थगित करते हुए छात्रों ने 11 या 12 फरवरी को एक बड़ा प्रोटेस्ट करने की बात कही है.

यह भी पढ़ें: यूपी विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण का मतदान कल

वहीं सहारनपुर के देवबंदी उलेमाओं ने हिजाब पहनने वाली छात्राओं को लेकर जय श्रीराम का नारा लगाने पर नाराजगी जताई है. मुफ्ती अरशद कासमी ने एतराज जताते हुए कहा कि हिजाब पहनना व्यक्तिगत आजादी है. इस पर किसी तरह का बयान देकर देश का माहौल खराब करना चाहते हैं.

देवबंदी से इस्लामिक धर्मगुरु मुफ्ती अरशद कासमी ने कहा है कि भारत एक सेकुलर मुल्क है और इस मुल्क में संविधान है. संविधान सभी धर्म के लोगों को अपने मजहब के ऊपर अमल करने की पूरी आजादी देता है. कुछ फिरका परस्त लोग है, जो मुल्क का माहौल खराब करना चाहते हैं. उनको मुल्क का भाईचारा पसंद नहीं आता.

उन्होंने ने कहा है कि कुछ लड़कों ने एक लड़की को देखा जो कि अपने धर्म के अनुसार हिजाब में कॉलेज जा रही थी. उसको देखकर कुछ लड़कों ने जय श्रीराम के नारे लगाने शुरू कर दिए, जो कि बेहद ही गलत है और इसकी जितनी भी निंदा की जाए वह कम है.

यह भी पढ़ें: 19वें साल बाहुबली अमरमणि के परिवार के लिए खुले मायावती के दरवाजे, बेटे को थमाया टिकट...

उन्होंने कहा कि हम जय श्रीराम के नारे लगाने को मना नहीं करते, लेकिन किसी मुस्लिम लड़की को देखकर या किसी मुसलमान को देखकर जय श्रीराम के नारे लगाए जाएं, यह बेहद ही गलत है, साथ ही उस लड़की ने भी समझदारी दिखाते हुए जय श्रीराम के नारे लगाने वाले लड़कों के सामने ही अल्लाह हू अकबर के नारे लगाए, जिसके चलते जमीअत उलेमा-ए-हिंद ने लड़की की हौसला अफजाई के लिए 5 लाख का इनाम देने की घोषणा भी की है.

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अलीगढ़/सहारनपुर: कर्नाटक के उडुपी जिले के एक कॉलेज परिसर में हिजाब (Karnataka hijab case) पहनने वाली छात्राओं के प्रवेश न लेने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (Aligarh Muslim University) में सैकड़ों की संख्या में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं हिजाब मामले के विरोध में प्रोटेस्ट मार्च निकालने के लिए आज एएमयू सर्किल के डक पॉइंट पर इकट्ठा हुए, लेकिन एएमयू प्रशासन ने उनको अलीगढ़ में कल होने वाले मतदान और कोरोना का हवाला देते हुए प्रोटेस्ट निकालने की अनुमति नहीं दी. इस पर काफी संख्या में इकट्ठा हुए छात्र- छात्राओं ने नाराजगी जताई और आगामी 11 फरवरी को एक बड़ा प्रोटेस्ट करने की चेतावनी दी है.

बीते दिन उडुपी में कॉलेज परिसर में हिजाब पहनने वाली छात्राओं के प्रवेश न लेने के मामले को लेकर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा एक पोस्टर वायरल किया गया था, जिसमें हिजाब के खिलाफ आज छात्र-छात्राओं के द्वारा एक प्रोटेस्ट डक पॉइंट से लेकर बाबे सैयद गेट तक किया जाना था, लेकिन जैसे ही प्रोटेस्ट की सूचना अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रशासन को हुई, उन्होंने प्रोटेस्ट की अनुमति देने से साफ इनकार कर दिया. हालांकि पूरे मामले पर छात्र नेता व छात्रों ने नाराजगी जताई है और एएमयू प्रशासन के खिलाफ प्रशासन व शासन के दबाव का कारण बताया है.

उनका कहना है कि एएमयू प्रशासन की नाकामी है और एएमयू प्रसाशन पर शासन का दवाब है, जिसके चलते उन्होंने परमिशन नहीं दी. उनका कहना है कि जब चुनावों में बड़ी राजनीतिक रैलियां की जा सकती हैं तो फिर एक प्रोटेस्ट के लिए अनुमति क्यों नहीं दी गई है. फिलहाल प्रोटेस्ट को स्थगित करते हुए छात्रों ने 11 या 12 फरवरी को एक बड़ा प्रोटेस्ट करने की बात कही है.

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वहीं सहारनपुर के देवबंदी उलेमाओं ने हिजाब पहनने वाली छात्राओं को लेकर जय श्रीराम का नारा लगाने पर नाराजगी जताई है. मुफ्ती अरशद कासमी ने एतराज जताते हुए कहा कि हिजाब पहनना व्यक्तिगत आजादी है. इस पर किसी तरह का बयान देकर देश का माहौल खराब करना चाहते हैं.

देवबंदी से इस्लामिक धर्मगुरु मुफ्ती अरशद कासमी ने कहा है कि भारत एक सेकुलर मुल्क है और इस मुल्क में संविधान है. संविधान सभी धर्म के लोगों को अपने मजहब के ऊपर अमल करने की पूरी आजादी देता है. कुछ फिरका परस्त लोग है, जो मुल्क का माहौल खराब करना चाहते हैं. उनको मुल्क का भाईचारा पसंद नहीं आता.

उन्होंने ने कहा है कि कुछ लड़कों ने एक लड़की को देखा जो कि अपने धर्म के अनुसार हिजाब में कॉलेज जा रही थी. उसको देखकर कुछ लड़कों ने जय श्रीराम के नारे लगाने शुरू कर दिए, जो कि बेहद ही गलत है और इसकी जितनी भी निंदा की जाए वह कम है.

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उन्होंने कहा कि हम जय श्रीराम के नारे लगाने को मना नहीं करते, लेकिन किसी मुस्लिम लड़की को देखकर या किसी मुसलमान को देखकर जय श्रीराम के नारे लगाए जाएं, यह बेहद ही गलत है, साथ ही उस लड़की ने भी समझदारी दिखाते हुए जय श्रीराम के नारे लगाने वाले लड़कों के सामने ही अल्लाह हू अकबर के नारे लगाए, जिसके चलते जमीअत उलेमा-ए-हिंद ने लड़की की हौसला अफजाई के लिए 5 लाख का इनाम देने की घोषणा भी की है.

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