अलीगढ़: रविवार को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के गैर शिक्षण कर्मचारी अपना दैनिक वेतन बढ़ाने और नियमित करने की मांग को लेकर धरने ( AMU daily wage workers protest) पर बैठ गए. देर रात डेली वेजर कर्मचारी सेंटिनरी गेट पर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया. डेली वेज कर्मचारियों ने कहा कि जब तक मांगें पूरी नहीं होती, लोकतांत्रिक ढंग से शांतिपूर्ण तरीके से धरना चलेगा. वहीं मौके पर डॉक्टर की टीम पहुंच गई और उन्होंने कहा कि मामले को लेकर विश्वविद्यालय अथॉरिटी से बातचीत जारी है.
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (Aligarh Muslim University) में रविवार को डेली वेज कर्मचारियों का गुस्सा भड़क गया. पिछले 5 सालों से डेली वेज कर्मचारियों की सैलरी नहीं बढ़ी है. वहीं 2 महीने पहले सैलरी को लेकर दिक्कत भी आई थी. डेली वेज कर्मचारी 17 साल से काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें रेगुलर नहीं किया गया. न ही वेतन में कोई बढ़ोत्तरी की गई. डेली वेज कर्मचारियों का कहना है कि जब संविदा टीचर, गेस्ट फैकल्टी के टीचर, छात्रों की फीस, साइकिल स्टैंड का किराया बढ़ सकता है, तो डेली वेज कर्मचारी का मानदेय क्यों नहीं बढ़ सकता.
कर्मचारियों ने दी भूख हड़ताल की धमकी: विश्वविद्यालय में लगभग तीन हज़ार डेली वेज कर्मचारी काम करते हैं. ये सभी अब अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्ण तरीके से धरने पर बैठ गए हैं. कर्मचारियों का कहना है कि वह आगे अपनी फैमिली और बच्चों को भी प्रदर्शन में शामिल करेंगे. मांगे पूरी नहीं होती है तो भूख हड़ताल पर बैठेंगे. डेली वेज कर्मी एजाज ने बताया पिछले 5 सालों से सैलरी बढ़ी नहीं है. शिक्षकों, संविदा शिक्षकों, साइकिल स्टैंड, छात्रों की फीस बढ़ रही है. यह लेबर लॉ के भी खिलाफ है. नियम यह है कि हर 6 महीने पर सैलरी रिवाइव की जाए. डेली वेजर कर्मियों में 70 लोगों को रेगुलर करने की लिस्ट गई, लेकिन आज तक नहीं हुआ.
अथॉरिटी से हो रही बातचीत: डॉक्टर मोहम्मद वसीम ने कहा कि एएमयू प्रशासन पिछले ढाई महीने से सिर्फ तारीख पर तारीख दे रहा है, लेकिन अब हमें रिजल्ट चाहिए. टेंपरेरी कर्मचारी कि कुछ डिमांड है कुछ कर्मचारियों की कुलपति से मीटिंग हुई है. कुलपति ने भरोसा दिया कि जल्द ही कर्मचारियों की समस्या दूर करेंगे, लेकिन कर्मचारी लीडर गायब हो गए हैं. अथॉरिटी के साथ बातचीत हो रही है. डेली वेज कर्मचारियों का प्रदर्शन गलत है. उन्होंने बताया कि इनके कुछ टेक्निकल मसले हैं, जिनको हल करने की कोशिश की जा रही है. कुछ लोग दबाव बनाकर नेतागिरी कर रहे हैं, जबकि बातचीत का रास्ता खुला है.