अलीगढ़: त्रिपुरा में हिंसा (Tripura Violence) को लेकर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (Aligarh Muslim University) में छात्रों ने गुरुवार को प्रोटेस्ट मार्च निकाला. इस दौरान छात्रों ने विश्व हिंदू परिषद और आरएसएस (Vishwa Hindu Parishad and RSS) के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. एएमयू छात्रों ने डक प्वाइंट से बाबे सैय्यद गेट तक नारेबाजी करते हुए विरोध जताया. इस दौरान छात्रों ने राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन एसीएम द्वितीय अंजुम बी को सौंपा.
छात्रों ने मांग की है कि त्रिपुरा में पिछले छह दिनों से जारी हिंसा को रोका जाए और पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिया जाए. घटना में शामिल विश्व हिंदू परिषद के लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. छात्रों का आरोप है कि विश्व हिंदू परिषद जैसा संगठन देश के लोकतंत्र के लिए खतरा है. त्रिपुरा में हुई हिंसा की निंदा करते हुए छात्रों ने कहा कि जब इलेक्शन होने वाले होते हैं तो मुसलमानों को टारगेट किया जाता है. लोगों का ध्यान बंटाने के लिए देश में नफरत की राजनीति के बीज बोये जाते हैं.
एएमयू छात्र नेता अबू सईद सिद्दीकी ने बताया कि त्रिपुरा में पिछले छह दिन से हिंसा हो रही है. वहां मस्जिदों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है, जिसमें विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल और आरएसएस के लोग शामिल हैं. इनके खिलाफ कार्रवाई हो. अबू सईद सिद्दीकी ने कहा कि चुनाव के समय ही मुसलमानों को टारगेट किया जाता है. छात्र नेता इमरान ने बताया कि त्रिपुरा में हिंसा के तहत मुसलमानों के घर और दुकानें जलाई गई हैं. इस घटना को लेकर एएमयू छात्रों में आक्रोश है.
उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान की सरकार केवल सेकुलरिज्म का ढोंग कर रही है. उन्होंने, कहा कि अगर मुसलमानों को इंसाफ नहीं मिलेगा तो इस देश के अंदर शांति नहीं हो सकती क्योंकि जहां इंसाफ है वहां शांति रहेगी. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्राक्टर डॉ. मोहम्मद वसीम ने का कहना है कि छात्रों ने त्रिपुरा हिंसा को लेकर विरोध प्रदर्शन किया है. छात्रों ने हिंसा की न्याय पूर्वक जांच की जाएं और हिंसा को बढ़ावा देने वाले विश्व हिंदू परिषद और आरएसएस के कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की जाए.
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यह था मामला
दरअसल, त्रिपुरा में मुसलमान अल्पसंख्यक हैं और अधिकतर आबादी हिंदुओं की है. इनमें बड़ी संख्या में बांग्लादेश से आए हिंदू भी हैं. बांग्लादेश में हाल के दिनों में हिंदुओं पर कई हमले हुए हैं. लोग त्रिपुरा में मुसलमानों पर हो रहे हमलों को उन्हीं की प्रतिक्रिया के तौर पर देख रहे हैं. आरोप है कि कम से कम एक दर्जन मस्जिदों में कथित तौर पर तोड़फोड़ की गई है या आग लगा दी गई है. कई जगहों पर मुसलमानों के घरों और कारोबारों पर हमला किया गया है.