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अलीगढ़ का नाम हरीगढ़ करने के प्रस्ताव पर लोग बोले- कागजों में भले ही बदल जाए लेकिन दिलों में जिंदा रहेगा पुराना नाम

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ नगर निगम का नाम हरीगढ़ (Aligarh Name is Harigarh) करने का प्रस्ताव कार्यकारिणी की पहली बैठक में पास हो गया है. इसके विरोध में किसी भी पार्षद ने आवाज नहीं उठाई. समाजवादी पार्टी के पार्षद ने कहा कि मुस्लिम समाज के लोग इसे अलीगढ़ के ही नाम से जानेंगे.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 8, 2023, 7:54 AM IST

महापौर और वहां के लोगों ने हरीगढ़ को लेकर बताया.

अलीगढ़: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ का नाम हरिगढ़ (Aligarh Name is Harigarh) रखे जाने को लेकर कवायद की गई है. नगर निगम कार्यकारिणी की पहली बैठक में यह प्रस्ताव रखा गया. बैठक में बिना शोर शराबे के सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पास भी हो गया. इस बैठक में समाजवादी पार्टी के करीब 32 पार्षद मौजूद रहे. विरोध के सुर में किसी पार्षद ने आवाज नहीं उठाई. जिला पंचायत की पहली बैठक में भी अलीगढ़ को हरिगढ़ बनाने का प्रस्ताव 2021 में ही भेजा जा चुका है.

महापौर ने बताया
अलीगढ़ के महापौर प्रशांत सिंघल ने कहा कि यहां हिंदुओं की संख्या अधिक है इसलिए यहां की जनता जनपद का नाम हरीगढ़ करने का मांग कर रही है. महापौर ने बताया कि अलीगढ़ ब्रजभूमि का महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है. साथ ही यह स्वामी हरिदास की भूमि रही है. अलीगढ़ का नाम बदलने से यहां विकास तेजी से होगा. शहर का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है. जिला पंचायत का प्रस्ताव लंबित पड़ा होने के सवाल पर महापौर ने कहा कि शासन की अपनी प्रक्रिया होती है. अपने स्तर से इसे आगे बढ़ायेगी.

लोगों ने बताया राजनीतिक एजेंडा है
अलीगढ़ के कुछ लोग इसे राजनीतिक एजेंडा बता रहे हैं. लोगों का कहना है कि इससे जनपद का भला नहीं होगा. हालांकि अलीगढ़ जनपद का नाम हरिगढ़ भगवान के नाम पर बनाया जा रहा है. इसलिए ठीक ही है. जबकि कुछ लोग अलीगढ़ को स्वामी हरिदास के नाम पर बदलाव की बात कह रहे हैं. लोगों का कहना है कि हरिगढ़ जनपद का मुद्दा उठाकर समस्याओं को ढकाने का प्रयास किया जा रहा है.

लोगों के दिलों में जिंदा रहेगा अलीगढ़
अलीगढ़ के लोगों ने कहा कि देश में लोकसभा चुनाव 2024 नजदीक है. इसलिए भाजपा राजनीति कर रही है. अलीगढ़ की पहचान ताला और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से है. इसके साथ ही यहां डिफेंस कॉरिडोर और राजा महेंद्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय भी बन रहा है. लोगों का कहना है कि कागजों पर नाम बदले जा सकते हैं लेकिन लोगों के दिलों में अलीगढ़ जिंदा रहेगा. व्यापारी थाइन्डा वत्स ने कहा कि यह राजनैतिक एजेंडा है. इससे देश, राज्य या जनपद का भला नहीं होने वाला है. ये केवल जनता को भ्रमित करने के लिए किया गया है. इससे शहर का भला नहीं होगा. इस तरह की गाशिप से बचना चाहिए. उन्हें नाम बदलने पर विश्वास नहीं है, केवल काम में विश्वास है.

हरिगढ़ नाम में लोगों में है रुचि
भाजपा पार्षद दल के मुख्य सचेतक पुष्पेन्द्र सिंह ने बताया कि बैठक में लगभग सभी पार्षद उपस्थित रहे. उनके द्वारा पार्षदों को व्हिप जारी किया गया था. भाजपा के समस्त पार्षदों ने इसका समर्थन किया. निर्दलीय पार्षदों ने भी इसका समर्थन किया. बैठक की अध्यक्षता कर रहे महापौर प्रशांत सिंघल ने इस पर सहमति जताते हुए पास कर दिया. पुष्पेन्द्र सिंह ने कहा कि वह पूर्व में भी यह मांग उठा चुके हैं. हरिगढ़ का नाम भगवान के नाम पर है. इसलिए सबकी रुचि इस नाम में है. लोगों की आस्था भी इसमें रहती है. हरिदासपुर मे ऐतिहासिक मेला भी लगता है. स्वामी हरिदास खैरेश्वर धाम में पूजा किया करते थे. लोगों की इस नाम में श्रद्धा और आस्था भी है.

जनसमस्यों पर नहीं की गई बात
वहीं जनपद का नाम बदलने के मुद्दे को सांप्रदायिक की राजनीति से जोड़ा जा रहा है. समाजसेवी आगा यूनुस खान ने कहा कि नगर निगम बोर्ड की बैठक 6 महीने बाद पहली बार हुई. जनता उम्मीद कर रही थी कि सड़क, नाली, सफाई व्यवस्था और विकास की समस्याओं को लेकर बात होगी और बजट जारी किया जायेगा. लेकिन बजट पास नहीं किया गया . खराब हैंड पंप, नालियों की फाइल, पानी की समस्या शहर में बरकरार है. कूड़े और गंदगी का अंबार है. इन पर कोई चर्चा अधिवेशन में नहीं किया गया. समाजसेवी ने कहा कि गुप-चुप और प्रायोजित तरीके से भाजपा पार्षदों ने प्रस्ताव पढ़ा और महापौर ने मोहर लगा दी. नगर निगम में इस पर न कोई चर्चा और न ही बहस हुई. इसे केवल मीडिया के जरिए खबर फैला दी गई कि अलीगढ़ का नाम हरिगढ़ हो रहा है. जो शासन को भेजा गया है. उन्होंने कहा कि यह जनता का अपमान और धोखा है. मेयर और भाजपा पार्षदों ने धोखा दिया है. एक पार्षद के प्रस्ताव पर कैसे अलीगढ़ का नाम बदला जा सकता है. जबकि अलीगढ़ की आबादी करीब 40 लाख है.

भावनाएं भड़काने का काम किया जा रहा है
वकील विनेश पाल सिंह ने बताया कि मुगल शासन के समय हिंदुओं पर अत्याचार किया गया और नाम बदलकर अलीगढ़ रखा गया. मुगल काल में किया गया यह काम सरासर गलत था. अगर इसका नाम हरिगढ़ होता है तो यह सम्मान जनक होगा. उन्होंने कहा कि यहां ज्यादा आबादी हिंदुओं की है. इसलिए हरिगढ़ किया जाना आवश्यक है. पूर्व पार्षद निवासी मुज्जफर सईद ने कहा कि उन्हें मीडिया से पता चला कि अलीगढ़ का नाम हरिगढ़ हो रहा है. यह अफसोस की बात है हमारी रोजमर्रा की समस्या सड़क, पानी, नाली की समस्या क्या हरिगढ़ बनने से खत्म हो जाएगी. क्या जनता को इससे कोई लाभ होगा. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव 2024 होने वाले हैं. इसलिए चुनाव को लेकर भावनाएं भड़काने का काम किया जा रहा है.

सपा पार्षद दल के नेता अपनी जिम्मेदारी से भागे
समाजवादी पार्टी के पार्षद मुशर्रफ हुसैन ने कहा कि पिछले कई सालों से भाजपा यह प्रयास कर रही है. अलीगढ़ का नाम हरिगढ़ कर दिया जाए. लेकिन सपा के लोग और मुस्लिम समाज के लोग इसका नाम अलीगढ़ ही रखेंगे. उन्होंने कहा कि सपा में जिनको पार्षद दल का नेता बनाया गया था. उन्हें विरोध करना चाहिए था. लेकिन वह अपनी जिम्मेदारी से भाग गए. उन्होंने कहा कि धोखे से प्रस्ताव पास कराया गया है. वह इस बात की शिकायत सपा मुखिया अखिलेश यादव से करेंगे.


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महापौर और वहां के लोगों ने हरीगढ़ को लेकर बताया.

अलीगढ़: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ का नाम हरिगढ़ (Aligarh Name is Harigarh) रखे जाने को लेकर कवायद की गई है. नगर निगम कार्यकारिणी की पहली बैठक में यह प्रस्ताव रखा गया. बैठक में बिना शोर शराबे के सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पास भी हो गया. इस बैठक में समाजवादी पार्टी के करीब 32 पार्षद मौजूद रहे. विरोध के सुर में किसी पार्षद ने आवाज नहीं उठाई. जिला पंचायत की पहली बैठक में भी अलीगढ़ को हरिगढ़ बनाने का प्रस्ताव 2021 में ही भेजा जा चुका है.

महापौर ने बताया
अलीगढ़ के महापौर प्रशांत सिंघल ने कहा कि यहां हिंदुओं की संख्या अधिक है इसलिए यहां की जनता जनपद का नाम हरीगढ़ करने का मांग कर रही है. महापौर ने बताया कि अलीगढ़ ब्रजभूमि का महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है. साथ ही यह स्वामी हरिदास की भूमि रही है. अलीगढ़ का नाम बदलने से यहां विकास तेजी से होगा. शहर का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है. जिला पंचायत का प्रस्ताव लंबित पड़ा होने के सवाल पर महापौर ने कहा कि शासन की अपनी प्रक्रिया होती है. अपने स्तर से इसे आगे बढ़ायेगी.

लोगों ने बताया राजनीतिक एजेंडा है
अलीगढ़ के कुछ लोग इसे राजनीतिक एजेंडा बता रहे हैं. लोगों का कहना है कि इससे जनपद का भला नहीं होगा. हालांकि अलीगढ़ जनपद का नाम हरिगढ़ भगवान के नाम पर बनाया जा रहा है. इसलिए ठीक ही है. जबकि कुछ लोग अलीगढ़ को स्वामी हरिदास के नाम पर बदलाव की बात कह रहे हैं. लोगों का कहना है कि हरिगढ़ जनपद का मुद्दा उठाकर समस्याओं को ढकाने का प्रयास किया जा रहा है.

लोगों के दिलों में जिंदा रहेगा अलीगढ़
अलीगढ़ के लोगों ने कहा कि देश में लोकसभा चुनाव 2024 नजदीक है. इसलिए भाजपा राजनीति कर रही है. अलीगढ़ की पहचान ताला और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से है. इसके साथ ही यहां डिफेंस कॉरिडोर और राजा महेंद्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय भी बन रहा है. लोगों का कहना है कि कागजों पर नाम बदले जा सकते हैं लेकिन लोगों के दिलों में अलीगढ़ जिंदा रहेगा. व्यापारी थाइन्डा वत्स ने कहा कि यह राजनैतिक एजेंडा है. इससे देश, राज्य या जनपद का भला नहीं होने वाला है. ये केवल जनता को भ्रमित करने के लिए किया गया है. इससे शहर का भला नहीं होगा. इस तरह की गाशिप से बचना चाहिए. उन्हें नाम बदलने पर विश्वास नहीं है, केवल काम में विश्वास है.

हरिगढ़ नाम में लोगों में है रुचि
भाजपा पार्षद दल के मुख्य सचेतक पुष्पेन्द्र सिंह ने बताया कि बैठक में लगभग सभी पार्षद उपस्थित रहे. उनके द्वारा पार्षदों को व्हिप जारी किया गया था. भाजपा के समस्त पार्षदों ने इसका समर्थन किया. निर्दलीय पार्षदों ने भी इसका समर्थन किया. बैठक की अध्यक्षता कर रहे महापौर प्रशांत सिंघल ने इस पर सहमति जताते हुए पास कर दिया. पुष्पेन्द्र सिंह ने कहा कि वह पूर्व में भी यह मांग उठा चुके हैं. हरिगढ़ का नाम भगवान के नाम पर है. इसलिए सबकी रुचि इस नाम में है. लोगों की आस्था भी इसमें रहती है. हरिदासपुर मे ऐतिहासिक मेला भी लगता है. स्वामी हरिदास खैरेश्वर धाम में पूजा किया करते थे. लोगों की इस नाम में श्रद्धा और आस्था भी है.

जनसमस्यों पर नहीं की गई बात
वहीं जनपद का नाम बदलने के मुद्दे को सांप्रदायिक की राजनीति से जोड़ा जा रहा है. समाजसेवी आगा यूनुस खान ने कहा कि नगर निगम बोर्ड की बैठक 6 महीने बाद पहली बार हुई. जनता उम्मीद कर रही थी कि सड़क, नाली, सफाई व्यवस्था और विकास की समस्याओं को लेकर बात होगी और बजट जारी किया जायेगा. लेकिन बजट पास नहीं किया गया . खराब हैंड पंप, नालियों की फाइल, पानी की समस्या शहर में बरकरार है. कूड़े और गंदगी का अंबार है. इन पर कोई चर्चा अधिवेशन में नहीं किया गया. समाजसेवी ने कहा कि गुप-चुप और प्रायोजित तरीके से भाजपा पार्षदों ने प्रस्ताव पढ़ा और महापौर ने मोहर लगा दी. नगर निगम में इस पर न कोई चर्चा और न ही बहस हुई. इसे केवल मीडिया के जरिए खबर फैला दी गई कि अलीगढ़ का नाम हरिगढ़ हो रहा है. जो शासन को भेजा गया है. उन्होंने कहा कि यह जनता का अपमान और धोखा है. मेयर और भाजपा पार्षदों ने धोखा दिया है. एक पार्षद के प्रस्ताव पर कैसे अलीगढ़ का नाम बदला जा सकता है. जबकि अलीगढ़ की आबादी करीब 40 लाख है.

भावनाएं भड़काने का काम किया जा रहा है
वकील विनेश पाल सिंह ने बताया कि मुगल शासन के समय हिंदुओं पर अत्याचार किया गया और नाम बदलकर अलीगढ़ रखा गया. मुगल काल में किया गया यह काम सरासर गलत था. अगर इसका नाम हरिगढ़ होता है तो यह सम्मान जनक होगा. उन्होंने कहा कि यहां ज्यादा आबादी हिंदुओं की है. इसलिए हरिगढ़ किया जाना आवश्यक है. पूर्व पार्षद निवासी मुज्जफर सईद ने कहा कि उन्हें मीडिया से पता चला कि अलीगढ़ का नाम हरिगढ़ हो रहा है. यह अफसोस की बात है हमारी रोजमर्रा की समस्या सड़क, पानी, नाली की समस्या क्या हरिगढ़ बनने से खत्म हो जाएगी. क्या जनता को इससे कोई लाभ होगा. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव 2024 होने वाले हैं. इसलिए चुनाव को लेकर भावनाएं भड़काने का काम किया जा रहा है.

सपा पार्षद दल के नेता अपनी जिम्मेदारी से भागे
समाजवादी पार्टी के पार्षद मुशर्रफ हुसैन ने कहा कि पिछले कई सालों से भाजपा यह प्रयास कर रही है. अलीगढ़ का नाम हरिगढ़ कर दिया जाए. लेकिन सपा के लोग और मुस्लिम समाज के लोग इसका नाम अलीगढ़ ही रखेंगे. उन्होंने कहा कि सपा में जिनको पार्षद दल का नेता बनाया गया था. उन्हें विरोध करना चाहिए था. लेकिन वह अपनी जिम्मेदारी से भाग गए. उन्होंने कहा कि धोखे से प्रस्ताव पास कराया गया है. वह इस बात की शिकायत सपा मुखिया अखिलेश यादव से करेंगे.


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