अलीगढ़: खबरों में 29 अप्रैल का दिन पृथ्वी के लिये प्रलय वाला दिन बताया जा रहा था. लोगों में यह चर्चा आग की तरह फैली हुई थी. दुनिया भर में भय का वातावरण पैर पसार रहा था. इसको लेकर हैरी एस्ट्रोनामी क्लब ने 29 अप्रैल को गंभीरता से लिया और खगोलीय घटनाओं के अध्ययन में जुटा रहा.
अलीगढ़ में बुधवार हैरी एस्ट्रोनॉमी क्लब के अध्यक्ष संजय खत्री और तकनीकी जानकर दिलीप कुमार के साथ प्रवक्ता रंजन राना ने सुबह से शाम 5 बजे तक टेलिस्कोप की सहायता से खगोलीय घटनाओं का अध्ययन जारी रखा और निष्कर्ष निकाला कि जिस आकाशीय पिंड को प्रलय का कारण बताया जा रहा था. वह एक क्षुद्र ग्रह है.
लगातार सूर्य की परिक्रमा कर रहा
इसे 1998 ओआर-2 के नाम से जाना जाता है और यह निरंतर सूर्य की परिक्रमा कर रहा है. इसका व्यास 2 किलोमीटर से अधिक है. यह पृथ्वी से 6.3 मिलियन किलोमीटर दूर होकर गुजरा है. यह क्षुद्र ग्रह आज के बाद 3 वर्ष 8 माह बाद या 1344 दिनों बाद पुनः दिखेगा.
मसालेदार खबर बनाकर प्रचारित करना गलत
क्लब के प्रवक्ता रंजन राना ने बताया कि खगोलीय अध्ययनकर्ताओं ने इस क्षुद्र ग्रह को 'संभावित खतरनाक पिंड' (पीएचओ) की श्रेणी में रखा है. परंतु इसका मतलब उलट दिया गया और अधिकांश समाचारों के स्रोत द्वारा इस पिंड को भी मसालेदार खबर बनाकर प्रचारित किया गया. जोकि किसी भी तरह से समाज के लिए उचित नहीं है.
3.5 गुना नजदीक से गुजर सकता है
सब जानते हैं कि विज्ञान के साथ अंधविश्वास भी जड़ें जमाए हुए है. रंजन राना ने कहा कि 2079 में यह क्षुद्र ग्रह धरती के निकट 3.5 गुना नजदीक से गुजर सकता है. जोकि भविष्य की चिंता से जुड़ा हो सकता है, लेकिन अभी नहीं था. इस अध्ययन में क्लब के निदेशक केशव कुमार खत्री ने लॉक डाउन के कारण दिल्ली से ही मार्गदर्शन किया.