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लॉकडाउन में जानवरों का पेट भर रहा अलीगढ़ का यह परिवार - ration distribution in animals

अलीगढ़ में एक परिवार ऐसा भी है जो अपने घर रोटियां बनाकर बेजुबान जानवरों को खाना मुहैया करा रहा है. लॉकडाउन के दौरान यह परिवार बंदर, गाय और कुत्तों को खाना खिलाकर एक मिसाल पेश कर रहा है.

family distribute food in animals
लॉकडाउन के दौरान अनुराग वार्ष्णेय जानवरों को खिला रहे हैं खाना
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Published : Apr 9, 2020, 11:07 PM IST

अलीगढ़ : बेजुबान जानवरों को खाना खिला रहा परिवार थाना क्वार्सी क्षेत्र के सेंटर प्वाइंट इलाके का रहने वाला है. इस परिवार की सदस्य कविता वार्ष्णेय ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान हमारे जानवर विचलित हो रहे हैं. इसलिए हमने फैसला किया हम रोज रोटियां बनाकर जानवरों को खाना खिलाएंगे.

कविता वार्ष्णेय ने कहा कि हम बच्चों के साथ मिलकर 4 से 5 किलो आटे की 50 से 60 रोटियां बनाते हैं. फिर उनके पति वह रोटियां गाय, कुत्ते और बंदरों को खिला देते हैं. ऐसा वो लॉकडाउन के अगले दिन से ही कर रहे हैं और जब तक लॉकडाउन है तब तक तो यह काम जारी रहेगा. यह एक सेवा ही है.

कविता वार्ष्णेय के पति अनुराग वार्ष्णेय ने बताया कि प्रशासन सब लोगों को खाना खिला रहा है, लेकिन इन जानवरों की कोई नहीं सोच रहा था. इसलिए मेरा परिवार इनके लिए खाना बनाता है और खाना बनाकर हम इनको खिलाते हैं. भूखा होने की वजह से बंदर, गाय और कुत्ते रात में रोते हैं. उनकी आवाजें आती हैं इसलिए मन में पीड़ा रहती है. इनकी भी सेवा करनी चाहिए, जिससे इनका भी पेट भरे.

अलीगढ़ : बेजुबान जानवरों को खाना खिला रहा परिवार थाना क्वार्सी क्षेत्र के सेंटर प्वाइंट इलाके का रहने वाला है. इस परिवार की सदस्य कविता वार्ष्णेय ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान हमारे जानवर विचलित हो रहे हैं. इसलिए हमने फैसला किया हम रोज रोटियां बनाकर जानवरों को खाना खिलाएंगे.

कविता वार्ष्णेय ने कहा कि हम बच्चों के साथ मिलकर 4 से 5 किलो आटे की 50 से 60 रोटियां बनाते हैं. फिर उनके पति वह रोटियां गाय, कुत्ते और बंदरों को खिला देते हैं. ऐसा वो लॉकडाउन के अगले दिन से ही कर रहे हैं और जब तक लॉकडाउन है तब तक तो यह काम जारी रहेगा. यह एक सेवा ही है.

कविता वार्ष्णेय के पति अनुराग वार्ष्णेय ने बताया कि प्रशासन सब लोगों को खाना खिला रहा है, लेकिन इन जानवरों की कोई नहीं सोच रहा था. इसलिए मेरा परिवार इनके लिए खाना बनाता है और खाना बनाकर हम इनको खिलाते हैं. भूखा होने की वजह से बंदर, गाय और कुत्ते रात में रोते हैं. उनकी आवाजें आती हैं इसलिए मन में पीड़ा रहती है. इनकी भी सेवा करनी चाहिए, जिससे इनका भी पेट भरे.

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