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विश्व एड्स दिवस विशेष: अनजाने में जो बने मरीज, अब बन गए 'पॉजिटिव' जिंदगी के हमदर्द 'सारथी' - world AIDS Day

जाने-अनजाने में जो लोग कभी एचआईवी बीमारी के शिकार हुए थे. आज वे नए मरीजों के हमदर्द बनकर उनका दर्द बांटकर हौसला बढ़ा रहे है. उनका कहना है कि समय से दवा और खान-पान का ध्यान रखा तो वे नॉर्मल जिंदगी जी सकते है.

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विश्व एड्स दिवस
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Published : Dec 1, 2022, 12:52 PM IST

आगरा: ताजनगरी में भले ही जिन्हें जाने-अनजाने में लाइलाज बीमारी मिली. जिसकी जांच रिपोर्ट से वे घबराए नहीं. डरे नहीं. डटे हैं. दवा और 'पॉजिटिव' सोच से नॉर्मल जिंदगी जी रहे हैं और अब लाइलाज बीमारी के नए मरीजों के हमदर्द बनकर उनका दर्द बांटकर हौसला अफजाई भी कर रहे हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं. उन 25 एचआईवी एड्स पीड़ितों की. जो, एसएन मेडिकल कॉलेज के एआरटी सेंटर पर सेवाएं दे रहे हैं. वहां आने वाले नए एड्स पीड़ितों का मनोबल बढ़ा रहे हैं. उन्हें बता रहे हैं कि, घबराएं नहीं. अब दवाएं अच्छी हैं. जिन्हें लेने से नार्मल की तरह जिंदगी बिता सकते हैं. बस नियमित दवाएं खाएं और सही खानपान रखें.

एआरटी सेंटर एसएनएमसी के प्रभारी डॉ. जितेंद्र दोनेरिया

पढ़िए विश्व एड्स दिवस पर कुछ खासे बातें...
एसएन मेडिकल कॉलेज के एआरटी सेंटर प्रभारी डॉ.जितेंद्र दौनेरिया ने बताया कि, सन् 2009 में एसएन मेडिकल कॉलेज (SN Medical College) में एआरटी सेंटर की शुरुआत हुई थी. तब से लेकर अब तक यहां पर 11610 एचआईवी एड्स के मरीज पंजीकृत हुए हैं, जिनमें से 4716 एचआईवी संक्रमित अभी भी दवा ले रहे हैं. अगर, एचआईवी एड्स पॉजिटिव की मौत के आंकड़ों की बात करें तो एआरटी सेंटर से पहले आगरा में 586 एचआईवी एड्स पीड़ित की मौत हुई थी. लेकिन, सेंटर खुलने के बाद देरी से एड्स पीड़ित यहां आए. इस वजह से आंकड़ा भयावह है. अब तक 2591 एचआईवी एड्स पीड़ित की मौत हो चुकी है.

एसएन मेडिकल कॉलेज के एआरटी सेंटर प्रभारी डॉ.जितेंद्र दौनेरिया ने बताया कि, एचआईवी एड्स की अब नई दवाएं बेहतर कारगर साबित हो रही है. एचआईवी पॉजिटिव यदि जल्द एआरटी सेंटर से जुड़े जाएं और समय से दवाएं लेना शुरू कर दें तो वे नॉर्मल लाइफ जी सकते हैं. जल्द दवा शुरू होने से शरीर में वायरस शरीर में एक्टिव नहीं हो पाता है, जिससे इम्यूनिटी कमजोर नहीं होती है. दूसरी बीमारी है उन्हें घेर नहीं पाती हैं.

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विश्व एड्स दिवस

एसएन मेडिकल कॉलेज के एआरटी सेंटर प्रभारी डॉ.जितेंद्र दौनेरिया ने बताया कि, एआरटी सेंटर से जो पुराने एचआईवी संक्रमित जुड़े हैं. उन्हें दवाओं के बारे में सही जानकारी है. खान-पान क्या रखना है. अपनी दैनिक दिनचर्या क्या रखनी है. यह सब जानते और समझ चुके हैं. जान चुके हैं. इसके चलते ही एआरटी सेंटर में आकर नए एचआईवी संक्रमित आए हैं, जो कि डरे होते हैं. उन्हें दवाओं की सही जानकारी नहीं होती है. वे बीमारी दबाए रहते हैं. पुराने एचआईवी पॉजिटिव आकर ऐसे तमाम नए एचआईवी पॉजिटिव की काउंसलिंग करते हैं. उन्हें नई दवाओं के बारे में जानकारी देते हैं. उन्हें यह भी समझाते हैं कि, उन्हें अपना खानपान कैसा रखना है, जिससे वे नियमित दवा खाकर नॉर्मल लाइफ जी सकते हैं.

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एआरटी सेंटर

एड्स क्या है
एड्स यानी एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिशिएंसी सिंड्रोम एक ऐसी बीमारी है. जो, एचआईवी वायरस मानव शरीर में प्रवेश करने के बाद कई सालों तक निष्क्रिय रहता है. धीरे धीरे वायरस शरीर के अंदर अपनी संख्या बढ़ाता है. और श्वेत रक्त कणिकाओं को नष्ट करता है. एचआईवी वायरस शरीर में प्रवेश करने के बाद भी 15-20 सालों तक मरीज स्वस्थ दिखता है. लेकिन, उसकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो जाती है.

आगरा में एचआईवी पॉजिटिव पर एक नजर

एचआईवी की वजहएचआईवी पॉजिटिव की संख्या
असुरक्षित यौन संबंध5571
अज्ञात कारण 3003
सेक्स वर्कर 791
मां से बच्चों में729
ब्लड ट्रांसफ्यूजन 535
अनसेफ इंजेक्शन368
समलैंगिक संबंध272

चार साल का आंकड़ा

सन्नए एचआईवी पॉजिटिव मिले
2019803
2020437
2021530
2022492


आगरा एआरटी सेंटर

आगरा: ताजनगरी में भले ही जिन्हें जाने-अनजाने में लाइलाज बीमारी मिली. जिसकी जांच रिपोर्ट से वे घबराए नहीं. डरे नहीं. डटे हैं. दवा और 'पॉजिटिव' सोच से नॉर्मल जिंदगी जी रहे हैं और अब लाइलाज बीमारी के नए मरीजों के हमदर्द बनकर उनका दर्द बांटकर हौसला अफजाई भी कर रहे हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं. उन 25 एचआईवी एड्स पीड़ितों की. जो, एसएन मेडिकल कॉलेज के एआरटी सेंटर पर सेवाएं दे रहे हैं. वहां आने वाले नए एड्स पीड़ितों का मनोबल बढ़ा रहे हैं. उन्हें बता रहे हैं कि, घबराएं नहीं. अब दवाएं अच्छी हैं. जिन्हें लेने से नार्मल की तरह जिंदगी बिता सकते हैं. बस नियमित दवाएं खाएं और सही खानपान रखें.

एआरटी सेंटर एसएनएमसी के प्रभारी डॉ. जितेंद्र दोनेरिया

पढ़िए विश्व एड्स दिवस पर कुछ खासे बातें...
एसएन मेडिकल कॉलेज के एआरटी सेंटर प्रभारी डॉ.जितेंद्र दौनेरिया ने बताया कि, सन् 2009 में एसएन मेडिकल कॉलेज (SN Medical College) में एआरटी सेंटर की शुरुआत हुई थी. तब से लेकर अब तक यहां पर 11610 एचआईवी एड्स के मरीज पंजीकृत हुए हैं, जिनमें से 4716 एचआईवी संक्रमित अभी भी दवा ले रहे हैं. अगर, एचआईवी एड्स पॉजिटिव की मौत के आंकड़ों की बात करें तो एआरटी सेंटर से पहले आगरा में 586 एचआईवी एड्स पीड़ित की मौत हुई थी. लेकिन, सेंटर खुलने के बाद देरी से एड्स पीड़ित यहां आए. इस वजह से आंकड़ा भयावह है. अब तक 2591 एचआईवी एड्स पीड़ित की मौत हो चुकी है.

एसएन मेडिकल कॉलेज के एआरटी सेंटर प्रभारी डॉ.जितेंद्र दौनेरिया ने बताया कि, एचआईवी एड्स की अब नई दवाएं बेहतर कारगर साबित हो रही है. एचआईवी पॉजिटिव यदि जल्द एआरटी सेंटर से जुड़े जाएं और समय से दवाएं लेना शुरू कर दें तो वे नॉर्मल लाइफ जी सकते हैं. जल्द दवा शुरू होने से शरीर में वायरस शरीर में एक्टिव नहीं हो पाता है, जिससे इम्यूनिटी कमजोर नहीं होती है. दूसरी बीमारी है उन्हें घेर नहीं पाती हैं.

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विश्व एड्स दिवस

एसएन मेडिकल कॉलेज के एआरटी सेंटर प्रभारी डॉ.जितेंद्र दौनेरिया ने बताया कि, एआरटी सेंटर से जो पुराने एचआईवी संक्रमित जुड़े हैं. उन्हें दवाओं के बारे में सही जानकारी है. खान-पान क्या रखना है. अपनी दैनिक दिनचर्या क्या रखनी है. यह सब जानते और समझ चुके हैं. जान चुके हैं. इसके चलते ही एआरटी सेंटर में आकर नए एचआईवी संक्रमित आए हैं, जो कि डरे होते हैं. उन्हें दवाओं की सही जानकारी नहीं होती है. वे बीमारी दबाए रहते हैं. पुराने एचआईवी पॉजिटिव आकर ऐसे तमाम नए एचआईवी पॉजिटिव की काउंसलिंग करते हैं. उन्हें नई दवाओं के बारे में जानकारी देते हैं. उन्हें यह भी समझाते हैं कि, उन्हें अपना खानपान कैसा रखना है, जिससे वे नियमित दवा खाकर नॉर्मल लाइफ जी सकते हैं.

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एआरटी सेंटर

एड्स क्या है
एड्स यानी एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिशिएंसी सिंड्रोम एक ऐसी बीमारी है. जो, एचआईवी वायरस मानव शरीर में प्रवेश करने के बाद कई सालों तक निष्क्रिय रहता है. धीरे धीरे वायरस शरीर के अंदर अपनी संख्या बढ़ाता है. और श्वेत रक्त कणिकाओं को नष्ट करता है. एचआईवी वायरस शरीर में प्रवेश करने के बाद भी 15-20 सालों तक मरीज स्वस्थ दिखता है. लेकिन, उसकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो जाती है.

आगरा में एचआईवी पॉजिटिव पर एक नजर

एचआईवी की वजहएचआईवी पॉजिटिव की संख्या
असुरक्षित यौन संबंध5571
अज्ञात कारण 3003
सेक्स वर्कर 791
मां से बच्चों में729
ब्लड ट्रांसफ्यूजन 535
अनसेफ इंजेक्शन368
समलैंगिक संबंध272

चार साल का आंकड़ा

सन्नए एचआईवी पॉजिटिव मिले
2019803
2020437
2021530
2022492


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