आगरा : उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम(Uttar Pradesh State Road Transport Corporation) के अधिकारियों की मुश्किलें आगरा के पानी ने बढ़ा दीं हैं. क्योंकि, यहां का भूमिगत जल खारा और फ्लोराइड युक्त है. जिसका टीडीएस 1200 से अधिक है. अधिक टीडीएस वाले पानी से रोडवेज बसों की धुलाई होती है. इससे लाखों रुपये की बसें 10 से 12 माह में कंडम हो रही हैं. इस पानी की धुलाई से रोडवेज बसों की बॉडी गल रही हैं. जिससे कभी भी हादसे होने के डर से यात्रियों का सफर भी जोखिम भरा रहता है. लखनऊ से आए नोडल अधिकारी के निरीक्षण में बसों के जल्द कंडम होने की रिपोर्ट भी सुपुर्द की गई है. जिस पर अब शासन स्तर पर मंथन शुरू हो गया है. क्योंकि, पहले ही निगम बसों की कमी से जूझ रहा है.
आगरा परिक्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक अशोक कुमार का कहना है कि आगरा फोर्ट, ताज डिपो, ईदगाह डिपो, फाउंड्रीनगर डिपो, बाह डिपो और मथुरा डिपो हैं. सबसे ज्यादा आगरा फोर्ट, ताज डिपो, ईदगाह डिपो और फाउंड्रीनगर डिपो में रोडवेज बसें जल्दी कंडम हो रही हैं. जबकि, बाह डिपो की रोडवेज बसों की चार से पांच साल में बॉडी गल रही है. बाह डिपो में पानी ठीक है, इसलिए, वहां की बसें चार साल से पांच साल में खराब हो रही है.
आगरा परिक्षेत्र के सेवा प्रबंधक अनुराग यादव ने बताया कि परिक्षेत्र के सभी डिपो में रोडवेज बसों की धुलाई की व्यवस्था है. जहां पर बसों की वॉशिंग प्लांट में धुलाई की जाती है. धुलाई के बाद ही बसें सड़क पर उतरती हैं. आगरा शहर के भूजल की बात करें तो यह बेहद खराब है. यह पानी खारा है. जिसमें 1200 से अधिक टीडीएस है. जिससे आगरा के चार डिपो की बसों की बॉडी गल जाती है. ऐसी बसों को दुरस्त करने के लिए अधिक कर्मचारी भी लगाने पड़ते हैं. जिसके चलते क्षेत्रीय कार्यशाला में हर माह 15 से 20 बसों की बॉडी बदलने या दुरुस्त करने का काम किया जा रहा है. अनुराग यादव ने बताया कि जिनकी बॉडी कंडम हो गई है. ये वे बसों होती हैं. जिनकी मैकेनिकल स्थिति अच्छी होती है. उनकी नई बॉडी का बनवाए जाने का काम केंद्रीय कार्यशाला कानपुर में होता है. जबकि, बाह में भूजल सही है. बेहतर भूजल की वजह से बाह डिपो में धुलाई के बाद रोडवेज बसों की बॉडी पर बुरा असर नहीं होता है.
सबसे ज्यादा समस्या आगरा के चार डिपो में है, यहां पर 334 बसें हैं. इनमें से ही हाल में हाइवे पर दौड़ रही कंडम बस का पैर दान टूट गया था. जिसमें कई सवारियां चोटिल हो गई थीं. देखा जाए तो अभी भी दर्जनों बसें सड़कों पर दौड़ रही हैं. जिसमें हजारों यात्री सफर कर रहे हैं. जल्द से जल्द बसों की बॉडी खराब होने और इसके समाधान को लेकर परिवहन निगम के अधिकारी माथापच्ची कर रहे हैं. जिससे बसों को जल्द कंडम होने से रोका जा सके. पानी की भी बर्बादी न हो. और यात्रियों को आरामदायक और सुरक्षित सफर कराया जा सके.
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