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UPSRTC पर भी टूटा कोरोना का कहर, रोजाना हो रहा लाखों का नुकसान

उत्तर प्रदेश के आगरा में कोरोना को ध्यान में रखते हुए परिवहन निगम काफी एहतियात बरत रहा है. वहीं यात्रियों की संख्या कम होने से विभाग को काफी घाटा हो रहा है.

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Published : Jun 16, 2020, 12:21 PM IST

Buses are being sanitized
बसों को किया जा रहा सैनिटाइज

आगरा: कोविड-19 ने जनमानस की जिंदगी में उथल-पुथल मचा रखी है. खानपान और रहन-सहन से लेकर बस और ट्रेनों में सफर करने का तरीका एकदम बदल गया है. एक जून से अनलॉक-1 में उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) प्रदेश में यात्रियों को सुरक्षित सफर करा रहा है.

परिवहन निगम रोडवेज बसों को डिपो में सैनिटाइज करा के बस स्टैंड भेज रहा है, जहां से सोशल डिस्टेंस और सैनिटाइजेशन का ध्यान रखते हुए यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचाया जा रहा है. मगर यात्रियों की कमी से रोडवेज बसों का संचालन निगम के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा है.

आगरा क्षेत्र के पांच डिपो की बसों ने लॉकडाउन में अलग-अलग राज्यों से आए 1.40 लाख प्रवासी मजदूरों को गंतव्य तक पहुंचाया. आगरा से हरियाणा, दिल्ली, एमपी, राजस्थान और बिहार बॉर्डर के साथ ही पड़ोसी देश नेपाल बॉर्डर तक प्रवासी मजदूरों को पहुंचाया.

बसों को किया जा रहा सैनिटाइज

यूं होती हैं बसें सैनिटाइज
ईदगाह डिपो के सीनियर फोरमैन जसवीर राणा ने बताया कि रूट से चलकर लौटी बसों में डीजल भरने के बाद उसे ऑटोमेटिक वॉशिंग प्लांट में लाया जाता है. यहां पर बसों की सफाई की जाती है, फिर मशीन से सैनिटाइजर और पानी से बसों की धुलाई की जाती है. इसके बाद ही बस को डिपो से बस स्टैंड भेजा जाता है.

यात्री अजय पाण्डेय ने बताया कि बसें साफ सुथरी हैं. बस परिचालक के पास सैनिटाइजर भी है. यात्री, चालक और परिचालक मास्क लगाए हैं. परिचालक प्रमोद कुमार ने बताया कि सोशल डिस्टेंस का पूरा ध्यान रखा जा रहा है. बस में सैनिटाइजर भी है. बस में 20 से 25 यात्री को ही बैठाया जा रहा है. 50% सीटें खाली रहती हैं.

बसों का संचालन घाटे का सौदा
आगरा क्षेत्र के सेवा प्रबंधक एसपी सिंह ने बताया कि चालक और परिचालक को सैनिटाइजर दिया है, जो बस में बैठाने से पहले यात्रियों के हाथों को सैनिटाइज कराते हैं. बस स्टैंड पर भी प्रवेश और निकास द्वार अलग-अलग हैं, जहां सैनिटाइजेशन और थर्मल स्कैनिंग की जाती है.

अनलॉक-1 में 1 जून से रोडवेज बसों का सोशल डिस्टेंस और सैनिटाइजेशन के साथ संचालन शुरू किया गया. मगर रोडवेज की बसों में सफर करने वाले यात्रियों की संख्या कम है. हर दिन यात्रियों की संख्या बढ़ रही है. अभी बसों में 25 से 30 % ही यात्री सफर कर रहे हैं, जिससे विभाग घाटे में है.

जरूरी आंकड़े

  • आगरा क्षेत्र में 6 डिपो हैं जो आगरा फोर्ट डिपो, ईदगाह डिपो, ताज डिपो, बाह डिपो, फाउंड्री नगर डिपो और मथुरा डिपो हैं.
  • आगरा क्षेत्र के छह डिपो से 585 बसों का संचालन किया जाता है.
  • अनलॉक-1 में यात्रियों की संख्या कम होने से 385 बसें डिपो में खड़ी हुई हैं.
  • हर माह आगरा क्षेत्र के छह डिपो की बसों के सैनिटाइजेशन, बसों के सैनिटाइजर और कार्य का खर्चा करीब 16 लाख रुपये.
  • लॉकडाउन से पहले आगरा क्षेत्र में रोडवेज बसों से विभाग की हर दिन की औसत कमाई 75 लाख रुपये थी.
  • अनलॉक में रोडवेज बसों से विभाग की हर दिन की औसत कमाई 20 से 25 लाख की कमाई हो रही है.
  • हर डिपो में चार से छह कर्मचारी जो पहले बसों की धुलाई करते थे, वहीं धुलाई के साथ सैनिटाइजेशन का काम कर रहे हैं.

कोविड-19 को लेकर यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए सभी डिपो की कार्यशाला में ऑटोमेटिक वॉशिंग मशीन से बसों को सैनिटाइज किया जाता है. वहीं बसों को बस स्टैंड भेजा जाता है. मगर यात्रियों की कमी परिवहन विभाग की नई मुसीबत बन रही है.

आगरा: कोविड-19 ने जनमानस की जिंदगी में उथल-पुथल मचा रखी है. खानपान और रहन-सहन से लेकर बस और ट्रेनों में सफर करने का तरीका एकदम बदल गया है. एक जून से अनलॉक-1 में उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) प्रदेश में यात्रियों को सुरक्षित सफर करा रहा है.

परिवहन निगम रोडवेज बसों को डिपो में सैनिटाइज करा के बस स्टैंड भेज रहा है, जहां से सोशल डिस्टेंस और सैनिटाइजेशन का ध्यान रखते हुए यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचाया जा रहा है. मगर यात्रियों की कमी से रोडवेज बसों का संचालन निगम के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा है.

आगरा क्षेत्र के पांच डिपो की बसों ने लॉकडाउन में अलग-अलग राज्यों से आए 1.40 लाख प्रवासी मजदूरों को गंतव्य तक पहुंचाया. आगरा से हरियाणा, दिल्ली, एमपी, राजस्थान और बिहार बॉर्डर के साथ ही पड़ोसी देश नेपाल बॉर्डर तक प्रवासी मजदूरों को पहुंचाया.

बसों को किया जा रहा सैनिटाइज

यूं होती हैं बसें सैनिटाइज
ईदगाह डिपो के सीनियर फोरमैन जसवीर राणा ने बताया कि रूट से चलकर लौटी बसों में डीजल भरने के बाद उसे ऑटोमेटिक वॉशिंग प्लांट में लाया जाता है. यहां पर बसों की सफाई की जाती है, फिर मशीन से सैनिटाइजर और पानी से बसों की धुलाई की जाती है. इसके बाद ही बस को डिपो से बस स्टैंड भेजा जाता है.

यात्री अजय पाण्डेय ने बताया कि बसें साफ सुथरी हैं. बस परिचालक के पास सैनिटाइजर भी है. यात्री, चालक और परिचालक मास्क लगाए हैं. परिचालक प्रमोद कुमार ने बताया कि सोशल डिस्टेंस का पूरा ध्यान रखा जा रहा है. बस में सैनिटाइजर भी है. बस में 20 से 25 यात्री को ही बैठाया जा रहा है. 50% सीटें खाली रहती हैं.

बसों का संचालन घाटे का सौदा
आगरा क्षेत्र के सेवा प्रबंधक एसपी सिंह ने बताया कि चालक और परिचालक को सैनिटाइजर दिया है, जो बस में बैठाने से पहले यात्रियों के हाथों को सैनिटाइज कराते हैं. बस स्टैंड पर भी प्रवेश और निकास द्वार अलग-अलग हैं, जहां सैनिटाइजेशन और थर्मल स्कैनिंग की जाती है.

अनलॉक-1 में 1 जून से रोडवेज बसों का सोशल डिस्टेंस और सैनिटाइजेशन के साथ संचालन शुरू किया गया. मगर रोडवेज की बसों में सफर करने वाले यात्रियों की संख्या कम है. हर दिन यात्रियों की संख्या बढ़ रही है. अभी बसों में 25 से 30 % ही यात्री सफर कर रहे हैं, जिससे विभाग घाटे में है.

जरूरी आंकड़े

  • आगरा क्षेत्र में 6 डिपो हैं जो आगरा फोर्ट डिपो, ईदगाह डिपो, ताज डिपो, बाह डिपो, फाउंड्री नगर डिपो और मथुरा डिपो हैं.
  • आगरा क्षेत्र के छह डिपो से 585 बसों का संचालन किया जाता है.
  • अनलॉक-1 में यात्रियों की संख्या कम होने से 385 बसें डिपो में खड़ी हुई हैं.
  • हर माह आगरा क्षेत्र के छह डिपो की बसों के सैनिटाइजेशन, बसों के सैनिटाइजर और कार्य का खर्चा करीब 16 लाख रुपये.
  • लॉकडाउन से पहले आगरा क्षेत्र में रोडवेज बसों से विभाग की हर दिन की औसत कमाई 75 लाख रुपये थी.
  • अनलॉक में रोडवेज बसों से विभाग की हर दिन की औसत कमाई 20 से 25 लाख की कमाई हो रही है.
  • हर डिपो में चार से छह कर्मचारी जो पहले बसों की धुलाई करते थे, वहीं धुलाई के साथ सैनिटाइजेशन का काम कर रहे हैं.

कोविड-19 को लेकर यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए सभी डिपो की कार्यशाला में ऑटोमेटिक वॉशिंग मशीन से बसों को सैनिटाइज किया जाता है. वहीं बसों को बस स्टैंड भेजा जाता है. मगर यात्रियों की कमी परिवहन विभाग की नई मुसीबत बन रही है.

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