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UP Nikay Chunav: सुप्रीम कोर्ट की शरण में अखिल भारतीय महापौर परिषद, बनाया नगर निगम की इस धारा को आधार

यूपी के नगर निगमों में बोर्ड का कार्यकाल 17 जनवरी को समाप्त हो गया है. इसी बीच अखिल भारतीय महापौर परिषद ने नगरीय निकाय चुनाव के तक वर्तमान महापौरों का कार्यकाल बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है.

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अखिल भारतीय महापौर परिषद
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Published : Jan 20, 2023, 1:55 PM IST

आगराः यूपी के नगर निगमों में बोर्ड का कार्यकाल 17 जनवरी को समाप्त हो गया है. सूबे के सभी 17 निगम की कमान वहां के नगरायुक्त के हवाले है, क्योंकि यूपी में ओबीसी आरक्षण की वजह से नगरीय निकाय चुनाव टल गए हैं. ओबीसी आरक्षण को लेकर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शरण ली और ओबीसी आरक्षण के लिए कमेटी बनाई है.

इसी बीच अखिल भारतीय महापौर परिषद ने नगरीय निकाय चुनाव के तक वर्तमान महापौरों का कार्यकाल बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है. इसमें नगर निगम अधिनियम की धारा 15(3) को आधार बनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका स्वीकार करके राज्य सरकार के संबंधित विभागों को नोटिस जारी किए हैं. अखिल भारतीय महापौर परिषद की याचिका पर 27 जनवरी- 2023 को सुनवाई होनी है. यूपी में पहले भी ऐसा हो चुका है. अभी, सभी नगर निगमों की कार्यकारिणी के स्थान पर डीएम की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी ही निगम के बड़े मामलों पर निर्णय लेगी.

बता दें कि यूपी सरकार ने पांच दिसंबर 2022 को 17 नगर निगम, 199 नगर पालिका और 545 नगर पंचायतों में चुनाव कराने के लिए आरक्षण की अधिसूचना जारी की थी. ओबीसी आरक्षण के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई, जिसमें यूपी सरकार पर आरक्षण तय करने में सुप्रीम कोर्ट के ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले का पालन नहीं करने का आरोप लगाया गया. इसको लेकर यूपी सरकार भी सुप्रीम कोर्ट में चली गई, जिससे ही नगरीय निकाय चुनाव अटक गए हैं.

नगर निगम अधिनियम की धारा 15(3) बनाई आधार
अखिल भारतीय महापौर परिषद के अध्यक्ष व आगरा महापौर नवीन जैन का कहना है कि परिषद ने नगर निगम अधिनियम की धारा 15(3) के तहत नगर निगम में महापौर का कार्यकाल नए महापौर तक होता है. इसी धारा को आधार बनाकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. इस बारे में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के संबंधित विभागों को नोटिस जारी किए हैं. अखिल भारतीय महापौर परिषद की याचिका पर सुनवाई 27 जनवरी को होनी है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी उम्मीद
अखिल भारतीय महापौर परिषद के अध्यक्ष व आगरा महापौर नवीन जैन का कहना है कि, सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर फैसला यदि अखिल भारतीय महापौर परिषद के पक्ष में दिया तो यूपी के सभी नगर निगमों के महापौर का कार्यकाल का अगले महापौर के चुनाव तक बढ़ जाएगा. सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सभी नगर निगम में महापौर और उनकी कार्यकारिणी भी अस्तित्व में आ जाएंगी.

आगरा में पहले हो चुका है ऐसा
अखिल भारतीय महापौर परिषद के अध्यक्ष व आगरा महापौर नवीन जैन का कहना है कि बात सन 2011 की है. आगरा नगर निगम में तब भाजपा की अंजुला माहौर महापौर थी. वर्तमान में अंजुला माहौर हाथरस सदर विधानसभा से भाजपा विधायक हैं. पूर्व महापौर व भाजपा विधायक अंजुला माहौर का कार्यकाल पूरा हो गया था. नगर निगम अधिनियम की धारा 15(3) के तहत उनका भी कार्यकाल महापौर के चुनाव तक बढ़ाया था. इसलिए नगर निगम अधिनियम की धारा 15(3) के तहत ही अखिल भारतीय महापौर परिषद सुप्रीम कोर्ट में गई है.

नए सिरे से होगा ओबीसी आरक्षण, तब होंगे चुनाव
यूपी सरकार ने नगरीय निकाय चुनाव के लिए आरक्षण भी जारी कर दिया था. सरकार ने चुनाव की पूरी तैयारी कर ली थी, लेकिन ओबीसी आरक्षण पर रार खड़ी हुई तो मामला हाईकोर्ट पहुंच गया. योगी सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की शरण ली. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में ट्रिपिल टेस्ट के नियमों को पालन करते हुए ओबीसी आरक्षण तय करके बाद चुनाव कराने के निर्देश दिए हैं. जिस पर प्रदेश सरकार ने ओबीसी आरक्षण को लेकर एक कमेटी गठित की है. सरकार की ओर से पहले ओबीसी आरक्षण तय होगा. फिर नगरीय निकाय चुनाव होंगे.

पढ़ेंः OBC महासभा ने की निकाय चुनाव में आरक्षण की मांग, कहा- सड़क से लेकर सदन तक करेंगे आंदोलन

आगराः यूपी के नगर निगमों में बोर्ड का कार्यकाल 17 जनवरी को समाप्त हो गया है. सूबे के सभी 17 निगम की कमान वहां के नगरायुक्त के हवाले है, क्योंकि यूपी में ओबीसी आरक्षण की वजह से नगरीय निकाय चुनाव टल गए हैं. ओबीसी आरक्षण को लेकर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शरण ली और ओबीसी आरक्षण के लिए कमेटी बनाई है.

इसी बीच अखिल भारतीय महापौर परिषद ने नगरीय निकाय चुनाव के तक वर्तमान महापौरों का कार्यकाल बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी है. इसमें नगर निगम अधिनियम की धारा 15(3) को आधार बनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका स्वीकार करके राज्य सरकार के संबंधित विभागों को नोटिस जारी किए हैं. अखिल भारतीय महापौर परिषद की याचिका पर 27 जनवरी- 2023 को सुनवाई होनी है. यूपी में पहले भी ऐसा हो चुका है. अभी, सभी नगर निगमों की कार्यकारिणी के स्थान पर डीएम की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी ही निगम के बड़े मामलों पर निर्णय लेगी.

बता दें कि यूपी सरकार ने पांच दिसंबर 2022 को 17 नगर निगम, 199 नगर पालिका और 545 नगर पंचायतों में चुनाव कराने के लिए आरक्षण की अधिसूचना जारी की थी. ओबीसी आरक्षण के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई, जिसमें यूपी सरकार पर आरक्षण तय करने में सुप्रीम कोर्ट के ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले का पालन नहीं करने का आरोप लगाया गया. इसको लेकर यूपी सरकार भी सुप्रीम कोर्ट में चली गई, जिससे ही नगरीय निकाय चुनाव अटक गए हैं.

नगर निगम अधिनियम की धारा 15(3) बनाई आधार
अखिल भारतीय महापौर परिषद के अध्यक्ष व आगरा महापौर नवीन जैन का कहना है कि परिषद ने नगर निगम अधिनियम की धारा 15(3) के तहत नगर निगम में महापौर का कार्यकाल नए महापौर तक होता है. इसी धारा को आधार बनाकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. इस बारे में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के संबंधित विभागों को नोटिस जारी किए हैं. अखिल भारतीय महापौर परिषद की याचिका पर सुनवाई 27 जनवरी को होनी है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी उम्मीद
अखिल भारतीय महापौर परिषद के अध्यक्ष व आगरा महापौर नवीन जैन का कहना है कि, सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर फैसला यदि अखिल भारतीय महापौर परिषद के पक्ष में दिया तो यूपी के सभी नगर निगमों के महापौर का कार्यकाल का अगले महापौर के चुनाव तक बढ़ जाएगा. सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सभी नगर निगम में महापौर और उनकी कार्यकारिणी भी अस्तित्व में आ जाएंगी.

आगरा में पहले हो चुका है ऐसा
अखिल भारतीय महापौर परिषद के अध्यक्ष व आगरा महापौर नवीन जैन का कहना है कि बात सन 2011 की है. आगरा नगर निगम में तब भाजपा की अंजुला माहौर महापौर थी. वर्तमान में अंजुला माहौर हाथरस सदर विधानसभा से भाजपा विधायक हैं. पूर्व महापौर व भाजपा विधायक अंजुला माहौर का कार्यकाल पूरा हो गया था. नगर निगम अधिनियम की धारा 15(3) के तहत उनका भी कार्यकाल महापौर के चुनाव तक बढ़ाया था. इसलिए नगर निगम अधिनियम की धारा 15(3) के तहत ही अखिल भारतीय महापौर परिषद सुप्रीम कोर्ट में गई है.

नए सिरे से होगा ओबीसी आरक्षण, तब होंगे चुनाव
यूपी सरकार ने नगरीय निकाय चुनाव के लिए आरक्षण भी जारी कर दिया था. सरकार ने चुनाव की पूरी तैयारी कर ली थी, लेकिन ओबीसी आरक्षण पर रार खड़ी हुई तो मामला हाईकोर्ट पहुंच गया. योगी सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की शरण ली. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में ट्रिपिल टेस्ट के नियमों को पालन करते हुए ओबीसी आरक्षण तय करके बाद चुनाव कराने के निर्देश दिए हैं. जिस पर प्रदेश सरकार ने ओबीसी आरक्षण को लेकर एक कमेटी गठित की है. सरकार की ओर से पहले ओबीसी आरक्षण तय होगा. फिर नगरीय निकाय चुनाव होंगे.

पढ़ेंः OBC महासभा ने की निकाय चुनाव में आरक्षण की मांग, कहा- सड़क से लेकर सदन तक करेंगे आंदोलन

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