आगरा: मोहब्बत की निशानी ताजमहल (Taj Mahal) तामीर होने के बाद एसआई (ASI) 373 साल में पहली बार गुम्मद पर मड पैक कराएगा, जिससे ताजमहल की चमक बढ़ेगी और उसकी धवल संगमरमरी बदन का पीलापन खत्म होगा. भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई Archaeological Survey of India Department) ने ताजमहल की बची मुख्य गुम्मद पर अब मडपैक ट्रीटमेंट कराने की तैयारी कर ली है. मडपैक ट्रीटमेंट का काम मानसून के बाद होगा. गुंबद पर मड पैक मुल्तानी मिट्टी का लेप लगाकर सफाई का काम करीब छह माह चलेगा. इसके साथ ही ताजमहल के तहखाने में मौजूद मुगल शहंशाह शाहजहां और मुमताज की असली कब्र पर भी मडपैक किया जाएगा. एएसआई इस काम के लिए करीब 60 लाख रुपये खर्च कर रहा है.
मोहब्बत की निशानी ताजमहल को देखने के लिए हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक देश-विदेश से आते हैं. हर कोई ताज के धवल संगमरमरी बदन को देखकर उसकी तारीफ में कसीदे गढ़ता है. मगर, प्रदूषण की मार ताज महल की सुंदरता को फीकी कर रही है. प्रदूषण की वजह से एएसआई (ASI) समय-समय पर ताजमहल पर मडपैक ट्रीटमेंट करता है, जिससे ताज की चमक बरकरार रखी जाए. हाल ही में ताजमहल की दीवार और अन्य हिस्सों पर मडपैक थेरेपी का कार्य किया जा चुका है. इसलिए ताजमहल का मुख्य गुंबद (Dome) ताज के अन्य संगमरमरी हिस्सों से अलग नजर आता है.
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एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि प्रदूषण की वजह से संगमरमर की ऊपरी सतह पर धूल की काली परत जम चुकी है. एएसआई शेड्यूल बनाकर निश्चित समय के बाद धूल कण या प्रदूषण की परत हटाकर संगमरमर को क्लीन किया जाता है. यह मड पैक थेरिपी से किया जाता है, जिसमें मुल्तानी मिटटी की इस्तेमाल किया जाता है. एक शेड्यूल के तहत मकबरे के अन्य हिस्सों का मड पैक किया जा चुका है. सिर्फ, ताजमहल का मुख्य गुंबद और ताजमहल के तहखाने में स्थिति शाहजहां और मुमताज की कब्रें रह गईं हैं. इसका शेड्यूल 2021 का ही है. अभी मानसून का सीजन है. इसलिए मानसून के बाद यह काम एएसआई की ओर से किया जाएगा.
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एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि गुंबद की हाइट बहुत ज्यादा है. वहां पर किसी प्रकार की ग्रिप या सर्फेस नहीं है. मड पैक करने वाले कर्मचारियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पाड़ बांधी जाएगी. इसके बाद ही काम शुरू होगा. इसमें करीब छह माह का समय लगेगा. क्योंकि, जब तक मड पैक खुद ही छूटेगा. तब तक उसे हटा नहीं सकते हैं. इस वजह से समय ज्यादा रहता है.
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औरंगजेब ने क्रेक में भरवाई थी चांदी
वरिष्ठ टूरिस्ट गाइड शमशुद्दीन ने बताया कि ताजमहल की पहले पानी से धुलाई होती थी. मगर, आगरा में हार्ड वाॅटर होने की वजह से उसे बंद कर दिया गया. इसलिए मड पैक थेरेपी का शुरू किया गया. मड पैक सूखकर प्रदूषण और गंदगी को सोख लेता है. इतिहास देखें तो औरंगजेब ने मुख्य गुबंद की मरम्मत जरूर करवाई थी. क्रेक आने पर औरंगजेब ने औरंगाबाद से एक चिठठी लिखी थी. तब क्रेक में चांदी भरी गई थी. ताज महल की मुख्य गुंबद पर अभी तक मड पैक नहीं हुआ है.
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ताजमहल का निर्माण मुगल बादशाह शहंशाह शाहजहां ने सन् 1632-1648 के बीच कराया था. सन् 2015 में गुंबद को छोड़कर पूरे ताजमहल पर मडपैक किया गया था. एएसआई की इंजीनियरिंग शाखा ने इसका अध्ययन करके रिपोर्ट में सफाई के लिए जरूरी पाड़ बांधने के लिए एल्यूमीनियम के पाइप का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया था. ताज का गुंबद मकबरे की छत पर बने 11.45 मीटर ऊंचे ड्रमनुमा ढांचे पर आधारित है. गुंबद 22.86 मीटर ऊंचा है, जिसके ऊपर 9.89 मीटर ऊंची फिनियल (कलश) है. इतनी ऊंचाई पर हवा का दबाव ज्यादा रहता है. इसलिए मडपैक ट्रीटमेंट में बाधा आ सकती है. ताज की छत और गुंबद पर सन् 1941-44 के बीच संरक्षण का काम किया गया था. तब गुंबद के चटके पत्थरों को बदला गया था. उस दौरान 92 हजार रुपये खर्च हुए थे. सन् 1975-76 में भी कुछ काम किया गया.