आगरा : इन दिनों यूपी के वेटलैंड्स में प्रवासी मेहमान पक्षियों का कलरव सबका मनमोह रहा है. ये वेटलैंड्स जहां मेहमान और स्थानीय पक्षियों का आशियाना बने हुए हैं, वहीं पर्यावरण के लिए भी बेहद अहम हैं. पूरी दुनिया हर साल दो फरवरी को 'वर्ल्ड वेटलैंड डे' मनाती है, सरकारें महोत्सव आयोजित करती हैं, जिसमें वेटलैंड्स को सुरक्षित और संरक्षित करने की कसमें खाई जाती हैं, योजनाएं बनती हैं. लेकिन हर बार सरकारी अनदेखी इन योजनाओं पर भारी पड़ जाती है.
वेटलैंड्स को धरती की किडनी भी कहा जाता है, जो धीरे-धीरे सिकुड़ रहा है, जिससे भूजलस्तर रसातल में जा रहा है. वहीं आगरा की बात करें तो, भले ही यहां सूर सरोवर को रामसर साइट का तमगा मिल गया हो. लेकिन ऐसे तमाम वेटलैंड्स हैं जिनका अस्तित्व खतरे में है. देखिए 'वर्ल्ड वेटलैंड डे' पर खास रिपोर्ट.
कार्बन को अवशोषित करते हैं वेटलैंड्स
दरअसल वेटलैंड एक ईको सिस्टम है, जो जलीय और स्थलीय जैव-विविधताओं का एक विशिष्ट स्थल होता है. इसमें जलीय जीवों, उभयचरों और पक्षियों के प्राकृतिक आवास होते हैं. इसलिए यहां पर वन्य जीव प्रजातियों, फूडबेब, औषधीय पौधों और वनस्पतियों की भरमार होती है. वेटलैंड्स ही कार्बन अवशोषित करते हैं, जिससे भूजल का स्तर सुधरता है.
जमा पानी को फिल्टर करके धरती को करते हैं संचित
बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट के प्रेसिडेंट डॉ. केपी सिंह का कहना है कि, वेटलैंड की तीन केटेगिरी हैं. ओशियन वेटलैंड, इनलैंड वेटलैंड और तीसरे आर्टिफिशियल वैटलैंड हैं. वेटलैंड धरती की किडनी हैं. जिस तरह मानव शरीर में किडनी का काम जल को फिल्टर करना है और अपशिष्ट पदार्थ को बाहर निकालना होता है. वैसे ही वेटलैंड भी पृथ्वी के किडनी है. धरती पर जहां भी पानी जमा होता है. उस जमा पानी को फिल्टर करके भूमि के अंदर संचित करते हैं.
वेटलैंड सिकुड़ने से गिर रहा भूजलस्तर
बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डवलपमेंट के प्रेसिडेंट डॉ. केपी सिंह का कहना है कि, वेटलैंड में बायोडायवर्सिटी है. जिसमें मेडिसन प्लांट ग्रोथ करते हैं. वेटलैंड स्थानीय और प्रवासी पक्षियों के हैबिटेट पर हैं. इस वजह से हम कह सकते हैं. सृष्टि में वेटलेंड की भूमिका महत्वपूर्ण है. विश्व पटल पर वेटलैंड के संरक्षण के लिए रामसर साइट घोषित करना सबसे बड़ा मंच है. नेशनल और इंटरनेशनल स्तर पर भी वेटलैंड के संरक्षण को लेकर समितियां बनी हुई हैं. यूपी में बायोडायवर्सिटी बोर्ड भी बना हुआ है. स्टेट वेटलैंड अथॉरिटी भी है. मगर, दोनों ही प्रभावी रूप से फंक्शन में हैं. यमुना नदी, करबन नदी, उटंगन नदी सहित अन्य नदी सूखी हैं. अगर, हम आगरा की बात करें तो यहां पर वेटलैंड सिकुड़ रहे हैं. जिससे भूमिगत जल स्तर रसातल में जा रहा है.
वेटलैंड्स के अस्तित्व पर संकट
बायोडायवर्सिटी रिसर्च और डेवलपमेंट सेंटर के प्रेसिडेंट, पर्यावरणविद डॉ. केपी सिंह ने बताया कि आगरा जिले में 7 नदियां हैं. इन सात नदियों में केवल चंबल नदी में ही पानी रहता है. यमुना और करबन नदी प्रदूषण और सूखे की भेंट चढ़ चुकी हैं. अन्य नदियों का अस्तित्व लगभग समाप्त हो रहा है. आगरा में 990.703 वर्ग हेक्टेयर क्षेत्रफल में 3687 तालाब थे. इनमें से मूल रूप से बचे तालाबों की संख्या आज महज 2825 है. जिले में 59 तालाबों का पूर्ण रूप से समाप्त हो चुके हैं.
कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत मनाएंगे महोत्सव
नेशनल चंबल सेंचुरी के डीएफओ दिवाकर प्रसाद श्रीवास्तव ने बताया कि, इस बार वर्ल्ड वेटलैंड दिवस पर राज्य स्तरीय कार्यक्रम ओखला में हो रहा है. मगर, चंबल सेंचुरी क्षेत्र में आने वाली रामसर साइट सूर सरोवर कीठम, पटना पक्षी विहार, समान बर्ड सेंचुरी के साथ ही चंबल क्षेत्र में भी वेटलैंड डे मनाया जाएगा. इस दिन सभी जगह पर कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन करते हुए स्थानीय लोग और स्कूल के बच्चों को बर्ड्स वॉच कराएंगे. साथ ही पेंटिंग प्रतियोगिता भी आयोजित की जाएगी. वहीं जो विद्यार्थी पेंटिंग में अव्वल आएंगे, उन्हें पुरस्कृत भी किया जाएगा.
आगरा की रामसर साइट सूर सरोवर बर्ड सैंचुरी सहित अन्य वेटलैंड्स में विदेशी मेहमान पक्षियों का डेरा है. यहां हिमालय की चोटी पार करके बार हेडेड गूज पहुंची है, तो 2300 किलोमीटर की दूरी तय करके पाइड एवोसेट भी पहुंचा है. वेटलैंड्स पर मेहमान और स्थानीय पक्षियों का कलरव बर्ड्स लवर को खींच रहा है.