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आगरा में ब्लैक फंगस की दवाइयों का टोटा, अब तक दो मरीजों की मौत

आगरा में ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाइयों की कमी है. इस गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों को दी जाने वाली दवाइयों में टेबलेट, सिरप व इंजेक्शन उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं. इसकी पूर्ति के लिए प्रशासन को पत्र लिखा गया है.

एसएन मेडिकल कॉलेज आगरा
एसएन मेडिकल कॉलेज आगरा
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Published : May 25, 2021, 12:59 PM IST

आगरा: शहर स्थित एसएन मेडिकल कॉलेज में ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. अब तक यहां 20 से ज्यादा मरीज भर्ती हो चुके हैं. ब्लैक फंगस के दो मरीजों का ऑपरेशन भी कराया गया है. वहीं दो गंभीर मरीजों की मौत हो चुकी है. लगातार बढ़ रही मरीजों की संख्या के लिहाज से ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाईयों की कमी देखने को मिल रही है. मेडिकल की दुकानों पर बीमारी से संबंधित टेबलेट, सिरप व इंजेक्शन नहीं मिल रहे. एसएन मेडिकल में ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीजों का इलाज राम भरोसे चल रहा है.

जानकारी देते एसएन मेडिकल के प्राचार्य संजय काला .

ब्लैक फंगस में इन तीन दवाइयों की पड़ती है जरूरत
एसएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य संजय काला ने बताया कि ब्लैक फंगस के इलाज में तीन तरह की दवाइयां आइसोवीकोनाजोल टेबलेट, पोसोकोनाजोल सिरप और एंफोटरइसिन-बी इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जा रहा है. आइसोवीकोनाजोल टेबलेट मरीज को तीन टाइम दी जाती है. पोसोकोनाजोल सिरप भारत में सिर्फ 6 कंपनियां बनाती हैं. इस वक्त ये सिरप उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. एंफोटरइसिन-बी इंजेक्शन मरीज को सुबह या तो शाम अन्यथा ज्यादा गंभीर मरीजों को एक दिन में 2 से भी ज्यादा इंजेक्शन लगाए जाते हैं. इस इंजेक्शन की कमी है.

इसे भी पढ़ें-ब्लैक फंगस से एक और मरीज की मौत, SNMC में अब तक 25 मरीज भर्ती

महंगी आती हैं ब्लैक फंगस की दवाइयां
पोसोकोनाजोल सिरप 20,500 की आती है. यह सिरप सिर्फ 7 दिन चलती है. एंफोटरइसिन-बी इंजेक्शन 7200 का आता है जो एक मरीज को एक दिन में दो-तीन या इससे भी ज्यादा लग सकते हैं. एसएन मेडिकल के प्राचार्य संजय काला ने बताया कि इस वक्त अभी ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज के लिए दवाइयां उपलब्ध नहीं हैं. इंजेक्शन भी कम मात्रा में उपलब्ध हैं. इसलिए उन्होंने प्रशासन को पत्र लिखा है.

आगरा: शहर स्थित एसएन मेडिकल कॉलेज में ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. अब तक यहां 20 से ज्यादा मरीज भर्ती हो चुके हैं. ब्लैक फंगस के दो मरीजों का ऑपरेशन भी कराया गया है. वहीं दो गंभीर मरीजों की मौत हो चुकी है. लगातार बढ़ रही मरीजों की संख्या के लिहाज से ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाईयों की कमी देखने को मिल रही है. मेडिकल की दुकानों पर बीमारी से संबंधित टेबलेट, सिरप व इंजेक्शन नहीं मिल रहे. एसएन मेडिकल में ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीजों का इलाज राम भरोसे चल रहा है.

जानकारी देते एसएन मेडिकल के प्राचार्य संजय काला .

ब्लैक फंगस में इन तीन दवाइयों की पड़ती है जरूरत
एसएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य संजय काला ने बताया कि ब्लैक फंगस के इलाज में तीन तरह की दवाइयां आइसोवीकोनाजोल टेबलेट, पोसोकोनाजोल सिरप और एंफोटरइसिन-बी इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जा रहा है. आइसोवीकोनाजोल टेबलेट मरीज को तीन टाइम दी जाती है. पोसोकोनाजोल सिरप भारत में सिर्फ 6 कंपनियां बनाती हैं. इस वक्त ये सिरप उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. एंफोटरइसिन-बी इंजेक्शन मरीज को सुबह या तो शाम अन्यथा ज्यादा गंभीर मरीजों को एक दिन में 2 से भी ज्यादा इंजेक्शन लगाए जाते हैं. इस इंजेक्शन की कमी है.

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महंगी आती हैं ब्लैक फंगस की दवाइयां
पोसोकोनाजोल सिरप 20,500 की आती है. यह सिरप सिर्फ 7 दिन चलती है. एंफोटरइसिन-बी इंजेक्शन 7200 का आता है जो एक मरीज को एक दिन में दो-तीन या इससे भी ज्यादा लग सकते हैं. एसएन मेडिकल के प्राचार्य संजय काला ने बताया कि इस वक्त अभी ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज के लिए दवाइयां उपलब्ध नहीं हैं. इंजेक्शन भी कम मात्रा में उपलब्ध हैं. इसलिए उन्होंने प्रशासन को पत्र लिखा है.

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