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Good News: भीख मांगी, स्कूल ने दुत्कारा, फिर भी यूपी बोर्ड में शेर खान ने हासिल किए अच्छे अंक

उत्तर प्रदेश में शनिवार को हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के परिणाम घोषित हो गए हैं. हम आज आपको एक ऐसे छात्र से मिलाते हैं, जिसने बचपन से भीख मांगकर परिवार के पालन-पोषण में हाथ बंटाया. लेकिन, एक पुलिस रेस्क्यू ने उसकी जिंदगी बदल डाली. आज शेर खान ने संशाधनों की भारी कमी के बावजूद हाईस्कूल में अच्छे अंक प्राप्त कर अपने परिवार का नाम रोशन कर दिया है.

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छात्रों के साथ खड़े नरेश पारस
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Published : Jun 19, 2022, 10:20 AM IST

Updated : Jun 19, 2022, 10:49 AM IST

आगरा: आगरा का एक ऐसा परिवार, जिसके पास अपने बेटे की सफल मेहनत की खुशियां मनाने के लिए मिठाई तक के पैसे नहीं है. हम बात कर रहे है आगरा के शेर खान की, जिसने बिना संसाधनों के ही अपनी मेहनत से हाईस्कूल परीक्षा में 63 फीसदी अंक प्राप्त कर अपने परिवार का नाम रोशन किया है. आपको यह बात जानकर हैरानी होगी कि बोर्ड परीक्षाओं में 63 फीसदी अंकों के साथ उत्तीण आने वाला शेर खान बचपन से ही सड़कों पर भिक्षावृत्ति करता था. पुलिस के भिक्षावृत्ति के खिलाफ शुरू किए गए अभियान के तहत एक रेस्क्यू में पकड़ा गया था. उसकी मुलाकात शहर में बाल अपराधों के विरुद्ध सामाजिक कार्य करने वाले नरेश पारस से हुई, जो उसके जीवन में एक बड़ा बदलाव लेकर आया.

सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस ने शेर खान को न सिर्फ भिक्षावृत्ति करने से रोका, बल्कि उसे शिक्षा के प्रति जागरूक भी किया. इसके चलते उसने आज हाईस्कूल अच्छे अंकों के साथ पास किया है. शेर खान बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखता है. तहसील रोड स्थित शंकर कॉलोनी मार्ग के किनारे उसके जैसे 300 से अधिक परिवार झुग्गी-झोपड़ी में रहते हैं. शेर खान अपना खर्चा निकालने के लिए नीबू-मिर्ची बेचता है, जिससे उसके परिवार का खर्चा चलता है.

ईटीवी ने की शेर खान और नरेश पारस से बाचतीच

बेटे की सफलता से खुश है परिवार

ईटीवी भारत की टीम ने शेर खान के परिवार से बात की. उन्होंने कैमरे पर आने से तो मना कर दिया. लेकिन, शेर खान के पिता रंगी कहते हैं कि उन्हें इस झुग्गी-झोपड़ी में रहते 40 साल से ज्यादा हो गए. वह अयोध्या से विस्थापित होकर यहां बसे थे. आगरा शहर में बढ़ते अन्धविश्वास को देखकर नजर उतारने वाला नीबू-मिर्ची बेचने का काम शुरू किया. शेर खान की मां भी घरों में काम करने लगी. घर में शेर खान सबसे बड़ा था. उसके अलावा घर में 7 बहनें सहित शेर खान का भाई भी था. गरीबी के हालात ने शेर खान को बचपन में ही भीख के लिए हाथ फैलाने पर मजबूर कर दिया. लेकिन, आज शेर खान ने अपने बल पर हाईस्कूल पास करके माता-पिता को गौरवान्वित कर दिया है.

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नीबू मिर्ची बेचते शेर खान का परिवार

यह भी पढ़ें: UP Board result 2022: इंटर का रिजल्ट घोषित, दिव्यांशी बनीं यूपी टॉपर

नरेश पारस ने शेर खान की पढ़ाई के लिए दिया था धरना

नरेश पारस का कहना है कि 2014 में उन्होंने बस्ती के तीन बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया. उनमें शेर खान भी शामिल था. एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय ने इन बच्चों को दाखिला देने से मना कर दिया. दाखिला न देने की वजह इन बच्चों के शरीर से आने वाली दुर्गन्ध और गंदगी थी. अधिकारियों का भी नरेश पारस को साथ नहीं मिला. तब उन्होंने इन बच्चों का रहन-सहन बदला. इसके बाबजूद विद्यालय प्रधानाचार्य ने बच्चों को दाखिला नहीं दिया. कभी उनके रहन-सहन तो कभी उनकी जाति को लेकर प्रश्न खड़े किए गए. तब सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस ने डीआईओएस (शिक्षा भवन) कार्यलय के बाहर बस्ती के 36 बच्चों की एक पाठशाला शुरू कर दी. इसके बाद तत्कालीन एडी बेसिक ने इन बच्चों का मौके पर जाकर विद्यालय में दाखिला कराया.

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बच्चों के साथ खड़े नरेश पारस

दौड़ में 2 गोल्ड मेडलिस्ट के साथ डांस-थिएटर में माहिर है शेर खान

शेर खान ने राज्य स्तरीय दौड़ प्रतियोगिता में भी 2 गोल्ड मेडल अपने नाम किए हैं. इसके साथ शेर खान डांस और थिएटर में भी रुचि रखता है. 2015 में राज्य स्तरीय खेल प्रतियोगिता बुलन्दशहर में अंडर 14 एथलेटिक्स के अंतर्गत दौड़ में 2 गोल्ड मेडल जीते. शेर खान शुरू से ही कम संशाधनों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाता रहा है, जिसका श्रेय वह अपने माता-पिता सहित सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस को देता है. शेर खान का मानना है कि अगर नरेश पारस उनका साथ नहीं देते तो वह कभी इस मुकाम को हासिल नहीं कर पाता.

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डांस करते शेर खान

यह भी पढे़ं: UP Board Result 2022: सीतापुर की बेटियों ने लहराया परचम, यूपी की मेरिट लिस्ट में तीन छात्राओं ने बनाई जगह

शिक्षा भवन की जमीन पर भी नहीं मिला शिक्षा का अधिकार

शेर खान तहसील रोड स्थित शिक्षा भवन (डीआईओएस) कार्यालय की जमीन पर स्थापित झुग्गी-झोपड़ियों में रहता है. उसे इस कार्यलय से भी शिक्षा को लेकर कोई मदद नहीं मिली. शेर खान का घर बांस-बल्लियों के सहारे छप्पर पर टिका है. लेकिन, सरकार आज तक इन्हें पक्के मकान मुहैया नहीं करा पाई. इसके चलते देश के शेर खान जैसे होनहार बच्चे हाशिए पर हैं. इन्हें न कोई पूछने वाला है न कोई इनकी सुध लेने वाला. यह अपने हाल पर जी रहे हैं. लेकिन, नरेश पारस जैसे समाजिक कार्यकर्ता इनके जीवन को एक नई दिशा देने में जुटे हुए हैं.

सेना में भर्ती होना चाहता है शेर खान

शेर खान पढ़-लिखकर देश की सेवा करना चाहता है. उसका सेना में जाने का सपना है, जिसे वह अपनी मेहनत के दम पर पूरा करने का सपना संजोए बैठा है. शेर खान की इस सफलता को लेकर उसके साथ झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोग बेहद खुश हैं.

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आगरा: आगरा का एक ऐसा परिवार, जिसके पास अपने बेटे की सफल मेहनत की खुशियां मनाने के लिए मिठाई तक के पैसे नहीं है. हम बात कर रहे है आगरा के शेर खान की, जिसने बिना संसाधनों के ही अपनी मेहनत से हाईस्कूल परीक्षा में 63 फीसदी अंक प्राप्त कर अपने परिवार का नाम रोशन किया है. आपको यह बात जानकर हैरानी होगी कि बोर्ड परीक्षाओं में 63 फीसदी अंकों के साथ उत्तीण आने वाला शेर खान बचपन से ही सड़कों पर भिक्षावृत्ति करता था. पुलिस के भिक्षावृत्ति के खिलाफ शुरू किए गए अभियान के तहत एक रेस्क्यू में पकड़ा गया था. उसकी मुलाकात शहर में बाल अपराधों के विरुद्ध सामाजिक कार्य करने वाले नरेश पारस से हुई, जो उसके जीवन में एक बड़ा बदलाव लेकर आया.

सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस ने शेर खान को न सिर्फ भिक्षावृत्ति करने से रोका, बल्कि उसे शिक्षा के प्रति जागरूक भी किया. इसके चलते उसने आज हाईस्कूल अच्छे अंकों के साथ पास किया है. शेर खान बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखता है. तहसील रोड स्थित शंकर कॉलोनी मार्ग के किनारे उसके जैसे 300 से अधिक परिवार झुग्गी-झोपड़ी में रहते हैं. शेर खान अपना खर्चा निकालने के लिए नीबू-मिर्ची बेचता है, जिससे उसके परिवार का खर्चा चलता है.

ईटीवी ने की शेर खान और नरेश पारस से बाचतीच

बेटे की सफलता से खुश है परिवार

ईटीवी भारत की टीम ने शेर खान के परिवार से बात की. उन्होंने कैमरे पर आने से तो मना कर दिया. लेकिन, शेर खान के पिता रंगी कहते हैं कि उन्हें इस झुग्गी-झोपड़ी में रहते 40 साल से ज्यादा हो गए. वह अयोध्या से विस्थापित होकर यहां बसे थे. आगरा शहर में बढ़ते अन्धविश्वास को देखकर नजर उतारने वाला नीबू-मिर्ची बेचने का काम शुरू किया. शेर खान की मां भी घरों में काम करने लगी. घर में शेर खान सबसे बड़ा था. उसके अलावा घर में 7 बहनें सहित शेर खान का भाई भी था. गरीबी के हालात ने शेर खान को बचपन में ही भीख के लिए हाथ फैलाने पर मजबूर कर दिया. लेकिन, आज शेर खान ने अपने बल पर हाईस्कूल पास करके माता-पिता को गौरवान्वित कर दिया है.

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नीबू मिर्ची बेचते शेर खान का परिवार

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नरेश पारस ने शेर खान की पढ़ाई के लिए दिया था धरना

नरेश पारस का कहना है कि 2014 में उन्होंने बस्ती के तीन बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठाया. उनमें शेर खान भी शामिल था. एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय ने इन बच्चों को दाखिला देने से मना कर दिया. दाखिला न देने की वजह इन बच्चों के शरीर से आने वाली दुर्गन्ध और गंदगी थी. अधिकारियों का भी नरेश पारस को साथ नहीं मिला. तब उन्होंने इन बच्चों का रहन-सहन बदला. इसके बाबजूद विद्यालय प्रधानाचार्य ने बच्चों को दाखिला नहीं दिया. कभी उनके रहन-सहन तो कभी उनकी जाति को लेकर प्रश्न खड़े किए गए. तब सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस ने डीआईओएस (शिक्षा भवन) कार्यलय के बाहर बस्ती के 36 बच्चों की एक पाठशाला शुरू कर दी. इसके बाद तत्कालीन एडी बेसिक ने इन बच्चों का मौके पर जाकर विद्यालय में दाखिला कराया.

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बच्चों के साथ खड़े नरेश पारस

दौड़ में 2 गोल्ड मेडलिस्ट के साथ डांस-थिएटर में माहिर है शेर खान

शेर खान ने राज्य स्तरीय दौड़ प्रतियोगिता में भी 2 गोल्ड मेडल अपने नाम किए हैं. इसके साथ शेर खान डांस और थिएटर में भी रुचि रखता है. 2015 में राज्य स्तरीय खेल प्रतियोगिता बुलन्दशहर में अंडर 14 एथलेटिक्स के अंतर्गत दौड़ में 2 गोल्ड मेडल जीते. शेर खान शुरू से ही कम संशाधनों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाता रहा है, जिसका श्रेय वह अपने माता-पिता सहित सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस को देता है. शेर खान का मानना है कि अगर नरेश पारस उनका साथ नहीं देते तो वह कभी इस मुकाम को हासिल नहीं कर पाता.

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डांस करते शेर खान

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शिक्षा भवन की जमीन पर भी नहीं मिला शिक्षा का अधिकार

शेर खान तहसील रोड स्थित शिक्षा भवन (डीआईओएस) कार्यालय की जमीन पर स्थापित झुग्गी-झोपड़ियों में रहता है. उसे इस कार्यलय से भी शिक्षा को लेकर कोई मदद नहीं मिली. शेर खान का घर बांस-बल्लियों के सहारे छप्पर पर टिका है. लेकिन, सरकार आज तक इन्हें पक्के मकान मुहैया नहीं करा पाई. इसके चलते देश के शेर खान जैसे होनहार बच्चे हाशिए पर हैं. इन्हें न कोई पूछने वाला है न कोई इनकी सुध लेने वाला. यह अपने हाल पर जी रहे हैं. लेकिन, नरेश पारस जैसे समाजिक कार्यकर्ता इनके जीवन को एक नई दिशा देने में जुटे हुए हैं.

सेना में भर्ती होना चाहता है शेर खान

शेर खान पढ़-लिखकर देश की सेवा करना चाहता है. उसका सेना में जाने का सपना है, जिसे वह अपनी मेहनत के दम पर पूरा करने का सपना संजोए बैठा है. शेर खान की इस सफलता को लेकर उसके साथ झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोग बेहद खुश हैं.

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Last Updated : Jun 19, 2022, 10:49 AM IST
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