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आगरा: हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल है शमसाबाद ईदगाह, जानें वजह - idgah of shamsabad shows hindu muslim unity

उत्तर प्रदेश के आगरा के शमसाबाद में हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल देखने को मिलती है. यहां के एक ईदगाह में हिंदू समुदाय के लोग कंस का वध करते हैं. वहीं मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज अदा कर हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल पेश करते हैं.

शमसाबाद ईदगाह.
शमसाबाद की ईदगाह पर देखने को मिलती है हिंदू-मुस्लिम एकता.
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Published : Mar 12, 2020, 6:30 AM IST

आगरा: मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना, हिंदी हैं हम वतन हैं हिंदुस्तान हमारा. मशहूर शायर अल्लमा इकबाल की यह पंक्तियां शमसाबाद की ईदगाह पर सटीक बैठती हैं. यहां आपसी भाईचारे और हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल देखने को मिलती है. चैत्र शुक्ल तृतीया पर यहां शोभायात्रा निकलती है, जहां हिंदू समाज के लोग ईदगाह पर कंस वध लीला का आयोजन करते हैं. वहीं ईद के दिन यहां मुस्लिम समाज के लोग खुदा की इबादत कर अमन चैन की दुआ मांगते हैं.

शमसाबाद की ईदगाह पर देखने को मिलती है हिंदू-मुस्लिम एकता.
आपसी भाईचारे की मिसाल है शमसाबाद की ईदगाह शमसाबाद में स्थित ईदगाह में चैत्र शुक्ल की तृतीया को कस्बे में भव्य कंस शोभायात्रा निकाली जाती हैं. पूरे कस्बे का भ्रमण करने के बाद शोभायात्रा ईदगाह कंस टीला पर पहुंचती है. टीले पर जबरदस्त आतिशबाजी के बीच कंस का वध किया जाता है. इस कंस वध लीला के आयोजन में हिंदू ही नहीं मुस्लिम समाज के लोग भी शिरकत करते हैं. इस दौरान लगने वाले मेले में हिंदू-मुस्लिम मिलकर एक-दूसरे को बधाइयां देते हैं.

इस ईदगाह पर मुस्लिम समुदाय ईद के दिन नमाज अदा कर अल्लाह से अमन चैन की दुआ मांगते हैं. नमाज के बाद हिंदू-मुस्लिम एक दूसरे को गले लगाकर ईद की शुभकामनाएं देते हैं. कस्बा शमसाबाद के लोग बताते हैं कि आयोजन स्थल एक होने के बावजूद दोनों ही समुदाय के लोग हर त्योहार भाईचारे के साथ मिलकर मनाते हैं. मुस्लिम समुदाय के लोग कहते हैं कि यह स्थान भाईचारे की मिसाल है. यह मिसाल कहीं और देखने को नहीं मिलेगी. इस जगह हिंदू कंस का वध बरसों से करते आ रहे हैं, तो मुस्लिम नमाज अदा करते आ रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- होली पर एक मंच पर दिखा मुलायम कुनबा, अखिलेश ने चाचा शिवपाल के पैर छूकर लिया आशीर्वाद

आगरा: मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना, हिंदी हैं हम वतन हैं हिंदुस्तान हमारा. मशहूर शायर अल्लमा इकबाल की यह पंक्तियां शमसाबाद की ईदगाह पर सटीक बैठती हैं. यहां आपसी भाईचारे और हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल देखने को मिलती है. चैत्र शुक्ल तृतीया पर यहां शोभायात्रा निकलती है, जहां हिंदू समाज के लोग ईदगाह पर कंस वध लीला का आयोजन करते हैं. वहीं ईद के दिन यहां मुस्लिम समाज के लोग खुदा की इबादत कर अमन चैन की दुआ मांगते हैं.

शमसाबाद की ईदगाह पर देखने को मिलती है हिंदू-मुस्लिम एकता.
आपसी भाईचारे की मिसाल है शमसाबाद की ईदगाह शमसाबाद में स्थित ईदगाह में चैत्र शुक्ल की तृतीया को कस्बे में भव्य कंस शोभायात्रा निकाली जाती हैं. पूरे कस्बे का भ्रमण करने के बाद शोभायात्रा ईदगाह कंस टीला पर पहुंचती है. टीले पर जबरदस्त आतिशबाजी के बीच कंस का वध किया जाता है. इस कंस वध लीला के आयोजन में हिंदू ही नहीं मुस्लिम समाज के लोग भी शिरकत करते हैं. इस दौरान लगने वाले मेले में हिंदू-मुस्लिम मिलकर एक-दूसरे को बधाइयां देते हैं.

इस ईदगाह पर मुस्लिम समुदाय ईद के दिन नमाज अदा कर अल्लाह से अमन चैन की दुआ मांगते हैं. नमाज के बाद हिंदू-मुस्लिम एक दूसरे को गले लगाकर ईद की शुभकामनाएं देते हैं. कस्बा शमसाबाद के लोग बताते हैं कि आयोजन स्थल एक होने के बावजूद दोनों ही समुदाय के लोग हर त्योहार भाईचारे के साथ मिलकर मनाते हैं. मुस्लिम समुदाय के लोग कहते हैं कि यह स्थान भाईचारे की मिसाल है. यह मिसाल कहीं और देखने को नहीं मिलेगी. इस जगह हिंदू कंस का वध बरसों से करते आ रहे हैं, तो मुस्लिम नमाज अदा करते आ रहे हैं.

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