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आगराः जब 70 फीसदी गर्भवती महिलाएं हैं एनीमिक तो कैसे गूंजेगी आंगन में स्वस्थ्य किलकारी? - गर्भवती एनीमिया की शिकार

उत्तर प्रदेश के आगरा में एनीमिक महिलाओं के आंकड़े चौकानें वाले हैं. यहां 11 महीने में 30 हजार से अधिक गर्भवती महिलाओं की जांच की गई. इसमें 21 हजार से अधिक यानी 70 प्रतिशत महिलाएं एनीमिक हैं. इसका बुरा असर होने वाले बच्चों पर पड़ रहा है.

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70 फीसदी गर्भवती महिलाएं हैं. एनीमिक.
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Published : Dec 10, 2019, 6:15 AM IST

आगरा: गर्भवती होने के साथ ही एक औरत का जीवन नई उम्मीदों से भर जाता है, लेकिन आने वाले दिनों की चिंता भी उसे सताने लगती है. ये चिंता खुद से ज्यादा गर्भ में पल रहे भविष्य के लिए होती है. सभी तंदुरुस्त और स्वस्थ्य बच्चे की चाह रखते हैं. मगर जिससे तंदुरस्त बच्चे की आस होती है, जब उसी की सेहत का किसी को ख्याल नहीं तो फिर ऑगन में स्वस्थ्य किलकारी कैसे गूंजेगी? मौजूदा दौर में ज्यादातर गर्भवती महिलाएं एनीमिक हैं. इनमें हाई रिस्क प्रेगनेंसी की संख्या बढ़ गई है. साथ ही असमय प्रसव होने की संभावना भी बढ़ती जा रही है. वहीं प्रसव के दौरान जच्चा और बच्चा दोनों की जान को खतरा रहता है.

70 फीसदी गर्भवती महिलाएं हैं. एनीमिक.

ज्यादातर महिलाओं में है खून की कमी

जिले के महिला जिला अस्पताल में अधिकतर गर्भवती एनीमिया की शिकार हैं. यही वजह है कि हाईरिस्क प्रेगनेंसी की संख्या बढ़ी है. महिला चिकित्सालय में स्थित पैथोलॉजी की रिपोर्ट के आंकड़े भी चौंकाने वाले हैं. बीते 11 माह में महिला जिला अस्पताल की पैथोलॉजी में 30,898 गर्भवती और अन्य बीमारियों से पीड़ित महिलाओं की खून की जांच हुई. इसमें 70 प्रतिशत यानी 21 हजार से ज्यादा महिलाएं एनीमिक मिली हैं. इनमें 1024 गर्भवती के शरीर में सात ग्राम से भी खून कम है.

आयरन टैबलेट और लगाए जाते हैं इंजेक्शन

जिला महिला चिकित्सालय में आने वाली गर्भवती महिलाओं में 9 से 11 ग्राम तक खून का स्तर है, तो उन्हें आयरन की एक टेबलेट खाने के लिए दी जाती है. सात ग्राम से 9 ग्राम हीमोग्लोबिन होने पर आयरन की दो टेबलेट खाने के लिए दी जाती है. 7 ग्राम से कम हिमोग्लोबिन वाली गर्भवती महिलाओं के आयरन सुक्रोज के छह इंजेक्शन लगाए जाते हैं. ये हर तीसरे दिन लगाए जाते हैं. जबकि एक गर्भवती को 35 ग्राम आयरन मिलना चाहिए.

खाने से मिले कम से कम 35 ग्राम आयरन

काउंसलर रूबी बघेल ने बताया कि गर्भवती का एनीमिक होना, जच्चा और बच्चा दोनों के लिए खतरनाक है. इसलिए एनीमिक गर्भवती के लिए एक डाइट चार्ट बनाया गया है. उन्हें डाइट चार्ट के हिसाब से फल सब्जी और अन्य खाने की सलाह दी जाती है. एक स्वस्थ महिला की डाइट में कम से कम 35 ग्राम तक आयरन होना चाहिए.

खून की कमी से असमय प्रसव का खतरा

जिला महिला चिकित्सालय (लेडी लायल) प्रभारी आशा शर्मा ने बताया कि हमारे अस्पताल में हर दिन सैकड़ों गर्भवती जांच कराने के लिए आती हैं. पैथोलॉजी जांच रिपोर्ट के मुताबिक तमाम ऐसी गर्भवती महिलाएं सामने आती हैं, जिनमें 7 ग्राम से भी कम ब्लड होता है. ऐसी गर्भवती को डिलेवरी और प्रेग्नेंसी के समय भी दिक्कत होती है. कभी कभी खून की कमी से असमय प्रसव भी हो जाता है. महिलाओं के एनीमिक होने के बहुत सारे कारण हैं. तमाम ऐसी महिलाएं होती हैं, जो कई चीजों को खाना पसंद नहीं करती हैं.

एनीमिया की पहचान

कमजोरी महसूस होना, थकावट महसूस होना, शरीर का रंग पीला पड़ जाना, नाखूनों का पीला होना, आंख और होठों का पीला होना, चलने में चक्कर आना.

ये खाने से दूर भागेगा एनीमिया

शलजम, चुकंदर, पालक, हरी सब्जियां, मेवा और मौसमी फल खाने से खून की कमी दूर की जा सकती है. सरकार की ओर से जननी सुरक्षा योजना भी संचालित है. इसमें गर्भवती को 1000 रुपए पोषण आहार के लिए दिए जाते हैं. एनीमिक ही नहीं, हर गर्भवती को पोषण आहार डाइट के हिसाब से लेने की सलाह दी जाती है.

आगरा: गर्भवती होने के साथ ही एक औरत का जीवन नई उम्मीदों से भर जाता है, लेकिन आने वाले दिनों की चिंता भी उसे सताने लगती है. ये चिंता खुद से ज्यादा गर्भ में पल रहे भविष्य के लिए होती है. सभी तंदुरुस्त और स्वस्थ्य बच्चे की चाह रखते हैं. मगर जिससे तंदुरस्त बच्चे की आस होती है, जब उसी की सेहत का किसी को ख्याल नहीं तो फिर ऑगन में स्वस्थ्य किलकारी कैसे गूंजेगी? मौजूदा दौर में ज्यादातर गर्भवती महिलाएं एनीमिक हैं. इनमें हाई रिस्क प्रेगनेंसी की संख्या बढ़ गई है. साथ ही असमय प्रसव होने की संभावना भी बढ़ती जा रही है. वहीं प्रसव के दौरान जच्चा और बच्चा दोनों की जान को खतरा रहता है.

70 फीसदी गर्भवती महिलाएं हैं. एनीमिक.

ज्यादातर महिलाओं में है खून की कमी

जिले के महिला जिला अस्पताल में अधिकतर गर्भवती एनीमिया की शिकार हैं. यही वजह है कि हाईरिस्क प्रेगनेंसी की संख्या बढ़ी है. महिला चिकित्सालय में स्थित पैथोलॉजी की रिपोर्ट के आंकड़े भी चौंकाने वाले हैं. बीते 11 माह में महिला जिला अस्पताल की पैथोलॉजी में 30,898 गर्भवती और अन्य बीमारियों से पीड़ित महिलाओं की खून की जांच हुई. इसमें 70 प्रतिशत यानी 21 हजार से ज्यादा महिलाएं एनीमिक मिली हैं. इनमें 1024 गर्भवती के शरीर में सात ग्राम से भी खून कम है.

आयरन टैबलेट और लगाए जाते हैं इंजेक्शन

जिला महिला चिकित्सालय में आने वाली गर्भवती महिलाओं में 9 से 11 ग्राम तक खून का स्तर है, तो उन्हें आयरन की एक टेबलेट खाने के लिए दी जाती है. सात ग्राम से 9 ग्राम हीमोग्लोबिन होने पर आयरन की दो टेबलेट खाने के लिए दी जाती है. 7 ग्राम से कम हिमोग्लोबिन वाली गर्भवती महिलाओं के आयरन सुक्रोज के छह इंजेक्शन लगाए जाते हैं. ये हर तीसरे दिन लगाए जाते हैं. जबकि एक गर्भवती को 35 ग्राम आयरन मिलना चाहिए.

खाने से मिले कम से कम 35 ग्राम आयरन

काउंसलर रूबी बघेल ने बताया कि गर्भवती का एनीमिक होना, जच्चा और बच्चा दोनों के लिए खतरनाक है. इसलिए एनीमिक गर्भवती के लिए एक डाइट चार्ट बनाया गया है. उन्हें डाइट चार्ट के हिसाब से फल सब्जी और अन्य खाने की सलाह दी जाती है. एक स्वस्थ महिला की डाइट में कम से कम 35 ग्राम तक आयरन होना चाहिए.

खून की कमी से असमय प्रसव का खतरा

जिला महिला चिकित्सालय (लेडी लायल) प्रभारी आशा शर्मा ने बताया कि हमारे अस्पताल में हर दिन सैकड़ों गर्भवती जांच कराने के लिए आती हैं. पैथोलॉजी जांच रिपोर्ट के मुताबिक तमाम ऐसी गर्भवती महिलाएं सामने आती हैं, जिनमें 7 ग्राम से भी कम ब्लड होता है. ऐसी गर्भवती को डिलेवरी और प्रेग्नेंसी के समय भी दिक्कत होती है. कभी कभी खून की कमी से असमय प्रसव भी हो जाता है. महिलाओं के एनीमिक होने के बहुत सारे कारण हैं. तमाम ऐसी महिलाएं होती हैं, जो कई चीजों को खाना पसंद नहीं करती हैं.

एनीमिया की पहचान

कमजोरी महसूस होना, थकावट महसूस होना, शरीर का रंग पीला पड़ जाना, नाखूनों का पीला होना, आंख और होठों का पीला होना, चलने में चक्कर आना.

ये खाने से दूर भागेगा एनीमिया

शलजम, चुकंदर, पालक, हरी सब्जियां, मेवा और मौसमी फल खाने से खून की कमी दूर की जा सकती है. सरकार की ओर से जननी सुरक्षा योजना भी संचालित है. इसमें गर्भवती को 1000 रुपए पोषण आहार के लिए दिए जाते हैं. एनीमिक ही नहीं, हर गर्भवती को पोषण आहार डाइट के हिसाब से लेने की सलाह दी जाती है.

Intro:स्पेशल खबर.....लोगो लगा लें.... आगरा। सभी तंदुरुस्त बेबी चाहते हैं. मगर जिससे हैल्दी बेबी की आस होती है. जो बैबी को जन्म देगी, उसकी सेहत का किसी को ख्याल नहीं है. गर्भवती एनीनिक हैं. जिससे हाई रिस्क प्रेगनेंसी की संख्या बढ़ गई है. प्रीमेच्योर डिलीवरी हो रही हैं. डिलीवरी के दौरान जच्चा और बच्चा दोनों की जान को खतरा रहता है. यह सच जिला महिला अस्पताल के आंकड़े बयां कर रहे हैं. आंकड़ों के मुताबिक, जिला महिला अस्पताल में हर माह 50 % एनीनिक गर्भवती पहुंच रही हैं. बीते ग्यारह माह की बात करें तो 1024 ऐसी गर्भवती अस्पताल आईं. जिनमें 7 ग्राम से कम ब्लड था. इन्हीं गर्भवती की हाई रिस्क प्रेगनेंसी होती है.


Body:आगरा जिले का सबसे बड़ा महिला अस्पताल जिला महिला चिकित्सालय ( लेडी लायल) है. जिले में हाई रिस्क प्रेगनेंसी की संख्या बढ़ी है. यही वजह है कि महिला जिला अस्पताल में पहुंचने वाली अधिकतर गर्भवती एनीमिया की शिकार है. महिला चिकित्सालय में स्थित पैथोलॉजी की रिपोर्ट के आंकड़े भी चौंकाने वाले हैं. 11 माह में महिला जिला अस्पताल की पैथोलॉजी में 30898 गर्भवती और अन्य बीमारियों से पीड़ित महिलाओं की खून की जांच हुई. जिसमें 70 प्रतिशत यानी 21 हजार से ज्यादा महिलाएं एनीमिक निकलीं. इनमें 1024 गर्भवती में तो सात ग्राम से भी खून कम था. आयरन टैबलेट और लगाए जाते हैं इंजेक्शन जिला महिला चिकित्सालय में आने वाली गर्भवती महिलाओं में यदि 9 से 11 ग्राम तक खून का स्तर है तो उन्हें आयरन की एक टेबलेट खाने के लिए दी जाती है. सात ग्राम से 9 ग्राम हीमोग्लोबिन होने पर आयरन की दो टेबलेट खाने के लिए दी जाती है. 7 ग्राम से कम हिमोग्लोबिन वाली गर्भवती महिलाओं के आयरन सुक्रोज के छह इंजेक्शन लगाए जाते हैं. जो हर तीसरे दिन लगाए जाते हैं. गर्भवती को चाहिए 35 ग्राम आयरन प्रतिदिन काउंसलर रूबी बघेल ने बताया कि, गर्भवती का एनीमिक होना, जच्चा और बच्चा दोनों के लिए रिस्की है. एनीमिक गर्भवती के लिए एक डाइट चार्ट बनाया गया है. उन्हें डाइट चार्ट के हिसाब से फल सब्जी और अन्य खाने की सलाह दी जाती है. एक स्वस्थ महिला के शरीर में डाइट से कम से कम 35 ग्राम तक आयरन जाना चाहिए. प्रोटीन और कैल्शियम की भी मात्रा निर्धारित है. हाई रिस्क प्रेग्नेंसी में प्रीमेच्योर डिलीवरी का खतरा ज्यादा जिला महिला चिकित्सालय (लेडी लायल) प्रभारी आशा शर्मा ने बताया कि हमारे अस्पताल में हर दिन सैकड़ों गर्भवती जांच कराने के लिए आती हैं. पैथोलॉजी जांच रिपोर्ट के मुताबिक, तमाम ऐसी महिलाएं गर्भवती महिलाएं सामने आती हैं, जिनमें 7 ग्राम से भी कम ब्लड होता है. अंडर सेवन गर्भवती हाई रिस्क प्रेगनेंसी वाली होती है. ऐसी गर्भवती को डिलीवरी और प्रेग्नेंसी के समय भी दिक्कत होती है. कभी कभी खून की कमी से प्रीमेच्योर डिलीवरी भी हो जाती है. महिलाओं के एनीमिक होने के बहुत सारे कारण हैं. तमाम ऐसी महिलाएं होती हैं, जो कई चीजों को खाना पसंद नहीं करती हैं. तथा कई ऐसी भी हैं जिनके पास हेल्दी फूड के लिए पैसे ही नहीं है. और सरकारी अस्पताल में जो महिलाएं आती हैं. वे आर्थिक रूप से कमजोर होती है. वह चाह करके भी पोषण आहार नहीं खा सकते हैं. उन्हें पोषण आहार के बारे में पता ही नहीं है. एनीमिया की पहचान - कमजोरी महसूस होना. - थकावट महसूस होना. -रंग पीला पड़ जाना. -नाखूनों का पीला होना. -आंख और होठों का पीला होना. -चलते में चक्कर आना. यह खाने से दूर भागेगा एनीमिया - शलजम खाएं. -चुकंदर खाएं. -पालक खाएं. -शकरकंद खाएं. -हरी सब्जियां खाएं. - ब्रोकली खाएं. -बादाम खाएं. -अखरोट खाएं. -खजूर खाएं. -किशमिश खाएं. -अनार का जूस पिएं. -गाजर और पालक का जूस पिएं. -मौसमी फल खाएं. आंकड़ों की नजर से माह..................हाई रिस्क गर्भवती जनवरी..............36 फरवरी..............30 मार्च.................89 अप्रैल..............46 मई...................78 जून..................121 जुलाई...............153 अगस्त...............147 सितंबर..............137 अक्टूबर..............95 नवंबर.................92 (यह आंकड़े एक जनवरी 2019 से 30 नवंबर 2019 तक के हैं)।


Conclusion:सरकार की ओर से जननी सुरक्षा योजना भी चला रही है. इसमें गर्भवती को ₹1000 पोषण आहार के लिए दिए जाते हैं. एनीमिक ही नहीं, हर गर्भवती को पोषण आहार डाइट के हिसाब से लेने की सलाह दी जाती है. ......... बाइट रूबी बघेल, काउंसलर की(पहचान नीली साड़ी पहने हैं)। बाइट आशा शर्मा, प्रभारी जिला महिला चिकित्सालय (लेडी लायल) (लाल रंग का स्वेटर पहने हैं). ...।........ श्यामवीर सिंह आगरा 8387893357
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