आगरा: कोरोना संक्रमण के कहर ने ताजनगरी के करोड़ों रुपए के कबाड़ कारोबारियों की रफ्तार थाम दी है. पहले लॉकडाउन और अब अनलॉक की पाबंदियों ने गली-गली कबाड़ खरीदने वाले, कबाड़ गोदाम संचालकों की कमाई आधी भी नहीं रही है. कबाड़ से गोदाम भरे पड़े हैं. लोहा, प्लास्टिक और रद्दी के रेट गिर गए हैं. कमाई न होने से कबाड़ी अपने पुश्तैनी काम को छोड़कर सब्जी और फल बेचने के लिए मजबूर हैं तो कोई आटे की चक्की और परचून की दुकान खोल रहा है, जिससे परिवार का खर्च चल सके.
आगरा से बाहर भेजा जाता है कबाड़
जिले स्थित ताजगंज के गोबर चौकी क्षेत्र में कबाड़ का बड़ा कारोबार हैं. यहां 400 से ज्यादा छोटे और बड़े कबाड़ का काम करने वाले लोग हैं. यहां बड़े-बड़े कबाड़ गोदाम हैं. आगरा से दिल्ली, पंजाब और राजस्थान ट्रकों से कबाड़ भेजा जाता है. मगर कोरोना संक्रमण ने कबाड़ कारोबार को भी जद में ले लिया है. इस समय कबाड़ियों को कबाड़ भी नहीं मिल रहा और माल भी बाहर नहीं जा रहा है.
परिवार पालने को बेच रहे सब्जी
35 साल से गली-गली जाकर कबाड़ खरीदने वाले राधेश्याम ने बताया कि कोरोना और लॉकडाउन के चलते जो फैक्ट्रियां बंद कर दी गई थीं, वो अभी भी बंद हैं. इस वजह से कबाड़ भी नहीं मिल रहा है. कबाड़ियों का कहना है कि जब यह फैक्ट्रियां खुले तो उन्हें भी कबाड़ खरीदने को मिले. ऐसे में परिवार का खर्च चलाने के लिए कई लोग अब सब्जी बेचने का काम भी कर रहे हैं. रद्दी गोदाम संचालक मुकेश का कहना है कि लॉकडाउन के बाद भारी तादाद में कबाड़ निकला. 15 दिन भी खूब कबाड़ निकाला, जिससे रेट कम हो गए. अब फिर ऐसे हालात हैं कि कबाड़ मिल नहीं रहा है, लेकिन रेट बढ़ गए हैं. ऐसे में आधे से भी कम कमाई रह गई है.
कोरोना के डर से नहीं खरीद रहे कबाड़
कबाड़ी होरीलाल ने बताया कि पहले लोहा और अन्य चीजें तेज से बिक रहे थे, लेकिन अब रेट भी कम हो गए हैं. पहले प्रतिदिन 500 से 600 रुपये की कमाई हो जाती थी, लेकिन अब दो सौ से ढाई सौ रुपये कमाना भी मुश्किल हो गया है. कबाड़ गोदाम संचालक बताते हैं कि कोरोना के चलते तमाम लोग गली, मोहल्लों और गांवों में वह कबाड़ खरीदने नहीं जा रहे हैं, क्योंकि लोग उनसे सही तरह से बातचीत नहीं करते हैं. कोरोना संक्रमण का भी डर रहता है. ऐसे में कबाड़ बीनने वालों की संख्या भी कम हो गई है. कारोबार कम होने से अब लोग काम बदल रहे हैं. वह भी अपने 22 साल पुराने कबाड़ के काम को बंद करके आटा चक्की चला रहे हैं.
दो दिन के लॉकडाउन से कारोबार पर पड़ा प्रभाव
कबाड़ कारोबारी विजय राठौर का कहना है कि कोरोना के चलते उनका खरीदा हुआ माल बाहर नहीं जा पा रहा है. इस वजह से उन्होंने खरीदारी कम कर दी है. आगरा से कबाड़ पंजाब, जयपुर, अलीगढ़ और अन्य जगह जाता था, लेकिन अब लोकल का काम हो रहा है. कबाड़ कारोबारी विनोद राठौर ने बताया कि सप्ताह में दो दिन के लॉकडाउन से भी कबाड़ के कारोबार में काफी प्रभाव पड़ा है. शनिवार और रविवार को लॉकडाउन रहता है. लोग शनिवार और रविवार को घरों में बेकार चीजों को जमा करके कबाड़ी को बेचते थे. लॉकडाउन के बाद से अब कमाई भी आधी रह गई है.
कबाड़ की रेट लिस्ट ( प्रति क्विंटल में)
सामान | लॉकडाउन से पहले | लॉकडाउन के बाद |
लोहा | 2200 रुपये | 1900 रुपये |
प्लास्टिक | 1600 रुपये | 1300 रुपये |
टिन | 1000 रुपये | 700 रुपये |
गत्ता | 1200 रुपये | 1000 रुपये |
रद्दी | 1000 रुपये | 900 रुपये |
एक नजर आंकड़ों पर
गोबर चौकी क्षेत्र में 400 से ज्यादा कबाड़ कारोबारी हैं.
गोबर चौकी क्षेत्र में 150 से ज्यादा बड़े गोदाम हैं.
गोबर चौकी क्षेत्र में 80% आगरा के कबाड़ कारोबारी हैं.
यहां से कबाड़ दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान जाता है.