आगरा: ताजमहल में शाहजहां के 364वें उर्स के दूसरे दिन संदल की रस्म अदा की गई. ढोल-मजीरे बजाते हुए जायरीन ताजमहल में पहुंचे. ताजमहल के मुख्य मकबरे के तहखाने के गेट खोलकर मुगल शहंशाह शाहजहां और उनकी बेगम मुमताज की असली कब्र पर संदल की रस्म अदा की गई. कब्र पर चंदन का लेप किया गया. फिर फूलों की चादरपोशी की गई.
इसके बाद ताजमहल उर्स कमेटी के पदाधिकारी, एएसआई के अधिकारी और अन्य लोगों ने देश में अमन-चैन की दुआ मांगी और पुलवामा शहीदों की श्रद्धांजलि दी. उर्स के तीसरे दिन गुरुवार को देश की सबसे लंबी ज्यादा सतरंगी चादरपोशी की जाएगी.
ताजमहल में चल रहे मुगल शहंशाह शाहजहां के 364वें उर्स में सैकड़ों की संख्या में जायरीन पहुंच रहे हैं. दोपहर 2 बजे संदल की रस्म के बाद मुगल शहंशाह शाहजहां और उनकी बेगम मुमताज की असली कब्र को देखने के लिए जायरीन और पर्यटकों की लंबी कतार लग गई. सुबह से ही ताजमहल पर कव्वालियों का कार्यक्रम शुरू हुआ, जो देर शाम सूर्यास्त तक चलता रहा.
ताजमहल उर्स कमेटी के अध्यक्ष इब्राहिम जैदी ने बताया कि आज संदल की रस्म अदा की गई. इस अवसर पर ताजमहल उर्स कमेटी के पदाधिकारी एएसआई के अधिकारी और तमाम जायरीन मौजूद रहे.
राष्ट्रीय स्मारक संरक्षण समिति के अध्यक्ष मुनव्वर अली ने बताया कि चंदन की लकड़ी को घिस कर तैयार किए गए लेप को शहंशाह शाहजहां और उनकी मुमताज की कब्र पर लगाया गया. इसके बाद फूलों की चादर चढ़ाई गई. इस दौरान अमन-चैन की शांति के लिए दुआ मांगी गई. इसके साथ ही पुलवामा के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए भी श्रद्धांजलि दी गई.
ताहिर उद्दीन ताहिर ने बताया कि एक महीने से चंदन की लकड़ी को घिस करके पाउडर बनाते हैं. इसे ही संदल कहा जाता है. उर्स के पहले दिन हमने गुस्ल की रस्म करके मुगल शहंशाह शाहजहां और उनकी बेगम मुमताज की कब्र को पाक किया था. आज फिर संदल की रस्म से उनके ऊपर चंदन का लेप किया. फूलों की चादर चढ़ाई. उर्स के अंतिम दिन देश की सबसे बड़ी 1221 मीटर की चादरपोशी की जाएगी.