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8 साल में 6 हजार हादसे, 950 मौतें, ये है यमुना एक्सप्रेसवे का 'खूनी इतिहास'

यमुना एक्सप्रेसवे पर वाहनों की ओवर स्पीड जिंदगी पर भारी पड़ रही है. इस एक्सप्रेसवे पर हर साल वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है. इसके साथ ही हादसों की संख्या में भी लगातार इजाफा हो रहा है. इन हादसों में सैकड़ों लोग अपनी जान गंवा रहे हैं. आरटीआई से मिली जानकारी में इस एक्सप्रेसवे पर हुए हादसों के आंकड़े सामने आया है.

यमुना एक्सप्रेसवे पर लगातार बढ़ रही हादसों की संख्या.
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Published : Jul 13, 2019, 2:42 PM IST

Updated : Jul 13, 2019, 2:51 PM IST

आगरा: यमुना एक्सप्रेसवे पर 8 जुलाई को आगरा में हुआ हादसा अब तक का सबसे बड़ा था. इस सड़क हादसे ने जनता से लेकर सरकार तक को हिला कर रख दिया. सड़क सुरक्षा को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ चिंतित हुए तो अधिकारियों के पेच कसना शुरू कर दिया. बीते 8 सालों के दौरान यमुना एक्सप्रेसवे पर हादसों की संख्या पर नजर डालें तो आंकड़ा 6005 पर जाकर रुकता है और मौतें 950 पर.

यमुना एक्सप्रेसवे पर लगातार बढ़ रही हादसों की संख्या.


आरटीआई से खुलासा

आगरा में आरटीआई एक्टिविस्ट और आगरा डवलपमेंट फाउंडेशन के सचिव अधिवक्ता केसी जैन ने यमुना एक्सप्रेसवे पर हो रहे हादसे की संख्या और हादसों की वजह की जानकारी मांगी तो उसमें चौंकाने वाले खुलासे हुए. यमुना एक्सप्रेसवे अथॉरिटी की ओर से वर्ष 2012 से मार्च 2018 तक की रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा (24 फीसद) सड़क हादसे ओवर स्पीड की वजह से हुए हैं. वहीं, गाड़ियों के टायर फटने से 12% हादसे हुए. कोहरे की वजह से 5% जबकि 59 % हादसों की वजह का अभी तक खुलासा नहीं हो सका है.

क्या कहते हैं आंकड़े

वर्ष दुर्घटना मौत
2012 280 33
2013 896 118
2014 896 127
2015 919 143
2016 1219 133
2017 763 146
2018 800 110
2019 347 140


नोट- साल 2019 के आंकड़े जनवरी से जून तक हैं.

यमुना एक्सप्रेस वे पर ओवर स्पीड, टायर फटने और कोहरे के कारण जो हादसे हो रहे हैं इसके लिए चालकों को जागरूक करना बहुत जरूरी है. इतना ही नहीं हादसों का विवरण यमुना एक्सप्रेस वे अथॉरिटी (येडा) की वेबसाइट पर भी दिया जाना चाहिए. उनके कारणों को प्रचारित करना चाहिए. हमने यह भी मांग की है कि, यमुना एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी हादसों को फोटो के साथ वेबसाइट पर अपलोड करे. इसके साथ ही सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट( सीआरआरआई ) की सिफारिशों के अनुसार यमुना एक्सप्रेस वे रोड सेफ्टी ऑडिट और अन्य कदम उठाए जाने चाहिए.
- अधिवक्ता केसी जैन, आरटीआई कार्यकर्ता


3 घंटे का सफर सबसे ज्यादा खतरनाक
पिछले 2 सालों के दौरान सबसे ज्यादा सड़क हादसे देर रात 2 बजे से सुबह 5 बजे के बीच हुए हैं. इस समय नींद सबसे ज्यादा आती है. चालकों के झपकी आने से सवारियों का अंतिम सफर हो जाता है. आगरा जनपद में झरना नाला, खंदौली टोल प्लाजा से पहले ज्यादा हादसे हो रहे हैं. वहीं, मथुरा क्षेत्र में बलदेव, मांट, नौझील, सुरीर में हादसों की संख्या अधिक है. नोएडा की तरफ आने पर जेवर में हादसों की संख्या अधिक है.


अगस्त 2012 से शुरू हुआ था सफर
165 किलोमीटर लंबा यमुना एक्सप्रेसवे अगस्त 2012 में चालू किया गया था. इससे आगरा और दिल्ली के बीच की दूरी कम हो गई और सफर में कम समय लगने लगा.

सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआरआरआई) ने यमुना एक्सप्रेस वे पर हो रहे हादसों को लेकर कुछ सुझाव दिए थे.

  • डिवाइडर हटाकर थ्राई पिलर लगाए जाएं
  • रंबल स्ट्रिप लगाई जाए
  • बैरियर की ऊंचाई में इजाफा किया जाए.
  • स्पीड कैमरों की संख्या बढ़ाई जाए.
  • ओवर स्पीड पर चालान किया जाए.
  • अगले टोल प्लाजा पर ओवर स्पीड का जुर्माना लिया जाए.

आगरा: यमुना एक्सप्रेसवे पर 8 जुलाई को आगरा में हुआ हादसा अब तक का सबसे बड़ा था. इस सड़क हादसे ने जनता से लेकर सरकार तक को हिला कर रख दिया. सड़क सुरक्षा को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ चिंतित हुए तो अधिकारियों के पेच कसना शुरू कर दिया. बीते 8 सालों के दौरान यमुना एक्सप्रेसवे पर हादसों की संख्या पर नजर डालें तो आंकड़ा 6005 पर जाकर रुकता है और मौतें 950 पर.

यमुना एक्सप्रेसवे पर लगातार बढ़ रही हादसों की संख्या.


आरटीआई से खुलासा

आगरा में आरटीआई एक्टिविस्ट और आगरा डवलपमेंट फाउंडेशन के सचिव अधिवक्ता केसी जैन ने यमुना एक्सप्रेसवे पर हो रहे हादसे की संख्या और हादसों की वजह की जानकारी मांगी तो उसमें चौंकाने वाले खुलासे हुए. यमुना एक्सप्रेसवे अथॉरिटी की ओर से वर्ष 2012 से मार्च 2018 तक की रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा (24 फीसद) सड़क हादसे ओवर स्पीड की वजह से हुए हैं. वहीं, गाड़ियों के टायर फटने से 12% हादसे हुए. कोहरे की वजह से 5% जबकि 59 % हादसों की वजह का अभी तक खुलासा नहीं हो सका है.

क्या कहते हैं आंकड़े

वर्ष दुर्घटना मौत
2012 280 33
2013 896 118
2014 896 127
2015 919 143
2016 1219 133
2017 763 146
2018 800 110
2019 347 140


नोट- साल 2019 के आंकड़े जनवरी से जून तक हैं.

यमुना एक्सप्रेस वे पर ओवर स्पीड, टायर फटने और कोहरे के कारण जो हादसे हो रहे हैं इसके लिए चालकों को जागरूक करना बहुत जरूरी है. इतना ही नहीं हादसों का विवरण यमुना एक्सप्रेस वे अथॉरिटी (येडा) की वेबसाइट पर भी दिया जाना चाहिए. उनके कारणों को प्रचारित करना चाहिए. हमने यह भी मांग की है कि, यमुना एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी हादसों को फोटो के साथ वेबसाइट पर अपलोड करे. इसके साथ ही सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट( सीआरआरआई ) की सिफारिशों के अनुसार यमुना एक्सप्रेस वे रोड सेफ्टी ऑडिट और अन्य कदम उठाए जाने चाहिए.
- अधिवक्ता केसी जैन, आरटीआई कार्यकर्ता


3 घंटे का सफर सबसे ज्यादा खतरनाक
पिछले 2 सालों के दौरान सबसे ज्यादा सड़क हादसे देर रात 2 बजे से सुबह 5 बजे के बीच हुए हैं. इस समय नींद सबसे ज्यादा आती है. चालकों के झपकी आने से सवारियों का अंतिम सफर हो जाता है. आगरा जनपद में झरना नाला, खंदौली टोल प्लाजा से पहले ज्यादा हादसे हो रहे हैं. वहीं, मथुरा क्षेत्र में बलदेव, मांट, नौझील, सुरीर में हादसों की संख्या अधिक है. नोएडा की तरफ आने पर जेवर में हादसों की संख्या अधिक है.


अगस्त 2012 से शुरू हुआ था सफर
165 किलोमीटर लंबा यमुना एक्सप्रेसवे अगस्त 2012 में चालू किया गया था. इससे आगरा और दिल्ली के बीच की दूरी कम हो गई और सफर में कम समय लगने लगा.

सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआरआरआई) ने यमुना एक्सप्रेस वे पर हो रहे हादसों को लेकर कुछ सुझाव दिए थे.

  • डिवाइडर हटाकर थ्राई पिलर लगाए जाएं
  • रंबल स्ट्रिप लगाई जाए
  • बैरियर की ऊंचाई में इजाफा किया जाए.
  • स्पीड कैमरों की संख्या बढ़ाई जाए.
  • ओवर स्पीड पर चालान किया जाए.
  • अगले टोल प्लाजा पर ओवर स्पीड का जुर्माना लिया जाए.
Intro:आगरा.
यमुना एक्सप्रेस वे पर सात जुलाई को आगरा में हुआ हादसा अब तक का सबसे बड़ा था. इस सड़क हादसे से सीएम योगी सख्त रुख अपना रहे हैं. अधिकारियों के पेच कसे जा रहे हैं. मगर हम बीते 8 सालों की बात करें तो यमुना एक्सप्रेस वे पर 6005 सड़क हादसे हुए. जिनमें 950 जिंदगी का सफर आखरी साबित हुआ. भले ही हर बार यमुना एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी हादसों के बाद भी सुरक्षित सफर के दावे करे. लेकिन हकीकत उलट है. यमुना एक्सप्रेस-वे पर साल 2018 के मुकाबले हादसों की संख्या जून 2019 तक कम है. मगर इन हादसों में मरने वालों की संख्या ज्यादा है. इससे साफ है कि यमुना एक्सप्रेस वे पर ओवर स्पीड में गाड़ियां फर्राटा भरती हैं. इस वजह से ही भयावह हादसे होते हैं.जिनकी वजह से मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है.




Body:आगरा में आरटीआई एक्टिविस्ट, आगरा डवलपमेंट फाउंडेशन के सचिव अधिवक्ता केसी जैन ने यमुना एक्सप्रेस वे पर हो रहे हादसे की संख्या और हादसों की वजह की जानकारी मांगी तो उसमें चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. यमुना एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी की ओर से वर्ष 2012 से मार्च 2018 तक की रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा सड़क हादसे ओवर स्पीड की वजह से 24% हैं. वहीं, यमुना एक्सप्रेस वे पर गाड़ियों के टायर फटने से 12% हादसे हुए. कोहरे की वजह से 5% हादसे हुए. जबकि, 59 % हादसों की वजह अभी तक खुलासा नहीं हो सका.

अधिवक्ता केसी जैन का कहना है कि यमुना एक्सप्रेस वे पर ओवर स्पीड, टायर फटने और कोहरे के कारण जो हादसे हो रहे हैं. इसके लिए चालकों को जागरूक करना बहुत जरूरी है. इतना ही नहीं हादसों का विवरण यमुना एक्सप्रेस वे अथॉरिटी (येडा) की वेबसाइट पर भी दिया जाना चाहिए. उनके कारणों को प्रचारित करना चाहिए. हमने यह भी मांग की है कि, यमुना एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी हादसों को फोटो के साथ वेबसाइट पर अपलोड करे. इसके साथ ही सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट( सीआरआरआई ) की सिफारिशों के अनुसार यमुना एक्सप्रेस वे रोड सेफ्टी ऑडिट और अन्य कदम उठाए जाने चाहिए.

3 घंटे का सफर सबसे ज्यादा खतरनाक
पिछले 2 सालों के आंकड़ों की बात करें तो सबसे ज्यादा सड़क हादसे देर रात 2 बजे से अल सुबह 5 बजे के बीच हुए हैं. इस समय नींद सबसे ज्यादा आती है. चालकों के झपकी आने से सवारियों का सफर अंतिम हो जाता है. आगरा की बात करें तो झरना नाला, खंदौली टोल प्लाजा से पहले ज्यादा हादसे हो रहे हैं. वहीं, मथुरा क्षेत्र में बलदेव, मांट, नौझील, सुरीर में हादसों की संख्या अधिक है. नोएडा की तरफ आने पर जेवर में हादसे हो रहे हैं.
अगस्त 2012 से शुरू हुआ था सफर
165 किलोमीटर लंबा यमुना एक्सप्रेस वे अगस्त 2012 में चालू किया गया था. इसका फायदा यह हुआ कि आगरा और दिल्ली के बीच की दूरी कम हो गई. इस सफर में कम समय लगने लगा. लेकिन इस कम समय के चलते हादसों की संख्या लगातार बढ़ रही है.

ग्राफिक्स के लिए
सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट सीआरआरआई यमुना एक्सप्रेस वे पर हो रहे हादसों को लेकर के कुछ सुझाव दिए थे.
- डिवाइडर हटाकर थ्राई पिलर लगाए जाएं।
- रंबल स्ट्रिप लगाई जाए।
- बैरियर की ऊंचाई भी बढ़ाई जाए।
- स्पीड कैमरों की संख्या बढ़ाई जाए।
-ओवर स्पीड पर चालान किया जाए।
-अगले टोल प्लाजा पर ओवर स्पीड का जुर्माना लिया जाए।

आंकड़ों की नजर से (ग्राफिक्स के लिए)

वर्ष..............एक्सीडेंट.......... मौत
2012..............280.............33
2013..............896.............118
2014..............771.............127
2015..............919.............143
2016.............1219...........133
2017..............763.............146
2018..............800.............110
2019(एक जनवरी से जून 2019 तक)
........................347............140






Conclusion: यमुना एक्सप्रेस वे पर वाहनों की ओवर स्पीड जिंदगी पर भारी पड़ रही है. कहने को यमुना एक्सप्रेस वे पर हर साल वाहनों की संख्या बढ़ती है. मगर हादसों की संख्या कम हो रही है. लेकिन हादसों में मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.

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एसपी ट्रैफिक प्रशांत प्रसाद की बाइट( पुलिस वर्दी में)।
आरटीआई एक्टिविस्ट व आगरा डवलपमेंट फाउंडेशन के सचिव अधिवक्ता केसी जैन की बाइट.
किसान शिवराम की बाइट.
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डेस्क ध्यानार्थ: इस खबर की पैकेजिंग करने को लेकर के श्री शैलेंद्र जी सर से बात हुई थी. इसलिए इसे अलग-अलग हिस्सों में भेजा जा रहा है.

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श्यामवीर सिंह
आगरा
8387893357
Last Updated : Jul 13, 2019, 2:51 PM IST
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