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छोटे से कंधों पर उठा ली परिवार की जिम्मेदारी, सम्मानित होंगी पंक्चर गर्ल 'राजकुमारी' - आगरा लेटेस्ट न्यूज

आगरा के दयालबाग में रहने वाली पंक्चर गर्ल राजकुमारी उन लड़कियों के लिए मिशाल बन गई हैं जो अपने लड़की होने के कारण अपने को कमजोर मानती हैं. राजकुमारी कहती हैं कि उनके घर के हालातों ने उन्हें संघर्ष करना सीखा दिया. बेटी के इस जज्बे से प्रोत्साहित एक संस्था राजकुमारी को सम्मानित करने जा रही है.

आगरा की राजकुमारी.
आगरा की राजकुमारी.
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Published : Dec 17, 2021, 10:49 AM IST

आगराः "हमारी छोरिया क्या छोरो से कम हैं के" दंगल मूवी का यह हिट डायलॉग सभी को याद होगा. दंगल मूवी के इस डायलॉग ने खूब तालियां बटोरी थी, लेकिन हकीकत में इस डायलॉग को चरितार्थ करने वाली राजकुमारी की दास्तान बड़ी दिलचस्प है.

दयालबाग के दीपश्री एनक्लेव के बसेरा मार्ग स्थित एक पंक्चर की दुकान पर काम करती लड़की सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती है. पंक्चर बनाने का काम अमूमन बड़ा मुश्किल काम है. जिसे ज्यादातर पुरुष ही करते नजर आते हैं, लेकिन आगरा की एक जाबांज बेटी पंक्चर के इस मुश्किल काम को भी चुटकियों में पूरा कर देती है.

पंक्चर गर्ल राजकुमारी.

पंक्चर बनाकर कर रही पढ़ाई

18 साल की राजकुमारी से ईटीवी भारत को बताया कि उनके पिता ने फेफड़ों में संक्रमण फैलने के बाद घर की माली हालत खराब हो गई थी. पिता के कंधों पर पूरे परिवार का भार था. इस संकट से बाहर निकलने के लिए मैंने अपने पिता की दुकान को संभाला. पिता को पंक्चर जोड़ते देख कर जिज्ञासा होती थी कि पंक्चर कैसे जोड़ा जाता है. देखते ही देखते राजकुमारी ने भी पंक्चर बनाना शुरू कर दिया.

इसे भी पढे़ं- संगम में मिला लुप्त सरस्वती नदी का अवशेष, साधु संत बोले- पुरातन कथाओं पर वैज्ञानिकों ने लगाई मुहर

राजकुमारी बताती हैं कि क्षेत्रीय लोग मेरे पास अपनी साइकिल और बाइक के पंक्चर बनवाने आने लगे. पंक्चर के साथ मैंने साइकिल के अन्य काम भी सीख लिए. लोग मुझे यह काम करते देख कई बार हैरान होते हैं. मुझसे पूछते है कि पंक्चर बनाना कहां से सीखा. लेकिन लोगों की यह प्रतिक्रिया मुझे ओर उत्साहित करती है. जिसकी वहज से मुझे यह काम करने में मजा आता है.

बीए की पढ़ाई कर रही हैं राजकुमारी

राजकुमारी के परिजनों को अपनी बेटी पर गर्व है. राजकुमारी के पिता हेतसिंह कहते है कि उनकी बेटी बेटों से बढ़कर है. राजकुमारी दयालबाग इंस्टीट्यूट से बीए कर रही है. पढ़ाई के साथ पंक्चर की दुकान भी संभालती है. अपने भाई- बहनों को भी पढ़ा रही है. उनके पिता हेतसिंह अधिकतर बीमार रहते हैं. लेकिन बेटी के इस जज्बे को देख कर वह गौरान्वित महसूस करते हैं. राजकुमारी के परिवार में पिता हेत सिंह, मां संतिया देवी, दो बहनें सीमा (14), लक्ष्मी (16) और एक भाई कन्हैया (16) हैं। राजकुमारी (18) सबसे बड़ी हैं। राजकुमारी ने हाईस्कूल और इंटर फर्स्ट डिवीजन से पास किया था.

बेटी के इस जज्बे को मिलेगा सम्मान

पंक्चर बनाने वाली आगरा की होनहार बेटी को आगरा की एक निजी संस्था सम्मानित भी करेगी. राजकुमारी के इस स्वाभिमान को रोशनी संस्था 19 दिसंबर को सेंट पीटर्स कॉलेज में कन्या सशक्तिकरण कार्यक्रम में गौरव पुरस्कार से सम्मानित करेगी. राजकुमारी कहती हैं कि मुझे खुशी है कि मेरे संघर्ष को समझा गया.

मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की लोग मेरे बारे में क्या सोचते हैं. मैं सिर्फ एक चीज मानती हुई कि कोई काम छोटा नहीं होता. मेरे कंधों पर मेरे परिवार की जिम्मेदारी है. उसे में मरते दम तक निभाऊंगी.

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आगराः "हमारी छोरिया क्या छोरो से कम हैं के" दंगल मूवी का यह हिट डायलॉग सभी को याद होगा. दंगल मूवी के इस डायलॉग ने खूब तालियां बटोरी थी, लेकिन हकीकत में इस डायलॉग को चरितार्थ करने वाली राजकुमारी की दास्तान बड़ी दिलचस्प है.

दयालबाग के दीपश्री एनक्लेव के बसेरा मार्ग स्थित एक पंक्चर की दुकान पर काम करती लड़की सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती है. पंक्चर बनाने का काम अमूमन बड़ा मुश्किल काम है. जिसे ज्यादातर पुरुष ही करते नजर आते हैं, लेकिन आगरा की एक जाबांज बेटी पंक्चर के इस मुश्किल काम को भी चुटकियों में पूरा कर देती है.

पंक्चर गर्ल राजकुमारी.

पंक्चर बनाकर कर रही पढ़ाई

18 साल की राजकुमारी से ईटीवी भारत को बताया कि उनके पिता ने फेफड़ों में संक्रमण फैलने के बाद घर की माली हालत खराब हो गई थी. पिता के कंधों पर पूरे परिवार का भार था. इस संकट से बाहर निकलने के लिए मैंने अपने पिता की दुकान को संभाला. पिता को पंक्चर जोड़ते देख कर जिज्ञासा होती थी कि पंक्चर कैसे जोड़ा जाता है. देखते ही देखते राजकुमारी ने भी पंक्चर बनाना शुरू कर दिया.

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राजकुमारी बताती हैं कि क्षेत्रीय लोग मेरे पास अपनी साइकिल और बाइक के पंक्चर बनवाने आने लगे. पंक्चर के साथ मैंने साइकिल के अन्य काम भी सीख लिए. लोग मुझे यह काम करते देख कई बार हैरान होते हैं. मुझसे पूछते है कि पंक्चर बनाना कहां से सीखा. लेकिन लोगों की यह प्रतिक्रिया मुझे ओर उत्साहित करती है. जिसकी वहज से मुझे यह काम करने में मजा आता है.

बीए की पढ़ाई कर रही हैं राजकुमारी

राजकुमारी के परिजनों को अपनी बेटी पर गर्व है. राजकुमारी के पिता हेतसिंह कहते है कि उनकी बेटी बेटों से बढ़कर है. राजकुमारी दयालबाग इंस्टीट्यूट से बीए कर रही है. पढ़ाई के साथ पंक्चर की दुकान भी संभालती है. अपने भाई- बहनों को भी पढ़ा रही है. उनके पिता हेतसिंह अधिकतर बीमार रहते हैं. लेकिन बेटी के इस जज्बे को देख कर वह गौरान्वित महसूस करते हैं. राजकुमारी के परिवार में पिता हेत सिंह, मां संतिया देवी, दो बहनें सीमा (14), लक्ष्मी (16) और एक भाई कन्हैया (16) हैं। राजकुमारी (18) सबसे बड़ी हैं। राजकुमारी ने हाईस्कूल और इंटर फर्स्ट डिवीजन से पास किया था.

बेटी के इस जज्बे को मिलेगा सम्मान

पंक्चर बनाने वाली आगरा की होनहार बेटी को आगरा की एक निजी संस्था सम्मानित भी करेगी. राजकुमारी के इस स्वाभिमान को रोशनी संस्था 19 दिसंबर को सेंट पीटर्स कॉलेज में कन्या सशक्तिकरण कार्यक्रम में गौरव पुरस्कार से सम्मानित करेगी. राजकुमारी कहती हैं कि मुझे खुशी है कि मेरे संघर्ष को समझा गया.

मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की लोग मेरे बारे में क्या सोचते हैं. मैं सिर्फ एक चीज मानती हुई कि कोई काम छोटा नहीं होता. मेरे कंधों पर मेरे परिवार की जिम्मेदारी है. उसे में मरते दम तक निभाऊंगी.

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