आगरा. राजस्थान और मध्य प्रदेश के बाद अब यूपी में भी गोवंश की लंपी स्किन डिजीज में दस्तक दे दी है. आगरा के अछनेरा ब्लॉक के गांव अटूट में एक गोवंश लंपी से संक्रमित मिला है, जिससे जिला प्रशासन और पशुपालन विभाग में खलबली मच गई है. लंपी बीमारी से बचाव (Prevention of lumpy disease) के लिए राजस्थान और मध्य प्रदेश की सीमा सील (Rajasthan and Madhya Pradesh border seal) करके वहां पर चौकियां स्थापित की गई हैं. साथ ही आगरा समेत पूरे प्रदेश में पशुओं के आवागमन पर रोक लगा दी गई है. इसके अलावा पशु हाट और पशु मेलों पर रोक (ban on cattle fare ) लगा दी गई है. आगरा के उप मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. आशीष शर्मा ने बताया कि लंपी स्किन डिजीज (lumpy skin disease) को लेकर पशु पालक और किसानों को जागरूक किया जा रहा है. लंपी की चपेट में सबसे ज्यादा गोवंश आते हैं. लेकिन, कई मामले में भैंस भी इसकी चपेट में आ चुकी हैं. यह बीमारी संक्रामक है, इसलिए तेजी से फैलती है.
आगरा के उप मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी डॉ. आशीष शर्मा ने बताया कि, लंपी स्किन डिजीज गोवंश में होती है. साहिवाल, गिरी और हरियाणा ब्रीड की गोवंश में यह बीमारी कम होती है. क्योंकि, इन गोवंशों की इम्यूनिटी स्ट्रांग होती है. यह बीमारी सबसे ज्यादा जर्सी और क्रॉस ब्रीड के गोवंश में हो रही है. क्योंकि, इन गोवंश की इम्यूनिटी कमजोर होती है. ये जल्द ही लंपी बीमारी की चपेट में आ जाते हैं. डॉ. आशीष शर्मा ने बताया कि लंबी बीमारी के वाहक मच्छर, मक्खी, चैंचडी और कलीनी है. जिसको लेकर पशु पालक और किसान पहले से परेशान रहते हैं.
बीमारी से बचने के लिए जरूरी है कि पशुबाड़ा में साफ सफाई रखें. इसके साथ ही मच्छरदानी भी लगवा लें. यदि किसान मच्छरदानी का इंतजाम नहीं कर सकते हैं तो उपले (कंडे) को जला कर उस पर कपूर और नीम के पत्ते डालकर पशुबाड़े में धुआं कर दें, जिससे मक्खी और मच्छर दोनों ही भाग जाएंगे. इसके साथ ही नीम के पत्ते पानी में डालकर उबाल लें और उसमें फिटकरी मिलाकर उससे पशुओं को नहलाएं. यदि कोई भी पशु लंपी की चपेट में आ चुका है. तो उसके उपचार के लिए नीम के पत्ते को पानी में उबालकर उसका अर्क बनाएं. उसमें कपूर और लौंग मिलाकर लेप को पशु की चमड़ी पर लगाएं. जिससे उसे राहत मिलेगी. लंपी से बचाव के लिए पशुओं को गॉट पाक्स वैक्सीन लगवाने के निर्देश सरकार से मिले हैं.
लंपी बीमारी के लक्षण
- गोवंश के पैरों में सूजन आना.
- गोवंश को तेज बुखार आना.
- पशु की गर्दन या शरीर पर गांठें निकलना.
- पशु का चारा खाना छोड़ देना.
- दूध उत्पादन की क्षमता कम होना.
- आंख और नाक से पानी आना.
- लंपी बीमारी से बचाव के उपाय
- नीम के पत्ता डालकर पानी उबालें और फिर उसी पानी से पशु को नहीं लाएं.
- पशुपालक पहले अपने स्वस्थ पशुओं को चारा दें और पानी पिलाएं.
- लंपी से संक्रमित पशु को चारा और दवा देने के बाद हाथ जरूर सैनिटाइज करें.
- मच्छर और मक्खी के चलते पशु बाड़े में मच्छरदानी का उपयोग करें.
- लंपी से संक्रमित पशु को स्वास्थ्य पशुओं से अलग रखने की व्यवस्था करें.
पढ़ें : चंबल में बाढ़ ने तोड़ा 26 साल का रिकॉर्ड, चारों तरफ सिर्फ पानी ही पानी