आगरा: ताजनगरी में निर्माणाधीन मुगल म्यूजियम का नाम बदलकर सीएम योगी ने शिवाजी म्यूजियम कर दिया है. इससे यूपी में राजनीतिक हलचल शुरू हो गई है. म्यूजियम का नाम बदलने को लेकर ईटीवी भारत ने आगरा में सपा, कांग्रेस और संगठन के पदाधिकारियों से बातचीत की. सभी ने सरकार की नाम बदलने की नीति का विरोध जताया. उन्होंने कहा कि यदि नाम बदलने की बजाय सरकार नए नाम से विकास कराए तो बेहतर रहेगा. सरकार को बेरोजगारी, भुखमरी और गरीबी पर काम करना चाहिए.
'नाम बदलने से कुछ नहीं होगा'
राष्ट्रीय स्मारक सुरक्षा समिति के अध्यक्ष सैयद मुनव्वर अली का कहना है कि नाम बदलने से कुछ नहीं होगा. मुगल म्यूजियम का नाम मुगल म्यूजियम ही होना चाहिए था, क्योंकि यहां पर मुगल काल की तमाम चीजों को दर्शाया जाएगा. मुगलों का इतिहास भी यहां दर्शाया जाएगा, फिर इसका नाम मुगल म्यूजियम क्यों नहीं? इसका नाम शिवाजी क्यों? हम मानते हैं कि मुगल हमारे वंशज नहीं है और हम उनके वंशज नहीं है.
'समस्याओं पर नहीं है ध्यान'
शहर कांग्रेस कमेटी के महासचिव सैयद इब्राहिम जैदी का कहना है कि बीजेपी सरकार शिवाजी के नाम से स्मारक बनाना चाहती थी, तो एक नया स्मारक बनवाती. उनका ध्यान सिर्फ नाम बदलने को लेकर है. उनका ध्यान न बेरोजगारी पर है, न भुखमरी पर है और न ही गरीबी पर है. बस नाम बदलकर वाहवाही लूटने पर ध्यान है. इसका कोई फायदा नहीं होगा.
'इस सरकार को नाम बदलू सरकार कहना ज्यादा अच्छा'
वहीं समाजवादी पार्टी के महानगर अध्यक्ष वाजिद निसार का कहना है कि इस सरकार को नाम बदलू सरकार कहना ज्यादा अच्छा रहेगा. सीएम योगी को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इन्हें प्रदेश में साढे़ तीन साल से ज्यादा समय सरकार चलाते हुए हो गए, लेकिन प्रदेश में आगरा सहित किसी भी शहर में कोई विकास कार्य गिनाने के लिए इनके पास नहीं है. यह तो बस पूर्व मुख्यमंत्री सपा मुखिया अखिलेश यादव के विकास कार्यों के फीता काटने में लगे हुए हैं. योगी सरकार ने जिस मुगल म्यूजियम का नाम बदला है. इसमें भी अखिलेश सरकार का ही विकास कार्य है. हमें शिवाजी के नाम से समाजवादी होने के नाते कोई भी आपत्ति नहीं है, लेकिन अखिलेश सरकार ने अपने कार्यकाल में इस मुगल म्यूजियम को बनाने का 90 प्रतिशत काम कर दिया था. 10 प्रतिशत काम फिनिशिंग का था. यह सरकार उसे अब तक नहीं कर सकी है. नाम बदलने के अलावा सरकार में कार्य कराने की कोई भी भूख नहीं है.