आगरा: अटल बिहारी वायपेयी जैसे असाधारण व्यक्ति हर रोज पैदा नहीं हुआ करते. अटलजी के नाम की तरह उनके इरादे भी 'अटल' थे. विपक्ष और विरोधी भी उनके मुरीद थे. पार्टी में उनकी अलग पहचान थी. पीएम मोदी और सीएम योगी भारत रत्न अटलजी को आदर्श मानते हैं. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वायपेयी की आज दूसरी पुण्यतिथि है. दो साल बाद भी अटलजी के पैतृक गांव बटेश्वर में भाजपा और जिला प्रशासन उनकी यादें संजोने में नाकाम है. यहां विकास की बात तो दूर अटलजी की पहली पुण्यतिथि पर लगाए गए पौधों की देखभाल न होने से वे पौधे भी सूख चुके हैं.
पौधरोपण किया, देखभाल भूल गए
बटेश्वर में अटलजी के पैतृक आवास के पास स्थित मंदिर परिसर में जनप्रतिनिधियों ने अटलजी की पहली पुण्यतिथि पर पांच पौधे लगाए थे. पौधरोपण के बाद जनप्रतिनिधि और जिम्मेदार अधिकारी इन पौधों की देखभाल के बारे में भूल गए. फिर कोई भी इन पौधों को देखने नहीं आया, इन पौधों में पानी कौन देगा और कैसे इनकी देखभाल होगी, इसकी खोज-खबर किसी ने नहीं ली.
पांच पोधे लगाए, बचा एक
रिटायर्ड शिक्षक मंगलाचरण शुक्ला का कहना है कि अटलजी की पहली पुण्यतिथि पर फतेहपुर सीकरी के सांसद राजकुमार चाहर, बाह की विधायक पक्षालिका सिंह के साथ जनप्रतिनिधि और भाजपा से जुड़े पदाधिकारी-कार्यकर्ता आए. पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम के बाद अटलजी को श्रद्धांजलि देने के लिए पांच पौधे लगाए लेकिन अब सिर्फ एक ही पौधा बचा है. बाकी चार पौधे देखरेख नहीं होने से सूख गए.
दूसरे पौधे नहीं आए
स्थानीय निवासी जितेंद्र यादव ने बताया कि अटलजी की पहली पुण्यतिथि पर बरगद, पीपल, अशोक, बेलपत्र और नीम का पौधा लगाया गया था. पौधे लगा दिए लेकिन किसी ने देखरेख नहीं की और न किसी को जिम्मेदारी दी गई. पोधों को सूखता देख मैंने अटलजी के रिश्तेदार के साथ उन पौधों की देखभाल करनी शुरू की लेकिन तब तक 4 पौधे सूख चुके थे. सिर्फ एक पीपल का पौधा ही बचा है. इतना ही नहीं इन पौधों की जगह लगाने के लिए अन्य पौधे भी नहीं मिले.
परमाणु शक्ति राष्ट्र बनाने वाले पीएम
बटेश्वर के लाल दो बार देश के प्रधानमंत्री रहे. उनके प्रधानमंत्री रहते हुए भारत परमाणु शक्ति राष्ट्र बना. अटलजी की अस्थियां लेकर सीएम योगी खुद बटेश्वर आए और अस्थियां यमुना में प्रवाहित की थी. फिर बटेश्वर धाम के विकास को लेकर तमाम वादे किए. दस करोड़ का बजट भी घोषित किया लेकिन अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की लापरवाही और देखरेख के अभाव में अटलजी की पुण्यतिथि पर लगाए गए पौधे ही सूख गए.