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सीतापुर: कोरोना काल में पौधों से आई लोगों के जीवन में हरियाली - किसानों ने नर्सरी लगाना शुरू किया

सीतापुर जिले के खैराबाद इलाके में कई लोगों ने पौधों के सहारे रोजगार शुरू किया है. किसानों का कहना है कि इससे लॉकडाउन में उनके परिवार को मजबूती मिली है. वहीं वन विभाग भी वित्तीय सहायता करके किसानों को प्रोत्साहित कर रहा है.

पौधों का रोजगार बना उम्मीदों का साधन
पौधों का रोजगार बना उम्मीदों का साधन
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Published : Oct 30, 2020, 8:29 AM IST

Updated : Oct 30, 2020, 1:37 PM IST

सीतापुर: कोरोना काल मे रोजगार बंद होने से प्रभावित लोगों के लिए पौधों हरियाली लेकर आये हैं. अब वे पौधों का बिजनेस करके अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं. वन विभाग भी नर्सरी विकसित कर रोजगार के रूप में संचालित करने वाले किसानों को वित्तीय सहायता देकर प्रोत्साहित कर रहा है.

पौधों का रोजगार बना उम्मीदों का साधन

कोरोना संकट के कारण देश में हुए लॉकडाउन के दौरान कई लोगों का रोजगार ठप हो गया. अनलॉक के बाद आर्थिक रूप से मजबूत लोगों ने तो अपने रोजगार को पुनर्स्थापित कर लिया, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के सामने रोजगार शुरू करने की चुनौती थी. इस दौरान जिले के खैराबाद इलाके के कुछ लोगों ने कम पूंजी में शुरू होने वाले पौधों के बिजनेस को महत्व दिया और पड़ोसी जिलों से पौधे लाकर यहां बेचने लगे.

जिले के कर्बलापुरवा में रहने वाले रमेश ने वन विभाग से मदद का आवेदन किया तो विभाग ने एग्रो फॉरेस्ट योजना के अंतर्गत इन्हें तीन लाख का वित्तीय सहयोग प्रदान किया. किसान रमेश ने यह वित्तीय सहायता प्राप्त करने के बाद गांव में ही एक नर्सरी तैयार की. साथ ही अब वहां करीब 25 से ज्यादा प्रजातियों के पौधे तैयार कर उन्हें बेच रहे हैं. इस तरह रमेश के परिवार का भरण पोषण सही तरीके से हो रहा है.

रमेश ने नर्सरी में न सिर्फ अपने पौधे की किस्म से रूबरू कराया, बल्कि नर्सरी के लिए लगाए गए समरसेबल, टीन शेड, बाउंड्रीवाल के साथ अन्य इंतजामों के बारे में भी बताया. रमेश ने बताया कि उनसे प्रेरित होकर क्षेत्र के अन्य कई लोग भी इस रोजगार को अपनाया है. नर्सरी का निरीक्षण करने पहुंचे वन क्षेत्राधिकारी महमूद आलम ने बताया कि छोटे काश्तकार को प्रोत्साहित करने की यह योजना बनायी गई है. यह योजना कोरोना काल मे टूट चुके किसानों के लिए राहत पहुंचाने वाली है. इस रेंज में किसान रमेश का चयन किया गया है. अन्य लोगों को वित्तीय प्रोत्साहन की बजाय पौधों को तैयार करने की सलाह दी जा रही है. कुल मिलाकर देखा जाए तो जहां एक ओर पौधों से लोगों को रोजगार मिल रहा है, वहीं दूसरी ओर पर्यावरण को भी बढ़ावा मिल रहा है.

सीतापुर: कोरोना काल मे रोजगार बंद होने से प्रभावित लोगों के लिए पौधों हरियाली लेकर आये हैं. अब वे पौधों का बिजनेस करके अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं. वन विभाग भी नर्सरी विकसित कर रोजगार के रूप में संचालित करने वाले किसानों को वित्तीय सहायता देकर प्रोत्साहित कर रहा है.

पौधों का रोजगार बना उम्मीदों का साधन

कोरोना संकट के कारण देश में हुए लॉकडाउन के दौरान कई लोगों का रोजगार ठप हो गया. अनलॉक के बाद आर्थिक रूप से मजबूत लोगों ने तो अपने रोजगार को पुनर्स्थापित कर लिया, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के सामने रोजगार शुरू करने की चुनौती थी. इस दौरान जिले के खैराबाद इलाके के कुछ लोगों ने कम पूंजी में शुरू होने वाले पौधों के बिजनेस को महत्व दिया और पड़ोसी जिलों से पौधे लाकर यहां बेचने लगे.

जिले के कर्बलापुरवा में रहने वाले रमेश ने वन विभाग से मदद का आवेदन किया तो विभाग ने एग्रो फॉरेस्ट योजना के अंतर्गत इन्हें तीन लाख का वित्तीय सहयोग प्रदान किया. किसान रमेश ने यह वित्तीय सहायता प्राप्त करने के बाद गांव में ही एक नर्सरी तैयार की. साथ ही अब वहां करीब 25 से ज्यादा प्रजातियों के पौधे तैयार कर उन्हें बेच रहे हैं. इस तरह रमेश के परिवार का भरण पोषण सही तरीके से हो रहा है.

रमेश ने नर्सरी में न सिर्फ अपने पौधे की किस्म से रूबरू कराया, बल्कि नर्सरी के लिए लगाए गए समरसेबल, टीन शेड, बाउंड्रीवाल के साथ अन्य इंतजामों के बारे में भी बताया. रमेश ने बताया कि उनसे प्रेरित होकर क्षेत्र के अन्य कई लोग भी इस रोजगार को अपनाया है. नर्सरी का निरीक्षण करने पहुंचे वन क्षेत्राधिकारी महमूद आलम ने बताया कि छोटे काश्तकार को प्रोत्साहित करने की यह योजना बनायी गई है. यह योजना कोरोना काल मे टूट चुके किसानों के लिए राहत पहुंचाने वाली है. इस रेंज में किसान रमेश का चयन किया गया है. अन्य लोगों को वित्तीय प्रोत्साहन की बजाय पौधों को तैयार करने की सलाह दी जा रही है. कुल मिलाकर देखा जाए तो जहां एक ओर पौधों से लोगों को रोजगार मिल रहा है, वहीं दूसरी ओर पर्यावरण को भी बढ़ावा मिल रहा है.

Last Updated : Oct 30, 2020, 1:37 PM IST
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