आगराः ताजनगरी में सूरज के चढ़ते तेवर से हर दिन पारा हाई हो रहा है. लू भी चल रही है. बीते पांच दिन की बात करें तो आगरा में पारा 42 के पार रहा है. ऐसे में लू और अल्ट्रावायलेट (यूवी) बी किरण से लोगों की त्वचा झुलसने लगी है. स्किन पर सन बर्न और सन टैनिंग की वजह से दिक्कत हो रही है. एसएस मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में गर्मी की वजह से स्किन से जुड़ी प्रॉब्लम के हर दिन 100 से अधिक मरीज पहुंच रहे हैं.
आगे आने वाले दिनों में स्किन संबंधी प्रॉब्लम और बढेंगी, ऐसे में भीषण गर्मी और लू के दौरान कैसे अपनी सॉफ्ट स्किन की देखभाल करें. इस पर ईटीवी भारत ने एसएनएमसी के स्किन डिमार्टमेंट के एचओडी डॉ. यतेन्द्र चाहर से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि भीषण गर्मी में स्किन संबंधी प्रॉब्लम से बचने के लिए चेहरा ढक कर घर से धूप में निकलें. स्किन पर सनस्क्रीन क्रीम लगाएं.
यूवीबी रेज बेहद खतरनाक
स्किन डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. यतेंद्र चाहर ने बताया कि अल्ट्रावायलेट तीन तरह की रेज होती हैं. इसमें यूवी ए, यूवी बी और यूवी सी होती हैं. सबसे ज्यादा घातक यूवीबी रेज होती हैं. यूवीबी रेज हमारी स्किन के लिए बेहद घातक होती हैं. अभी तापमान में जो वृद्धि हुई है. इससे सन बर्न, सन टैनिंग की, खुजली, दाने और चक्कते बन रहे हैं. यह सबसे ज्यादा खुली जगह पर होते हैं. यह चेहरा, गर्दन, हाथ पर सबसे ज्यादा हो रहे हैं. यूवीबी रेज से स्किन पर सनबर्न और टैनिंग की समस्या आम हो गई है. यूवीबी रेज की वजह से मैलिगनेंट मेलनोमा की समस्या होती है, जो स्किन कैंसर का कारण होती है.
स्किन के हिसाब से सन डैमेज का असर
फेयर स्किन टोन: जिन लोगों की गोरी त्वचा यानी फेयर स्किन होती है. उनकी स्किन पर सन डैमेज का असर सबसे अधिक होता है. ऐसे लोगों की स्किन आसानी से झुलस जाती है, जिससे फेयर स्किन पर सनबर्न, स्किन कैंसर, रिंकल, स्किन रेडनेस जैसी समस्याएं तेजी से होती हैं.
मीडियम स्किन टोन: जिन लोगों की स्किन गोरी त्वचा से थोड़ी सी गहरी होती है. उनकी स्किन भी झुलती है. मगर, वो फेयर स्किन टोन वालों से कम होती है. मीडियम स्किन टोन वालों की स्किन टैन आसानी से होती है. यूवी किरणों के संपर्क में आने से ऐसी स्किन वालों को भी स्किन कैंसर, रिंकल का खतरा रहता है.
डार्क स्किन टोन: जिन लोगों की डार्क स्किन होती है. उनकी स्किन यूवी रेज के संपर्क में आने से प्रोन हो जाती है. इसलिए, धूप से स्किन कैंसर, एजिंग का खतरा ना के बराबर होता है.
ऑयली स्किन: जिन लोगों की ऑयली स्किन होती है. ऐसे लोग यदि अधिक समय तक धूप में रहें तो स्किन झुलसती नहीं है. लेकिन, स्किन में खिंचाव की समस्या पैदा होती है. सन एक्सपोजर की वजह से ऑयल प्रोडक्शन और भी बढ़ जाता है. जिससे ब्लैकहेड्स और व्हाइटहेड्स बढ़ते हैं.
ड्राई स्किन: जिन लोगों की ड्राई स्किन होती है. उनकी स्किन जब यूवी रेज के संपर्क में आती है तो रूखी और शुष्क हो जाती है. जिससे स्किन पर रिंकल, लाइन्स हो जाती हैं.
सेंसिटिव स्किन: जिन लोगों की स्किन सेंसिटिव होती है. ऐसे जब धूप में निकलते हैं तो उनकी स्किन पर चकत्ते, रेडनेस, खुजली और इंफ्लामेशन आ जाते हैं.
यूं करें बचाव
सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें, बॉडी को कवर करके धूप में निकलें, चेहरे को ढक कर घर से निकलें, घर से छाता लेकर निकलें और धूप में बाहर निकलने से बचें.
यह डाइट में करें शामिल
ताजा फल खाएं, अंगूर भी खाएं, खटटे फलों का जूस पिंए, छाछ खूब पिएं, पानी ज्यादा पिएं और तरल पदार्थों का सेवन करें.
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