आगराः ताजमहल के पीछे यमुना की तलहटी में वन विभाग की ओर से कराए जा रहे खनन का मामला अब तूल पकड़ने लगा है. एनजीटी (नेशन ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने अपने सुरक्षित रखे निर्णय पर एक बार फिर 18 मई को सुनवाई करने के निर्देश दिया है. इसके तहत एनजीटी ने अब आगरा कमिश्नर अमित गुप्ता और डीएम नवनीत सिंह चहल को नोटिस भेजा है. एनजीटी की सुनवाई के दौरान कमिश्नर और डीएम को उपस्थिति अनिवार्य है.
बता दें कि शहर के पर्यावरणविद डॉ. शरद गुप्ता ने ताजमहल के पीछे यमुना की तलहटी में खनन को लेकर बीते साल मार्च में एनजीटी में प्रार्थना पत्र दिया था. एनजीटी ने इसे पीआईएल मानकर आगरा कमिश्नर और डीएम को नोटिस जारी किया था. इस पर डीएम और एडीए वीसी सुनवाई में शामिल हुए थे. डीएम और एडीए वीसी ने सुनवाई में अपना पक्ष भी रखा था. इसके बाद एनजीटी ने एक कमेटी बनाई. इस कमेटी से निरीक्षण करके रिपोर्ट मांगी गई थी. साथ ही पर्यावरणविद याचिकाकर्ता डॉ. शरद गुप्ता ने कमेटी को एक शपथ पत्र दिया था.
पर्यावरणविद याचिकाकर्ता डॉ. शरद गुप्ता ने कमेटी को दिए शपथ पत्र में अवगत कराया था कि ताज संरक्षित क्षेत्र में खनन की अनुमति नहीं है. इसके बाद भी वन विभाग की ओर से खनन कराया जा रहा है. जांच कमेटी की रिपोर्ट में भी यह तथ्य निकलकर आया कि यमुना में चेक डेम बनाने के नाम पर 8500 क्यूबिक मीटर मिट्टी खोदी गई. शपथ पत्र में कमेटी को यह भी अवगत कराया था कि यमुना और ताज संरक्षित वन क्षेत्र में सिल्वी कल्चर की ही अनुमति थी. जैसे आंधी-तूफान में यमुना में बहकर आने वाली पेड़ों की टहनियां और पेड़ समेत अन्य चीजों को हटाने की अनुमति ही थी.
पर्यावरणविद याचिकाकर्ता डॉ. शरद गुप्ता ने बताया कि जांच कमेटी को तमाम तथ्यों को लेकर शपथ पत्र दिया गया था. इसमें यह भी अवगत कराया था कि एनजीटी ने पूर्व में ही ताज के 500 मीटर में डूब क्षेत्र के पुनर्निधारण के आदेश दिए थे. इसके साथ ही यमुना के डूब क्षेत्र में ट्रैक्टर चलाने पर भी रोक लगाई थी.
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