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हर बदमाश की डिजिटल कुंडली, जिससे 'डॉन' को पकड़ना मुमकिन...जानें क्या है नफीस सिस्टम

आगरा और मथुरा में अपराधियों का बॉयोडाटा रखने के लिए एनएएफआईएस साफ्टवेयर इंस्टॉल(NAFIS software install) किया गया है. इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से अपराधी का बॉयोडाटा 75 साल तक सुरक्षित रखा जाएगा.

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डिजिटल कुंडली
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Published : Sep 2, 2022, 6:16 PM IST

Updated : Oct 11, 2022, 3:57 PM IST

आगरा: डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है. यह डॉन फिल्म का डायलॉग अब बीते जमाने की बात बन जाएगा क्योंकि, अब डॉन को पकड़ना यूपी के साथ ही 18 राज्यों में मुमकिन हो चुका है. नेशनल ऑटोमेटिक फिंगरप्रिंट आईडेंटिफिकेशन सिस्टम (NAFIS) सॉफ्टवेयर पर अब हर बदमाश की 'जैविक-बायोलॉजिकल कुंडली' होगी जो, उसकी मुखबिरी (चुगली) करेगी. इससे कोई भी अपराधी अपनी पहचान छुपाकर फरारी नहीं काट सकेगा. अपराध और अपराधी दोनों पर नकेल कसने के लिए पुलिस कार्यालय, विभिन्न एजेंसियों, ट्रेनिंग सेंटर्स में एनएएफआईएस साफ्टवेयर इंस्टॉल(NAFIS software install) किया गया है.

यूं काम करेगा नफीस: एसपी रेलवे मोहम्मद मुश्ताक ने बताया कि, नफीस (NAFIS) सॉफ्टवेयर का उपयोग करने के लिए पुलिस को फिंगरप्रिंट स्कैन करने के लिए दिल्ली एनसीआरबी या लखनऊ फिंगरप्रिंट ब्यूरो से रिक्वेस्ट करनी होगी. रिक्वेस्ट एक्सेप्ट होते ही अपराधी का पूरा आपराधिक इतिहास पुलिस के सामने आ जाएगा. इससे अपराधियों पर शिकंजा कसना आसान हो जाएगा. एसपी रेलवे मो. मुश्ताक ने बताया कि अभी नफीस (NAFIS) साफ्टवेयर आगरा कैंट व मथुरा जंक्शन स्टेशन पर इंस्टॉल किया गया है. जीआरपी हर दिन अपराधियों के फिंगर प्रिंट का डाटा सॉफ्टवेयर में अपलोड कर रही है. जल्द ही आंखों के आइरिस व रेटिना का बायोमीट्रिक डाटा भी अपलोड किया जाएगा.

जानकारी देते रेलवे एसपी मोहम्मद मुश्ताक

यहां पर लगाया गया नफीस:यूपी में अभी 12 जीआरपी थानों, नौ एसटीएफ और एक एटीएस ऑफिस, 11 पुलिस ट्रेनिंग स्कूल में नफीस (NAFIS) साफ्टवेयर इंस्टाल किया गया है. इसमें पकड़े गए अपराधी और सजा पाने वाले अपराधियों के फिंगर प्रिंट स्कैन करके उनका आपराधिक डाटा सेव किया जा रहा है क्योंकि, जब अपराधी पकड़ा जाता है तो वह अपनी पहचान छिपा लेता है जिससे पुलिस इसका सही आइडेंटिफिकेशन नहीं कर पाती है. इस सिस्टम में अपराधी का फिंगरप्रिंट के साथ ही बदमाश की 'जैविक-बायोलॉजिकल कुंडली' होगी जिसे स्कैन करते ही उसकी पूरी जानकारी सामने होगी.

दूसरे राज्यों में छिप जाते अपराधी: बता दें कि वारदात के बाद अपराधी पुलिस से बचने के लिए दूसरे राज्यों में चले जाते हैं. वहां पर नाम और पहचान बदलकर फरारी काटते हैं इसलिए पुलिस अपराधी तक नहीं पहुंच पाती थी. इससे वांटेड दूसरे राज्यों में पकड़े जाने पर पिछले मुकदमों से बच जाते हैं. मगर अब नए सिस्टम से यह संभव नहीं होगा.

मेरठ से जानकारी देते सवांददाता श्रीपाल तेवतिया
फिंगर प्रिंट यूनिट करेगी डाटा अपडेट: नफीस (NAFIS) को सही तरह से लागू करने के लिए फिंगर प्रिंट यूनिट की अहम जिम्मेदारी है. हर थाने में पुलिसकर्मी गिरफ्तार किए गए अपराधी के फिंगर प्रिंट लेंगे. इन फिंगरप्रिंट को जिले की फिंगर प्रिंट यूनिट में तैनात पुलिसकर्मी द्वारा ऑनलाइन अपलोड करके अपडेट किया जाएगा. हर जिले में फिंगर प्रिंट यूनिट बनाए जाने पर सरकार का जोर है. हर जिले की फिंगर प्रिंट यूनिट में चार पुलिसकर्मी तैनात होंगे.

यह भी पढे़ं:जितेंद्र नारायण त्यागी ने कोर्ट में किया सरेंडर, अंतरिम जमानत की अवधि खत्म

75 साल तक अब सुरक्षित रहेगा डाटा: संसद में 102 साल पुराने कैदियों की पहचान अधिनियम, 1920 के स्थान पर आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक, 2022 पारित करा चुकी है. पहले अपराधियों के केवल फिंगरप्रिंट, फुटप्रिंट और फोटो लेने का अधिकार था. नए विधेयक में पुलिस को अपराधियों की फोटो, फिंगरप्रिंट, फुटप्रिंट, हथेलियों की छाप, आंखों के आइरिस व रेटिना का बायोमीट्रिक डाटा, खून, वीर्य, बाल व लार आदि जैविक (बायोलाजिकल), हस्ताक्षर, लिखावट या अन्य तरह का डाटा भी लेने का अधिकार भी मिल गया है. जिसे 75 साल तक सुरक्षित रखा जा सकता है.

यह राज्य जुड़े नए सिस्टम से: उत्तर प्रदेश, नई दिल्ली, पंजाब, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, कोलकाता, आंध्र प्रदेश समेत 18 राज्यों में पुलिस और विभिन्न एजेंसियों को इस सिस्टम से जोड़ा गया है. इसके अलावा देश के बाकी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भी शीघ्र इस योजना से जोड़ा जाएगा. इसके साथ ही सिस्टम में और भी अपग्रेडेशन किए जा रहे हैं.

यह भी पढ़ें:मौलाना शहाबुद्दीन बोले, सर्वे के नाम पर मुस्लिमों को डराने की कोशिश हो रही

आगरा: डॉन को पकड़ना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है. यह डॉन फिल्म का डायलॉग अब बीते जमाने की बात बन जाएगा क्योंकि, अब डॉन को पकड़ना यूपी के साथ ही 18 राज्यों में मुमकिन हो चुका है. नेशनल ऑटोमेटिक फिंगरप्रिंट आईडेंटिफिकेशन सिस्टम (NAFIS) सॉफ्टवेयर पर अब हर बदमाश की 'जैविक-बायोलॉजिकल कुंडली' होगी जो, उसकी मुखबिरी (चुगली) करेगी. इससे कोई भी अपराधी अपनी पहचान छुपाकर फरारी नहीं काट सकेगा. अपराध और अपराधी दोनों पर नकेल कसने के लिए पुलिस कार्यालय, विभिन्न एजेंसियों, ट्रेनिंग सेंटर्स में एनएएफआईएस साफ्टवेयर इंस्टॉल(NAFIS software install) किया गया है.

यूं काम करेगा नफीस: एसपी रेलवे मोहम्मद मुश्ताक ने बताया कि, नफीस (NAFIS) सॉफ्टवेयर का उपयोग करने के लिए पुलिस को फिंगरप्रिंट स्कैन करने के लिए दिल्ली एनसीआरबी या लखनऊ फिंगरप्रिंट ब्यूरो से रिक्वेस्ट करनी होगी. रिक्वेस्ट एक्सेप्ट होते ही अपराधी का पूरा आपराधिक इतिहास पुलिस के सामने आ जाएगा. इससे अपराधियों पर शिकंजा कसना आसान हो जाएगा. एसपी रेलवे मो. मुश्ताक ने बताया कि अभी नफीस (NAFIS) साफ्टवेयर आगरा कैंट व मथुरा जंक्शन स्टेशन पर इंस्टॉल किया गया है. जीआरपी हर दिन अपराधियों के फिंगर प्रिंट का डाटा सॉफ्टवेयर में अपलोड कर रही है. जल्द ही आंखों के आइरिस व रेटिना का बायोमीट्रिक डाटा भी अपलोड किया जाएगा.

जानकारी देते रेलवे एसपी मोहम्मद मुश्ताक

यहां पर लगाया गया नफीस:यूपी में अभी 12 जीआरपी थानों, नौ एसटीएफ और एक एटीएस ऑफिस, 11 पुलिस ट्रेनिंग स्कूल में नफीस (NAFIS) साफ्टवेयर इंस्टाल किया गया है. इसमें पकड़े गए अपराधी और सजा पाने वाले अपराधियों के फिंगर प्रिंट स्कैन करके उनका आपराधिक डाटा सेव किया जा रहा है क्योंकि, जब अपराधी पकड़ा जाता है तो वह अपनी पहचान छिपा लेता है जिससे पुलिस इसका सही आइडेंटिफिकेशन नहीं कर पाती है. इस सिस्टम में अपराधी का फिंगरप्रिंट के साथ ही बदमाश की 'जैविक-बायोलॉजिकल कुंडली' होगी जिसे स्कैन करते ही उसकी पूरी जानकारी सामने होगी.

दूसरे राज्यों में छिप जाते अपराधी: बता दें कि वारदात के बाद अपराधी पुलिस से बचने के लिए दूसरे राज्यों में चले जाते हैं. वहां पर नाम और पहचान बदलकर फरारी काटते हैं इसलिए पुलिस अपराधी तक नहीं पहुंच पाती थी. इससे वांटेड दूसरे राज्यों में पकड़े जाने पर पिछले मुकदमों से बच जाते हैं. मगर अब नए सिस्टम से यह संभव नहीं होगा.

मेरठ से जानकारी देते सवांददाता श्रीपाल तेवतिया
फिंगर प्रिंट यूनिट करेगी डाटा अपडेट: नफीस (NAFIS) को सही तरह से लागू करने के लिए फिंगर प्रिंट यूनिट की अहम जिम्मेदारी है. हर थाने में पुलिसकर्मी गिरफ्तार किए गए अपराधी के फिंगर प्रिंट लेंगे. इन फिंगरप्रिंट को जिले की फिंगर प्रिंट यूनिट में तैनात पुलिसकर्मी द्वारा ऑनलाइन अपलोड करके अपडेट किया जाएगा. हर जिले में फिंगर प्रिंट यूनिट बनाए जाने पर सरकार का जोर है. हर जिले की फिंगर प्रिंट यूनिट में चार पुलिसकर्मी तैनात होंगे.

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75 साल तक अब सुरक्षित रहेगा डाटा: संसद में 102 साल पुराने कैदियों की पहचान अधिनियम, 1920 के स्थान पर आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक, 2022 पारित करा चुकी है. पहले अपराधियों के केवल फिंगरप्रिंट, फुटप्रिंट और फोटो लेने का अधिकार था. नए विधेयक में पुलिस को अपराधियों की फोटो, फिंगरप्रिंट, फुटप्रिंट, हथेलियों की छाप, आंखों के आइरिस व रेटिना का बायोमीट्रिक डाटा, खून, वीर्य, बाल व लार आदि जैविक (बायोलाजिकल), हस्ताक्षर, लिखावट या अन्य तरह का डाटा भी लेने का अधिकार भी मिल गया है. जिसे 75 साल तक सुरक्षित रखा जा सकता है.

यह राज्य जुड़े नए सिस्टम से: उत्तर प्रदेश, नई दिल्ली, पंजाब, मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, कोलकाता, आंध्र प्रदेश समेत 18 राज्यों में पुलिस और विभिन्न एजेंसियों को इस सिस्टम से जोड़ा गया है. इसके अलावा देश के बाकी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भी शीघ्र इस योजना से जोड़ा जाएगा. इसके साथ ही सिस्टम में और भी अपग्रेडेशन किए जा रहे हैं.

यह भी पढ़ें:मौलाना शहाबुद्दीन बोले, सर्वे के नाम पर मुस्लिमों को डराने की कोशिश हो रही

Last Updated : Oct 11, 2022, 3:57 PM IST
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