आगरा : ताजनगरी के श्रीजगन्नाथ मंदिर में इन दिनों कार्तिक उत्सव चल रहा है. इसमें भाग लेने कजाकिस्तान से कृष्ण भक्ति में लीन 25 से अधिक अनुयायी पहुंचे हैं. यह अनुयायी रोजाना संकीर्तन के साथ दीपदान करते हैं. इनमें अधिकतर मुस्लिम हैं. लेकिन यह सभी कृष्ण भक्ति में ऐसे रमे हैं कि सिर पर शिखा रखते हैं. माथे पर हरिनाम तिलक लगाते हैं और हाथ-गले में तुलसी माला धारण करते हैं. इनके मुख पर हमेशा हरे कृष्ण का जाप रहता है. इन सभी ने मासांहार छोड़ दिया है. ईटीवी भारत ने कजाकिस्तान आए श्रीकृष्ण भक्तों तड़ित कृष्ण दास, स्वेतलाना और जीनत से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि आतंकवाद का समाधान सिर्फ श्रीहरि की भक्ति है. श्रीकृष्ण की भक्ति का अर्थ प्रेम का प्रचार है. जिससे भाईचारा फैलता है.
![श्रीजगन्नाथ मंदिर में कजाकिस्तान से आए कृष्ण भक्त.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/02-11-2023/up-agr-04-agra-update-news-pkg-7203925_02112023201636_0211f_1698936396_434.jpg)
तड़ित कृष्ण दास कहते हैं कि श्रीमद्भगवत गीता बस एक ही सीख देती है कि सभी जीव एक ही भगवान की संतान हैं. आतंकवाद राजनीतिक स्वार्थ के कारण पनप रहा है. जब श्रीकृष्ण की भक्ति से लोग जुड़ेंगे तो सबका भला करने की सोचेंगे. मैं 1998 से श्रीकृष्ण की भक्ति में रमा हुआ हूं. अब अपना पुराना नाम याद नहीं रखना चाहता हूं. अब मेरी पहचान सिर पर शिखा, माथे पर हरिनाम का तिलक और तुलसी की माला के साथ जाप है. मैं कभी एक दिन में पांच बार मांसाहार करता था. अब अब श्रीहरि के प्रसाद के स्वाद और हरीनाम संकीर्तन में परमानन्द आता है. इसके लिए मैंने लोगों का विरोध भी सहा. लेकिन बाद में आसपास के लोग भी सहायक बन गए.
कजाकिस्तान से 25 कृष्ण भक्ति भारत आए
दरअसल कजाकिस्तान से कृष्ण भक्ति में लीन तड़ित कृष्ण दास अपने देश के 25 श्रीकृष्ण भक्तों को लेकर भारत आए हैं. जो कमला नगर स्थित श्रीजगन्नाथ मंदिर में कार्तिक उत्सव में शामिल हुए हैं. उनके साथ श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन ज्यादातर कृष्ण भक्त हिन्दी के नाम पर सिर्फ हरे रामा...हरे कृष्णा बोलना और इसका अर्थ जानते हैं. प्रतिदिन नगर कीर्तन कर श्रीकृष्ण की भक्ति का प्रचार कर रहे हैं.
संकीर्तन संग दीपदान करते हैं
तड़ित कृष्ण दास बताते हैं कि सुबह और शाम को संकीर्तन के साथ दीपदान करते हैं. आज भी सुबह पालीवाल पार्क और संध्या काल में ग्वालियर रोड स्थित देवरी गांव में नगर कीर्तन किया. लोग इधर-उधर शांति और समस्याओं का समाधान ढूंढ रहे हैं. जबकि श्रीकृष्ण की भक्ति का स्वाद मिलता है तो आनन्द की प्राप्ति होगी.
स्वेतलाना बनीं सुभद्र पूर्णिमा, इरीना यमुना सुंदरी
जीनत बताती हैं कि कजाकिस्तान की दो करोड़ की आबादी में 4 से 5 मंदिर हैं. जिनसे 3.4 हजार लोग जुडे हैं. जो भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन हैं. लगभग एक वर्ष तक हरे कृष्ण महामंत्र का प्रतिदिन 16 माला करने के बाद दीक्षा लेकर अपना नाम बदल लूंगी. कजाकिस्तान में हर साल भगवान श्रीकृष्ण के भक्त बढ़ रहे हैं. स्वेतलाना ने बताया कि एक साल तक मैंने 16 माला की. इसके बाद दीक्षा ली. अब मेरा नाम सुभद्र पूर्णिमा है. ऐसे ही बगदाद अब भक्तदेवी दासी, अंद्री अब अशोक किशोर दास, भक्तिगली टर्की अब भक्तरूपा प्रभू, इरीना अब यमुना सुन्दरी बनकर प्रसन्न हैं. गोपी ड्रेस और साड़ी में जब श्रीकृष्ण की भक्ति में झूमते हैं तो हर कोई देखता रह जाता है.
इस्कान में बह रही हरि नाम की भक्ति
इस्कॉन मंदिर आगरा के अध्यक्ष अरविन्द प्रभु ने बताया कि कजाकिस्तान के सभी 25 भक्तों के साथ मंदिर में हर रोज दीपदान का आयोजन किया जा रहा है. प्रातः नगर कीर्तन कर श्रीकृष्ण की भक्ति का प्रचार किया जा रहा है. कजाकिस्तान के अनुयायी खुद के बनाए श्रीराधाकृष्ण के भक्तिमय चित्रों को साथ लेकर आएं हैं.
श्रीकृष्ण भक्ति ने दूर किया अवसाद
कजाकिस्तान से आईं जीनत ने बताया कि मैं निजी कारणों से डिप्रेशन में थी. जब मैंने योगा क्लास सर्च किया तो मुझे भागवत क्लास की जानकारी मिली तो मैं योगा और श्रीकृष्ण भक्ति की शरण में आई. विश्वास नहीं था परन्तु ट्राई किया. अच्छा लगने लगा जीवन और घर परिवार के माहौल में परिवर्तन देख कर में अब प्रतिदिन 16 माला करती हूं. अगले वर्ष दीक्षा लेकर अपना नाम भी बदल लूंगी.
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