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आगरा: दक्षिण भारत की शैली पर बने गणेश मंदिर का मंत्री सुरेश खन्ना ने किया उद्घाटन - Ganesh temple in Agra

आगरा के छलेसर में दक्षिण भारतीय शैली में विघ्न विनाशक भगवान गणेशजी का अष्टकोणीय मंदिर का उद्घाटन वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने किया. जहां मंदिर में पद्मश्री पेरूमल सत्पति द्वारा एक वर्ष में बनाई गई वरद वल्लभा गणपति की प्रतिमा स्थापित की गई.

मंत्री सुरेश खन्ना.
मंत्री सुरेश खन्ना.
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Published : Apr 28, 2022, 12:47 PM IST

आगरा: जनपद के छलेसर में दक्षिण भारतीय शैली में विघ्न विनाशक भगवान गणेश जी का अष्टकोणीय मंदिर का उद्घाटन बुधवार को वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने किया. मंदिर में पद्मश्री पेरूमल सत्पति द्वारा एक वर्ष में बनाई गई वरद वल्लभा गणपति की प्रतिमा स्थापित की गई. 26 से 28 अप्रैल तक 3 दिवसीय प्रतिमा स्थापना एवं प्राण प्रतिष्ठा समारोह आयोजन किया गया था. 28 अप्रैल से इस मंदिर के पट भक्तों के लिए खोल दिया जाएगा. जहां मंदिर में दक्षिण भारत के पुजारी प्रतिदिन पूजा अर्चना करेंगे.

उत्तर प्रदेश सरकार के वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने मंदिर में भगवान गणेश की प्रतिमा के दर्शन कर यज्ञशाला में कलश पूजन किया. आरती उतारी इस मौके पर उन्होंने कहा कि इस तरह के धार्मिक उत्सवों से न केवल समाज को सुधारने में मदद मिलती है बल्कि धार्मिकता हमें कर्तव्य बोध भी कराती है. सुरेश खन्ना ने कहा कि बीच के कालखंड में इसलिए अराजकता बढ़ी. क्योंकि हम लोग सेकुलर के नाम पर धार्मिकता से अलग-अलग होते गए, लेकिन मोदी और योगी के युग में धार्मिकता का पुनर्जागरण हुआ है.

दक्षिण भारत के मंदिरों की तर्ज पर बनयाा गया मंदिर
एत्मादपुर आगरा-फिरोजाबाद रोड स्थित छलेसर पर अष्टकोणीय वरद वल्लभा गणपति मंदिर की नींव 12 साल पहले एनआरएल ग्रुप के हरीमोहन गर्ग व उनके बेटे रोहित व सिद्धांत गर्ग द्वारा रखी गई थी. उनके पिता को सपना आया था कि गणेशजी का मंदिर बनाएं. जिसके बाद मंदिर का कार्य शुरू हुआ. गणेशजी के इस मंदिर को आगरा के सभी मंदिरों से अलग हटकर बनाया गया है. इस मंदिर को दक्षिण भारत के मंदिरों की तर्ज पर बनाया गया और दक्षिण भारत के चैन्नई के कांचीपुरम के विद्वान पंडित शबरी राजन के नेतृत्व में आठ विद्वान पंडितों की टीम ने मंदिर की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा के लिए विशेष पूजन पद्धतियों का शुभारंभ किया. वहीं पंच कुंडीय यज्ञशाला में कांचीपुरम के यज्ञाचार्य भरनीधरन आर ने सुबह वास्तु हवन और शाम की बेला में जया हवन करवाया.

मंदिर के मुख्य परिसर में भगवान गणेश जी के सिंहासन के नीचे लगने वाली चार शिलाओं को भी विधि विधान से स्थापित किया गया. ये शिलाएं सिद्धिविनायक मंदिर मुंबई से अभिषेक होने के बाद छलेसर लाई गई हैं. शिलाओं की स्थापना के बाद चेन कुप्पी की मदद से 4 फुट ऊंची और 3 टन वजन की आकर्षक प्रतिमा को भी मंदिर में स्थापित किया गया.

इसे भी पढे़ं- राममंदिर की बाधाओं को दूर करने के लिए गणेश मंदिर का हुआ भूमिपूजन

आगरा: जनपद के छलेसर में दक्षिण भारतीय शैली में विघ्न विनाशक भगवान गणेश जी का अष्टकोणीय मंदिर का उद्घाटन बुधवार को वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने किया. मंदिर में पद्मश्री पेरूमल सत्पति द्वारा एक वर्ष में बनाई गई वरद वल्लभा गणपति की प्रतिमा स्थापित की गई. 26 से 28 अप्रैल तक 3 दिवसीय प्रतिमा स्थापना एवं प्राण प्रतिष्ठा समारोह आयोजन किया गया था. 28 अप्रैल से इस मंदिर के पट भक्तों के लिए खोल दिया जाएगा. जहां मंदिर में दक्षिण भारत के पुजारी प्रतिदिन पूजा अर्चना करेंगे.

उत्तर प्रदेश सरकार के वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने मंदिर में भगवान गणेश की प्रतिमा के दर्शन कर यज्ञशाला में कलश पूजन किया. आरती उतारी इस मौके पर उन्होंने कहा कि इस तरह के धार्मिक उत्सवों से न केवल समाज को सुधारने में मदद मिलती है बल्कि धार्मिकता हमें कर्तव्य बोध भी कराती है. सुरेश खन्ना ने कहा कि बीच के कालखंड में इसलिए अराजकता बढ़ी. क्योंकि हम लोग सेकुलर के नाम पर धार्मिकता से अलग-अलग होते गए, लेकिन मोदी और योगी के युग में धार्मिकता का पुनर्जागरण हुआ है.

दक्षिण भारत के मंदिरों की तर्ज पर बनयाा गया मंदिर
एत्मादपुर आगरा-फिरोजाबाद रोड स्थित छलेसर पर अष्टकोणीय वरद वल्लभा गणपति मंदिर की नींव 12 साल पहले एनआरएल ग्रुप के हरीमोहन गर्ग व उनके बेटे रोहित व सिद्धांत गर्ग द्वारा रखी गई थी. उनके पिता को सपना आया था कि गणेशजी का मंदिर बनाएं. जिसके बाद मंदिर का कार्य शुरू हुआ. गणेशजी के इस मंदिर को आगरा के सभी मंदिरों से अलग हटकर बनाया गया है. इस मंदिर को दक्षिण भारत के मंदिरों की तर्ज पर बनाया गया और दक्षिण भारत के चैन्नई के कांचीपुरम के विद्वान पंडित शबरी राजन के नेतृत्व में आठ विद्वान पंडितों की टीम ने मंदिर की मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा के लिए विशेष पूजन पद्धतियों का शुभारंभ किया. वहीं पंच कुंडीय यज्ञशाला में कांचीपुरम के यज्ञाचार्य भरनीधरन आर ने सुबह वास्तु हवन और शाम की बेला में जया हवन करवाया.

मंदिर के मुख्य परिसर में भगवान गणेश जी के सिंहासन के नीचे लगने वाली चार शिलाओं को भी विधि विधान से स्थापित किया गया. ये शिलाएं सिद्धिविनायक मंदिर मुंबई से अभिषेक होने के बाद छलेसर लाई गई हैं. शिलाओं की स्थापना के बाद चेन कुप्पी की मदद से 4 फुट ऊंची और 3 टन वजन की आकर्षक प्रतिमा को भी मंदिर में स्थापित किया गया.

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