आगरा: कतर में आठ पूर्व नौसेना अधिकारियों को मृत्यु दंड की सजा रद हो गई है. जब ये जानकारी सरलाबाग निवासी संजीव गुप्ता के परिवार को मिली तो खुशी की लहर दौड़ गई. बीती 26 अक्टूबर को पूर्व कमांडर संजीव गुप्ता समेत आठ पूर्व अधिकारियों को मौत की सजा सुनाई थी. इस मामले ने तूल पकड़ा तो पीड़ित पूर्व अधिकारियों के परिजनों की गुहार पर सरकार ने पैरवी की. कतर में अधिवक्ता खड़ा किया. इससे आठ परिवारों को राहत मिली है. इसके साथ ही सभी आठ अधिकारियों के बेगुनाह साबित होने की उम्मीद जगी है.
बता दें कि पूर्व कमांडर संजीव गुप्ता आगरा के गांधी नगर के मूल निवासी हैं. उनका परिवार गांधी नगर और सरला बाग में रहते हैं. पूर्व कमांडर संजीव गुप्ता के भाई के पास सरला बाग में पिता राजपाल गुप्ता इन दिनों रहे हैं. रेलवे से रिटायर्ड अधिकारी राजपाल गुप्ता के चार बेटे हैं. परिवार पहले आगरा की रेलवे कालोनी में रहता था. फिर, सन् 1992 में राजपाल गुप्ता ने गांधी नगर में आवास बनाया. यहां पर परिवार शिफ्ट हो गया. फिर, बच्चे बड़े हुए तो अलग-अलग जगह शिफ्ट हो गए. पूर्व कमांडर संजीव गुप्ता तीसरे नंबर के हैं. गांधी नगर स्थित आवास पर ताला बंद है.
मौत की सजा रद होते ही परिवार में खुशी
जब पूर्व कमांडर संजीव गुप्ता समेत अन्य अधिकारियों की मृत्यु दंड की सजा कम हुई तो उनके पिता राजपाल गुप्ता की खुशी का ठिकाना नहीं था. उन्होंने कहा कि, उन्हें भारत सरकार पर पूरा भरोसा था. सरकार बेटा समेत सभी अधिकारियों की जान बचा लेगी. सरकार ने सभी परिवार की खुशियां लौटा दी हैं. जब से कतर में बेटा को मौत की सजा सुनाई गई थी तभी से एक-एक दिन कैसे कटा है ये बता नहीं सकते हैं. हर पल यही लगता था कि, पता नहीं बेटा किस हाल में होगा. सजा के बाद एक-एक दिन कैसे कटा है. यह बता नहीं सकते हैं. बहू और नातिनी से बात होती थी. हर बार एक ही सवाल रहता था, कुछ हुआ क्या ? उन्होंने बताया कि 15 दिन पहले संजीव की पत्नी कतर में थी. अभी तक उनसे बातचीत नहीं हो पाई है.
मार्च-2022 में आए थे आखिरी बार भारत
पिता राजपाल गुप्ता ने बताया कि, कमांडर संजीव गुप्ता पूर्व नौसेना अधिकारी हैं. नौसेना से वीआरएस के बाद दिल्ली में एक कंपनी में नौकरी ज्वाइन की थी. उनकी एक बेटी है. सन् 2018 में पत्नी और बेटी सहित कतर चले गए थे. वहां एक कंपनी ज्वाइन की थी. पूर्व कमांडर संजीव गुप्ता आखिरी बार मार्च 2022 में आगरा आए थे. फिर, पत्नी और बेटी को दिल्ली में छोड़कर कतर चले गए. उनकी गिरफ्तारी की खबर परिजनों को करीब 15 दिन बाद मिली थी.
अगस्त 2022 में पकड़ा गया था
पिता राजपाल गुप्ता ने बताया कि अगस्त 2022 में कतर में आठ लोगों को पकड़ा था. इनमें सात पूर्व नौसेना अधिकारी हैं. एक पूर्व नौसैनिक है. सभी लोग ओमान की कंपनी अलदहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टिंग सर्विसेज में काम करते थे. ये कंपनी ओमान के एक सैन्य अधिकारी ने बनाई थी जो कतर की नौसेना का काम करती थी. भारत के पूर्व नौसेना अधिकारियों को नहीं छोड़ा गया.
अब तक क्या हुआ
- अगस्त-2022: कतर में अल दाहरा कंपनी के लिए काम करने गए पूर्व भारतीय नौसैनिकों को गिरफ्तार किया गया.
- सितंबर-2022: पूर्व नौसैनिकों की पहली जमानत याचिका खारिज कर दी गई.
- अक्टूबर-2022: पहली बार काउंसलर एक्सेस दिया गया.
- नवंबर-2022: कतर में भारत के राजदूत दीपक मित्तल को हटाकर PM ऑफिस में स्पेशल ड्यूटी पर तैनात कर दिया.
- दिसंबर-2022: पूर्व नौसेना अफसरों की रिहाई से जुड़े एक सवाल पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद में कहा कि ये संवेदनशील मामला है. उनकी रिहाई हमारी प्राथमिकता है.
- मार्च-2023: गिरफ्तारी के 7 महीने बाद पूर्व नौसैनिकों की पहली सुनवाई हुई.
- जून-2023: पूर्व नौसैनिकों की दूसरी सुनवाई हुई.
- अगस्त-2023: पूर्व सैनिकों का कतर की जेल में एक साल पूरा हुआ.
- अक्टूबर-2023: कतर में भारत के राजदूत विपुल ने जेल में कैद पूर्व नौसैनिकों से मुलाकात की.
- 26 अक्टूबर: मौत की सजा सुनाए जाने के बाद भारत सरकार ने हैरानी जताई. कहा कि, भारतीय पूर्व नौ सेना अधिकारियों को छुड़ाने के लिए कानूनी रास्ते खोज रहे हैं.
- दिसंबर- मौत की सजा रद कर दी गई.