आगरा: आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने आगरा कॉलेज के करोड़ों रुपये के घोटाले की जांच शुरू कर दी है. साल 2019 में लोहामंडी थाना में घोटाले की एफआईआर दर्ज कराई गई थी, जिसमें आगरा कॉलेज के शारीरिक शिक्षा विभाग से रिटायर्ड विभागाध्यक्ष डीपी शर्मा की शिकायत को आधार बनाया गया. इस एफआईआर में तत्कालीन कॉलेज प्राचार्य सहित सात प्रोफेसर को आरोपी बनाया गया है. आरोप है कि बिना कोटेशन के ही करोड़ों रुपये की खरीद कर कमीशन के रूप में मोटी रकम का गबन किया गया था.
एमजी रोड स्थित साहित्य कुंज निवासी डीपी शर्मा आगरा कॉलेज के शारीरिक शिक्षा विभाग से रिटायर्ड हैं. बीपी शर्मा का आरोप है कि आगरा कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य डॉ. अनिल कुमार गुप्ता ने तत्कालीन इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी संकाय डीन डॉ. एसी अग्रवाल, प्रभारी केंद्रीय क्रय समिति विभागाध्यक्ष एसोसिएट प्रो. वनस्पति विज्ञान डॉ. पीबी झा, मुख्य संरक्षक छात्रावास एसोसिएट प्रो. भौतिक विज्ञान डॉ. बीके चिकारा, सेमिनार संयोजक विभागाध्यक्ष एसोसिएट प्रो. राजनीतिशास्त्र डॉ. अरुणोदय बाजपेई के साथ मिलकर ई-टेंडर और जैम पोर्टल का उपयोग किए बिना करोड़ों रुपये की अवैध खरीद-फरोख्त की. इसके बाद दस्तावेजों में खर्च दिखाकर करोड़ों रुपये का कमीशन भी हड़प लिया.
बता दें कि डॉ. डीपी शर्मा की शिकायत पर 6 जुलाई 2018 को जिलाधिकारी आगरा ने मुख्य विकास अधिकारी, नगर मजिस्ट्रेट और मुख्य कोषाधिकारी की कमेटी से जांच कराई थी. 27 अगस्त 2019 को सीएम योगी को भेजे गए शिकायती पत्र पर राजकीय महिला महाविद्यालय आंवलखेड़ा के प्राचार्य प्रो. संजीव भारद्वाज से भी जांच कराई. इन दोनों ही जांचों में आरोपी दोषी माने गए, जिसके बाद फिर लोहामंडी थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई.
करोड़ों रुपये का घोटाला होने के चलते लोहामंडी थाना से जांच ईओडब्ल्यू को ट्रांसफर की गई है. ईओडब्ल्यू एसपी बाबूराम ने आगरा कॉलेज में करोड़ों रुपये के घोटाले और गबन की विवेचना शुरू कर दी है. इसके साथ ही ईओडब्ल्यू ने जरूरी दस्तावेज लोहामंडी थाने से मंगाए हैं, जिससे विवेचना की कार्रवाई को तेज किया जा सके.