आगरा: कोरोना का असर हर व्यवसाय पर पड़ा है. इंटरनेशनल लेदर, फुटवियर कॉम्पोनेंट्स एडं टेक्नोलॉजी फेयर 'मीट एट आगरा' भी इससे अछूता नहीं रहा है. हर साल सजने वाले इंटरनेशनल शूज फेयर का इस वर्ष 14वां संस्करण होना है. आगरा फुटवियर मैन्युफैक्चर्स एंड एक्सपोर्ट्स चैंबर (एफमेक) कोरोना महामारी के चलते इंटरनेशनल शूज फेयर 'मीट एट आगरा' का वर्चुअल आयोजन कराने की तैयारी कर रहा है. क्योंकि इंटरनेशनल फ्लाइट पर केंद्र सरकार ने अभी कोई फैसला नहीं लिया है. इंटरनेशनल फेयर 'मीट एट आगरा' के वर्चुअल आयोजन से आगरा की शूज इंडस्ट्रीज को करीब एक हजार करोड़ रुपये का नुकसान होगा. क्योंकि, 'मीट एट आगरा' में करोड़ों रुपये के शूज कारोबार की नींव रखी जाती थी.
आगरा फुटवियर मैन्युफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्ट्स चैंबर (एफमेक) ने सन् 2007 में शूज फेयर 'मीट एट आगरा' की शुरुआत की. एफमेक और आगरा के शूज कारोबारियों की मेहनत रंग लाई. 55 स्टॉल से शुरू हुआ 'मीट एट आगरा' 13 वें संस्करण तक 225 स्टॉल तक पहुंच गया. 'मीट एट आगरा' से आगरा में 150 करोड़ के व्यापार से बढ़ाकर 1500 करोड़ रुपये के व्यापार की नींव रखी गई.
पहले जैसे नहीं होगा आयोजन
एफमेक के प्रेसिडेंट पूरन डाबर ने बताया कि इंटरनेशनल शूज फेयर 'मीट एट आगरा' का आयोजन पहले जैसा नहीं हो सकता है. क्योंकि अभी इंटरनेशनल फ्लाइट शुरू नहीं हुई है. ऐसे में दूसरे देशों से शूज कारोबार से जुड़े उद्यमी और कंपनियां नहीं आएंगी. इसलिए अब 'मीट एट आगरा' को वर्चुअल प्लटफॉर्म पर कराने की तैयारी शुरू कर दी गई है. इसकी पूरी प्रदर्शनी को वर्चुअल प्लेटफार्म पर तैयार करने की योजना बनाई है. अभी तक हम 'मीट एट आगरा' में एक एग्जीबिशन का आयोजन करते थे, लेकिन वर्चुअल प्लेटफार्म से तीन या चार एग्जीबिशन करेंगे. प्रॉडक्ट एग्जीबिशन, लेदर एग्जीबिशन, लेदर गार्मेंट्स सहित अन्य एग्जीबिशन करेंगे.
कोरोना काल में 'मीट एट आगरा' को कैसे सफल बनाना है, इसके प्रयास किए जा रहे हैं. इसको लेकर के लगातार प्रेजेंटेशन तैयार किए जा रहे हैं. हम फैक्ट्रियों में भी वर्चुअल शोरूम तैयार कर रहे हैं.
कारोबार पर एक हजार करोड़ का असर
आगरा शू फैक्ट्री फेडरेशन के अध्यक्ष गागन दास रामानी का कहना कि एफमेक के 'मीट एट आगरा' से एक्सपोर्टर के साथ ही डोमेस्टिक शूज इंडस्ट्रीज को लाभ पहुंचता है. इसमें तमाम तरह के नए-नए रॉ मैटेरियल कापोनेंट्स के साथ ही डिजाइन, अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी और मशीनरी की जानकारी शूज उद्यमियों को होती है. यहां पर विदशों की कंपनियों की स्टॉल लगाती हैं. आगरा के शूज कारोबारी इस इवेंट में देशी और विदेशी बायर से भी रूबरू होते हैं. इस बार यदि 'मीट एट आगरा' वर्चुअल होता है तो फुटवियर इंडस्ट्रीज को करीब एक हजार करोड़ रुपये का नुकसान होने की संभावना है.
ऐसे होगा नुकसान
- इंटरनेशनल बायर्स और एक्सपोर्ट्स नहीं आएंगे.
- नई तकनीक और फैशन से उद्यमी रूबरू नहीं होंगे.
- देशभर के बायर्स भी नहीं आएंगे, जिससे नए शूज कॉम्पोनेंट्स की जानकारी नहीं हो पाएगी.
दस देशों की कंपनिया 2019 में हुईं थी शामिल
दस देशों की शूज कंपनियों ने सन् 2019 में 'मीट एट आगरा' के 13वें संस्करण में स्टॉल लगाई थी. इसमें चाइना, ब्राज़ील, अर्जेंटीना, जर्मनी, ताइवान, इटली, स्पेन, हांगकांग, वियतनाम और अन्य देश शामिल हुए. इसके साथ ही देशभर से चेन्नई, कोलकाता, लुधियाना, जालंधर, दिल्ली, नोएडा, कानपुर और मुंबई की शूज कंपनियों की भी 'मीट एट आगरा' में स्टॉल लगा था.
'मीट एट आगरा' से शूज कारोबारियों को फायदा
मीट एट आगरा' से उद्यमियों को इंटरनेशनल स्तर की शूज के नए डिजाइन, फैशन, लेदर और कलर समेत अन्य तमाम नई नई टेक्नोलॉजी की जानकारी मिलती है. 'मीट एट आगरा' से शूज एक्सपोर्ट्स की संभावनाएं बढ़ती हैं. वहीं नई टेक्नालॉजी और मशीनों को उद्यमी से रूबरू होते हैं.
आगरा का शूज कारोबार पर एक नजर
- आगरा में शूज बनाने की 300 यूनिट हैं.
- आगरा में शूज तैयार करने के लिए पांच हजार कुटीर उद्योग हैं.
- आगरा से शूज निर्यात 3500 करोड़ रुपये का है.
- सालाना शूज कारोबार 7000 करोड़ रुपये का है.
- हर दिन आगरा में पांच लाख जोड़ी जूता बनता है.
- शूज कारोबार से पांच लाख लोगों को रोजगार मिलता है.
- 65 फीसदी भारत आगरा का बना जूता पहनता है.