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आगरा रेल मंडल में नहीं होंगे ट्रेन हादसे, रेलवे लाइनों पर लगाए जा रहे कवच सिस्टम

ओडिशा में हुए भीषण सड़क हादसे के बाद रेलवे ने एहतियात बरतना शुरू कर दिया है. आगरा रेल मंडल में भी हादसों को रोकने की कवायद शुरू कर दी गई है. इसके तहत रेलवे लाइनों पर कवच सिस्टम लगाए जा रहे हैं.

रेलवे ने लाइनों पर कवच सिस्टम लगा दिए हैं.
रेलवे ने लाइनों पर कवच सिस्टम लगा दिए हैं.
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Published : Jun 9, 2023, 7:55 PM IST

रेलवे ने लाइनों पर कवच सिस्टम लगा दिए हैं.

आगरा : ओडिशा में ट्रेन हादसे के बाद रेलवे ने सुरक्षा इंतजामों को लेकर कई रणनीतियों पर अमल करना शुरू कर दिया है. उत्तर मध्य रेलवे के अधिकारी सबसे ज्यादा चिंतित हैं. इसकी वजह ये है कि आगरा रेल मंडल में सबसे तेज गति वाली वंदे भारत और गतिमान एक्सप्रेस ट्रेनें दौड़ती हैं. हाई स्पीड ट्रेनों में यात्रियों की सुरक्षा के लिए रेलवे अत्याधुनिक तकनीक कवच का इस्तेमाल कर रहा है. आगरा मंडल के मथुरा स्टेशन से पलवल स्टेशन के बीच तेजी से रेलवे ट्रैक पर कवच सिस्टम लगाए जा रहे हैं. लोको में भी कवच लगाया जा रहा है. रेलवे अधिकारियों के अनुसार आगरा रेल मंडल में पलवल स्टेशन से धौलपुर स्टेशन तक 2024 तक कवच लगाने का काम पूरा हो जाएगा.

आगरा रेल मंडल की पीआरओ प्रशस्ति श्रीवास्तव ने बताया कि यात्री ट्रेन हो या फिर मालगाड़ी. ट्रेनों के संचालन में जरा सी चूक होते ही भयंकर हादसा हो जाता है . इससे जानमाल की हानि होती है. ऐसे हादसे रोकने के लिए रेलवे ने स्वचालित सुरक्षा प्रणाली तैयार की है. इससे आगरा रेल मंडल में चल रहीं ट्रेन और उनमें सफर करने वाले रेल यात्रियों को सुरक्षा कवच हासिल होगा. ट्रेनों को कोलिजन सुरक्षा प्रणाली से लैस किया जाएगा. रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआई) उपकरणों से युक्त ट्रेनें हादसों से बच सकेंगी.

आगरा रेल मंडल की पीआरओ ने बताया कि कवच तकनीक से ट्रेन हादसे रुकेंगे. कवच से तेज गति से आती ट्रेन भी यदि एक-दूसरे के नजदीक आएंगी तो कवच सिस्टम से ट्रेन के चालक सतर्क होंगे. इसके साथ ही कवच खुद से ट्रेन भी रोक देगा. इससे ट्रेन हादसे होने की संभावन कम रहेगी. आगरा मंडल रेल में मथुरा-पलवल रेलवे लाइन के बीच कवच लगाने का काम तेजी से चल रहा है.

क्या है कवच सुरक्षा प्रणाली : रेलवे ने ट्रेन कोलिजन अवॉइडेंस सिस्टम (टीसएएस) नाम की सुरक्षा प्रणाली को कवच नाम दिया है. इसमें दो पार्ट होते हैं. लोकोमोटिव और सिग्नलिंग सिस्टम के साथ-साथ रेल पटरियों के बीच इसे लगाया जाता है. इसमें रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन उपकरणों का सेट स्थापित किया जाता है. यदि ट्रेन एक-दूसरे से निर्धारित दूरी पर एक ही रेल लाइन पर होती हैं तो पहले रेडियो फ्रीक्वेंसी के माध्यम से यह सिस्टम चालकों को सतर्क करेगा. इस सिस्टम से ऑटोमेटिक तरीके से पास-पास रहने वाली ट्रेनें रोकी जा सकेंगी.

यह भी पढ़ें : बालासोर रेल हादसे से रेलवे ने लिया सबक, 10 दिन तक चलेगा इंटेंसिव सेफ्टी ड्राइव

रेलवे ने लाइनों पर कवच सिस्टम लगा दिए हैं.

आगरा : ओडिशा में ट्रेन हादसे के बाद रेलवे ने सुरक्षा इंतजामों को लेकर कई रणनीतियों पर अमल करना शुरू कर दिया है. उत्तर मध्य रेलवे के अधिकारी सबसे ज्यादा चिंतित हैं. इसकी वजह ये है कि आगरा रेल मंडल में सबसे तेज गति वाली वंदे भारत और गतिमान एक्सप्रेस ट्रेनें दौड़ती हैं. हाई स्पीड ट्रेनों में यात्रियों की सुरक्षा के लिए रेलवे अत्याधुनिक तकनीक कवच का इस्तेमाल कर रहा है. आगरा मंडल के मथुरा स्टेशन से पलवल स्टेशन के बीच तेजी से रेलवे ट्रैक पर कवच सिस्टम लगाए जा रहे हैं. लोको में भी कवच लगाया जा रहा है. रेलवे अधिकारियों के अनुसार आगरा रेल मंडल में पलवल स्टेशन से धौलपुर स्टेशन तक 2024 तक कवच लगाने का काम पूरा हो जाएगा.

आगरा रेल मंडल की पीआरओ प्रशस्ति श्रीवास्तव ने बताया कि यात्री ट्रेन हो या फिर मालगाड़ी. ट्रेनों के संचालन में जरा सी चूक होते ही भयंकर हादसा हो जाता है . इससे जानमाल की हानि होती है. ऐसे हादसे रोकने के लिए रेलवे ने स्वचालित सुरक्षा प्रणाली तैयार की है. इससे आगरा रेल मंडल में चल रहीं ट्रेन और उनमें सफर करने वाले रेल यात्रियों को सुरक्षा कवच हासिल होगा. ट्रेनों को कोलिजन सुरक्षा प्रणाली से लैस किया जाएगा. रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआई) उपकरणों से युक्त ट्रेनें हादसों से बच सकेंगी.

आगरा रेल मंडल की पीआरओ ने बताया कि कवच तकनीक से ट्रेन हादसे रुकेंगे. कवच से तेज गति से आती ट्रेन भी यदि एक-दूसरे के नजदीक आएंगी तो कवच सिस्टम से ट्रेन के चालक सतर्क होंगे. इसके साथ ही कवच खुद से ट्रेन भी रोक देगा. इससे ट्रेन हादसे होने की संभावन कम रहेगी. आगरा मंडल रेल में मथुरा-पलवल रेलवे लाइन के बीच कवच लगाने का काम तेजी से चल रहा है.

क्या है कवच सुरक्षा प्रणाली : रेलवे ने ट्रेन कोलिजन अवॉइडेंस सिस्टम (टीसएएस) नाम की सुरक्षा प्रणाली को कवच नाम दिया है. इसमें दो पार्ट होते हैं. लोकोमोटिव और सिग्नलिंग सिस्टम के साथ-साथ रेल पटरियों के बीच इसे लगाया जाता है. इसमें रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन उपकरणों का सेट स्थापित किया जाता है. यदि ट्रेन एक-दूसरे से निर्धारित दूरी पर एक ही रेल लाइन पर होती हैं तो पहले रेडियो फ्रीक्वेंसी के माध्यम से यह सिस्टम चालकों को सतर्क करेगा. इस सिस्टम से ऑटोमेटिक तरीके से पास-पास रहने वाली ट्रेनें रोकी जा सकेंगी.

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