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चंबल सेंक्चुरी में लगातार बढ़ रही मगरमच्छ और घड़ियालों की संख्या

आगरा के चंबल सेंक्चुरी में घड़ियाल और मगरमच्छ की संख्या हर साल बढ़ रही है. नेशनल चंबल सेंक्चुरी क्षेत्र ही नहीं बल्कि इन पर काम कर रही संस्थाएं और रिसर्च स्काॅलर्स भी यह मानते हैं.

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Published : Feb 3, 2021, 5:02 PM IST

Updated : Feb 4, 2021, 1:46 PM IST

चंबल में मगरमच्छ-घड़ियालों की संख्या बढ़ी.
चंबल में मगरमच्छ-घड़ियालों की संख्या बढ़ी.

आगरा : मध्य प्रदेश की चंबल नदी के किनारे भले ही डाकुओं का ठिकाना और गोलियों की तड़तड़ाहट होती हो ,लेकिन उत्तर प्रदेश जब यह नदी पहुंचती है तो यहां घड़ियाल और मगरमच्छ समेत अनेक वन्य जीवों का आशियाना बन जाती है. यह बात भी सच है कि एक वक्त था जब निर्भय गुर्जर समेत अनेक डाकू यहां छुपने आ जाया करते थे, लेकिन अब राष्ट्रीय चंबल सेंक्चुरी प्रोजेक्ट की कोशिशें रंग लाईं और यह पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है. आप बेखौफ होकर यहां खूबसूरत की वादियों और वन्यजीवों और पक्षियों की कलरव का आनंद ले सकते हैं. कोविड-19 की वजह से बीते साल चंबल में घड़ियाल, मगरमच्छ की गणना नहीं हुई थी. अब यह गणना 4 फरवरी 2021 से शुरू हो चुकी है, जिसके लिए नेशनल चंबल सेंचुरी प्रोजेक्ट के अधिकारियों ने पूरी तैयारी कर ली है. जनगणना से इनकी संख्या का पता लगाया जाएगा. प्रशासन इस बात को लेकर उत्साहित है कि बीते कुछ समय में इनकी आबादी बढ़ी है.

मगरमच्छ-घड़ियालों का कुनबा बढ़ा
साल 1979 में चंबल को सेंक्चुरी घोषित करके 'घड़ियाल प्रोजेक्ट' की शुरूआत की गई थी. घड़ियाल संरक्षण प्रोजेक्ट के तहत अंडों को सहेजने के लिए कुकरैल, लखनऊ और मुरैना (मध्य प्रदेश) में प्रजनन केंद्र खोले गए. यहां पर घड़ियाल, मगरमच्छ के बच्चों को नदी में छोड़ा जाता था. देश की सबसे स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त चंबल नदी राजस्थान, मध्यप्रदेश और यूपी से होकर बहती है. यहां पर मगरमच्छ, घड़ियाल की संख्या बीते 7 साल में दोगुनी हो गई है, जिससे नेशनल चंबल सेंक्चुरी के कर्मचारियों के साथ ही वन्यजीव प्रेमियों में खुशी है.
चंबल नदी के पास लगातार घड़ियाल और मगरमच्छ की संख्या बढ़ रही.
चंबल नदी के पास लगातार घड़ियाल और मगरमच्छ की संख्या बढ़ रही.
कोविड 19 की वजह से नहीं हुई थी गणना


चंबल सेंक्चुरी में सामान्य तौर पर हर साल मार्च से अप्रैल में घड़ियाल और मगरमच्छ की गणना की जाती थी, जिसमें वन विभाग के साथ ही अन्य विशेषज्ञ शामिल रहते थे. लेकिन साल 2020 में कोविड-19 की वजह से लाॅकडाउन लग गया, जिसके चलते घड़ियाल और मगरमच्छ की चंबल में गणना नहीं हुई थी.

चंबल नदी के पास पहुंचा मगरमच्छ
चंबल नदी के पास पहुंचा मगरमच्छ
दो दिन चलेगी गणना


नेशनल चंबल सेंक्चुरी प्रोजेक्ट के डीएफओ दिवाकर प्रसाद श्रीवास्तव ने बताया कि पहले हमने जनवरी में घड़ियाल, मगरमच्छ और अन्य जीव और मेहमान पक्षियों की गणना की तैयारी की थी, लेकिन मौसम सही नहीं होने की वजह से उसे टाल दिया गया. लेकिन 4 फरवरी से चंबल में घड़ियाल और मगरमच्छ की गणना शुरू हो चुकी है. सुबह 9 बजे गणना शुरू होगी, जो शाम तक चलेगी. यदि 4 फरवरी को गणना पूरी नहीं हुई, तो अगले दिन (5 फरवरी) की जाएगी.

यहां घड़ियाल-मगरमच्छ के साथ मेहमान परिंदों का कलरव गूंजता है.
यहां घड़ियाल-मगरमच्छ के साथ मेहमान परिंदों का कलरव गूंजता है.
पांच-पांच किलोमीटर के बनाएंगे ट्रैक

डीएफओ दिवाकर प्रसाद श्रीवास्तव ने बताया कि यूपी में चंबल सेंक्चुरी का क्षेत्र करीब 165 किलोमीटर आता है. यह क्षेत्र आगरा और इटावा जिले में है. गणना के लिए अब 5 किलोमीटर तक ट्रैक बनाएंगे. इस क्षेत्र को टुकडों में बांटेंगे. गणना में नेशनल चंबल चंबल सेंक्चुरी प्रोजेक्ट के बाह और इटावा रेंज के कर्मचारी, मद्रास की क्रोकोडायल बैंक और टीएसए के वॉलंटियर्स के साथ ही रिचर्स स्काॅलर्स शामिल होंगे. इसमें ये टीमें घड़ियाल, मगरमच्छ के साथ-साथ प्रवासी पक्षियों की गणना करेंगे. चंबल सेंक्चुरी में लगातार घड़ियाल और मगरमच्छों की संख्या बढ़ रही है. यह नेशनल चंबल सेंक्चुरी क्षेत्र ही नहीं, इन पर काम कर रही संस्थाएं और रिसर्च स्काॅलर्स भी यह मानते हैं.

घड़ियाल और मगरमच्छ को रास आ रहा चंबल का स्वच्छ जल.
घड़ियाल और मगरमच्छ को रास आ रहा चंबल का स्वच्छ जल.
वर्षमगरमच्छों की संख्या
2018611
2019704


अब तक के आंकड़े

वर्षघड़ियालों की संख्या
2013905
2014948
20151088
20161162
20171255
20181687
20191842

आगरा : मध्य प्रदेश की चंबल नदी के किनारे भले ही डाकुओं का ठिकाना और गोलियों की तड़तड़ाहट होती हो ,लेकिन उत्तर प्रदेश जब यह नदी पहुंचती है तो यहां घड़ियाल और मगरमच्छ समेत अनेक वन्य जीवों का आशियाना बन जाती है. यह बात भी सच है कि एक वक्त था जब निर्भय गुर्जर समेत अनेक डाकू यहां छुपने आ जाया करते थे, लेकिन अब राष्ट्रीय चंबल सेंक्चुरी प्रोजेक्ट की कोशिशें रंग लाईं और यह पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है. आप बेखौफ होकर यहां खूबसूरत की वादियों और वन्यजीवों और पक्षियों की कलरव का आनंद ले सकते हैं. कोविड-19 की वजह से बीते साल चंबल में घड़ियाल, मगरमच्छ की गणना नहीं हुई थी. अब यह गणना 4 फरवरी 2021 से शुरू हो चुकी है, जिसके लिए नेशनल चंबल सेंचुरी प्रोजेक्ट के अधिकारियों ने पूरी तैयारी कर ली है. जनगणना से इनकी संख्या का पता लगाया जाएगा. प्रशासन इस बात को लेकर उत्साहित है कि बीते कुछ समय में इनकी आबादी बढ़ी है.

मगरमच्छ-घड़ियालों का कुनबा बढ़ा
साल 1979 में चंबल को सेंक्चुरी घोषित करके 'घड़ियाल प्रोजेक्ट' की शुरूआत की गई थी. घड़ियाल संरक्षण प्रोजेक्ट के तहत अंडों को सहेजने के लिए कुकरैल, लखनऊ और मुरैना (मध्य प्रदेश) में प्रजनन केंद्र खोले गए. यहां पर घड़ियाल, मगरमच्छ के बच्चों को नदी में छोड़ा जाता था. देश की सबसे स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त चंबल नदी राजस्थान, मध्यप्रदेश और यूपी से होकर बहती है. यहां पर मगरमच्छ, घड़ियाल की संख्या बीते 7 साल में दोगुनी हो गई है, जिससे नेशनल चंबल सेंक्चुरी के कर्मचारियों के साथ ही वन्यजीव प्रेमियों में खुशी है.
चंबल नदी के पास लगातार घड़ियाल और मगरमच्छ की संख्या बढ़ रही.
चंबल नदी के पास लगातार घड़ियाल और मगरमच्छ की संख्या बढ़ रही.
कोविड 19 की वजह से नहीं हुई थी गणना


चंबल सेंक्चुरी में सामान्य तौर पर हर साल मार्च से अप्रैल में घड़ियाल और मगरमच्छ की गणना की जाती थी, जिसमें वन विभाग के साथ ही अन्य विशेषज्ञ शामिल रहते थे. लेकिन साल 2020 में कोविड-19 की वजह से लाॅकडाउन लग गया, जिसके चलते घड़ियाल और मगरमच्छ की चंबल में गणना नहीं हुई थी.

चंबल नदी के पास पहुंचा मगरमच्छ
चंबल नदी के पास पहुंचा मगरमच्छ
दो दिन चलेगी गणना


नेशनल चंबल सेंक्चुरी प्रोजेक्ट के डीएफओ दिवाकर प्रसाद श्रीवास्तव ने बताया कि पहले हमने जनवरी में घड़ियाल, मगरमच्छ और अन्य जीव और मेहमान पक्षियों की गणना की तैयारी की थी, लेकिन मौसम सही नहीं होने की वजह से उसे टाल दिया गया. लेकिन 4 फरवरी से चंबल में घड़ियाल और मगरमच्छ की गणना शुरू हो चुकी है. सुबह 9 बजे गणना शुरू होगी, जो शाम तक चलेगी. यदि 4 फरवरी को गणना पूरी नहीं हुई, तो अगले दिन (5 फरवरी) की जाएगी.

यहां घड़ियाल-मगरमच्छ के साथ मेहमान परिंदों का कलरव गूंजता है.
यहां घड़ियाल-मगरमच्छ के साथ मेहमान परिंदों का कलरव गूंजता है.
पांच-पांच किलोमीटर के बनाएंगे ट्रैक

डीएफओ दिवाकर प्रसाद श्रीवास्तव ने बताया कि यूपी में चंबल सेंक्चुरी का क्षेत्र करीब 165 किलोमीटर आता है. यह क्षेत्र आगरा और इटावा जिले में है. गणना के लिए अब 5 किलोमीटर तक ट्रैक बनाएंगे. इस क्षेत्र को टुकडों में बांटेंगे. गणना में नेशनल चंबल चंबल सेंक्चुरी प्रोजेक्ट के बाह और इटावा रेंज के कर्मचारी, मद्रास की क्रोकोडायल बैंक और टीएसए के वॉलंटियर्स के साथ ही रिचर्स स्काॅलर्स शामिल होंगे. इसमें ये टीमें घड़ियाल, मगरमच्छ के साथ-साथ प्रवासी पक्षियों की गणना करेंगे. चंबल सेंक्चुरी में लगातार घड़ियाल और मगरमच्छों की संख्या बढ़ रही है. यह नेशनल चंबल सेंक्चुरी क्षेत्र ही नहीं, इन पर काम कर रही संस्थाएं और रिसर्च स्काॅलर्स भी यह मानते हैं.

घड़ियाल और मगरमच्छ को रास आ रहा चंबल का स्वच्छ जल.
घड़ियाल और मगरमच्छ को रास आ रहा चंबल का स्वच्छ जल.
वर्षमगरमच्छों की संख्या
2018611
2019704


अब तक के आंकड़े

वर्षघड़ियालों की संख्या
2013905
2014948
20151088
20161162
20171255
20181687
20191842
Last Updated : Feb 4, 2021, 1:46 PM IST
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