आगरा: महिला को जिंदा जलाकर मारने के मामले में पीड़िता का एक बयान, जिसमें वह अपने पति से कह रही है कि 'मुझे जलाने वालों को सजा दिलाने तक तुम चुप नहीं बैठना, उन्होंने मुझे बहुत अपमानित किया. कोई भी इतना अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकता. वे बहुत जालिम हैं. इन जालिमों को सजा दिलाकर रहना. यह कहना था 90 फीसदी झुलसी संगीता का. उसने दम तोड़ने से पहले यही बयान अपने पति को दिया था.
यह दावा रिटायर्ड फौजी अनिल का है. अनिल का कहना है कि उसने पत्नी का यह आखिरी बयान मोबाइल में रिकॉर्ड किया है, जिसे वह पुलिस को सौंपेगा, जिससे कि इसे जांच में शामिल किया जा सके.
रिटायर्ड फौजी अनिल कुमार राजावत का कहना है कि उनकी पत्नी संगीता पंचायत से रोते हुए घर आई थी. पंचायत से ही उसके पीछे चार लोग आए थे, जो घर में गए. दो मिनट बाद ही संगीता की चीख सुनाई दी और वह लपटों से घिरी बाहर निकली थी. सभी चारों लोग भाग गए. उन्होंने ही संगीता को जिंदा जलाया था. पत्नी संगीता को बचाने की कोशिश में वह भी झुलस गया है.
बिना जांच के गिरफ्तारी को पहुंची थी पुलिस
मृतका के पति अनिल ने बताया कि एससी-एसटी के मुकदमे में बिना जांच के पुलिस दबिश देने पहुंच गई थी. भरत खरे ने मुकदमा छह अक्टूबर को दर्ज कराया था. मामला बच्चों के झगड़े का था. कॉलोनी के लोगों ने उससे कहा कि वह चिंता न करें, पुलिस जांच करेगी तो सच्चाई सामने आ जाएगी. लेकिन आठ अक्टूबर को पुलिस गिरफ्तारी के लिए दबिश देने पहुंच गई. वह घर पर नहीं था. पत्नी से कहा कि उसे थाने भेज देना. वह जेल जाएगा.
दहशत में थी संगीता
अनिल का कहना है कि पुलिस की दबिश से संगीता दहशत में आ गई थी. वह उसके साथ चौकी पर गई तो उसे दिनभर बैठाकर रखा. कॉलोनी के लोगों ने बताया कि यह बच्चों के झगड़े का मामला है. आपस में बातचीत करके सुलझा लिया जाएगा, तब छोड़ा. इससे संगीता बस यही कह रही थी कि माफी मांग लेंगे नहीं तो पुलिस दोनों को जेल भेज देगी.
चौकी इंचार्ज लाइन हाजिर
एसएसपी बबलू कुमार ने इस मामले में चौकी इंचार्ज योगेश कुमार को लाइन हाजिर कर दिया है. इसके साथ ही एससी-एसटी के मुकदमे की फिर से जांच करने के निर्देश दिए हैं. इस मामले में जो भी पुलिसकर्मी और दोषी हैं उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी.