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कितनी खतरनाक है मिथाइल अल्कोहल से बनी शराब.. जानिए क्या बोले फॉरेंसिक एक्सपर्ट प्रो. डॉ अजय अग्रवाल - Forensic expert Prof. Dr Ajay Agarwal

डॉ. अजय अग्रवाल ने बताया कि मिथाइल से बनी शराब पीने वाला जब बेहोश हो जाए तो समझ लेना चाहिए कि उसकी हालत नाजुक है. ऐसे व्यक्ति के बचने की संभावना कम रहती है. इसलिए प्राथमिक लक्षण दिखाई देने पर तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए.

कितनी खतरनाक है मिथाइल अल्कोहल से बनी शराब
कितनी खतरनाक है मिथाइल अल्कोहल से बनी शराब
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Published : Aug 27, 2021, 11:53 AM IST

आगरा. ताजनगरी के तीन थाना थाना क्षेत्र के चार गांव में जहरीली शराब के सेवन से दस लोगों की मौत से कोहराम मचा हुआ है. सीएम योगी की फटकार से जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारी हरकत में आ चुके हैं.

इस संबंध में चार मृतकों का पोस्टमार्टम कराया गया है, उनकी विसरा रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. पोस्टमार्टम और फारेंसिक लैब की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि मिथाइल अल्कोहल की बनी शराब का सेवन करने से इन लोगों की मौत हुई है.

ईटीवी भारत ने गुरुवार को एनएन मेडिकल कॉलेज (एसएनएमसी) के फॉरेंसिक मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रो. डॉ अजय अग्रवाल से जहरीली शराब या मिथाइल अल्कोहल को लेकर विशेष बातचीत की. उन्होंने बताया कि मिथाइल अल्कोहल से बनी जहरीली शराब पीने वाले को यदि समय पर उपचार मिल जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है.

यह हैं प्राथमिक लक्षण

एसएनएमसी के फॉरेंसिक मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रो. डॉ अजय अग्रवाल ने बताया कि मिथाइल अल्कोहल से बनी शराब पीने के बाद ही व्यक्ति में कुछ ही देर बाद प्राथमिक लक्षण दिखते हैं. जहरीली शराब पीने वाले को पहले घबराहट होती है, उल्टियां होती हैं, फिर सिर चकराने लगता है.

तीन से चार घंटे में मिथाइल अल्कोहल अपना पूरा असर दिखाना शुरू कर देता है. जब उसके मेटाबॉलिज्म की चेन शुरू होती है. जहरीली मेटाबॉलिज्म की पूरी प्रक्रिया 36 घंटे में पूरी होती है. इसमें मिथाइल अल्कोहल के मेटाबालिज्म से फार्मेल्डिहाइड बनता है. इसका सबसे ज्यादा असर आंखों पर पड़ता है. आंखों की रोशनी चली जाती है.

मिथाइल अल्कोहल का असर फैफड़े, किडनी और लीवर पर भी पड़ता है. अधिक मात्रा में मिथाइल अल्कोहल की शराब पीने से मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर की आशंका ज्यादा रहती है.

यूं बनता है फॉर्मेल्डिहाइड

डॉ. अजय अग्रवाल ने बताया कि लीवर का काम शरीर को डिटॉक्सिफाई करना होता है. लीवर में डिहाइड्रोजनेट एन्जाइम होता है. मिथाइल अल्कोहल ज्यादा मात्रा में पहुंचने पर लीवर प्रभावित होता है. इससे डिटॉक्सिफाई प्रक्रिया पर असर पड़ता है. लीवर मिथाइल अल्कोहल को फॉर्मेल्डिहाइड में बदलता है. यही वजह है कि फॉर्मेल्डिहाइड सीधे हमारे अंगों को प्रभावित करता है.

यह भी पढ़ें : रोड एक्सीडेंट से नहीं मरा था ढाबा संचालक, दोस्तों ने ही रची थी मौत की साजिश


इसलिए जहरीली होती है मिथाइल अल्कोहल की बनी शराब

डॉ अजय अग्रवाल ने बताया कि देसी शराब शीरे या सड़े फलों के उपयोग से बनाई जाती है. इसमें खमीर बनता है. खमीर में एक वैक्टीरिया लहन को एथाइल अल्कोहल में और दूसरा वैक्टीरिया लहन को मिथाइल अल्कोहल में बदलता है.

इसमें सबसे बड़ी गलती उस समय होती है जब शराब बनाते समय आसवित मिश्रण जिस बर्तन में जमा होता है, उसमें एथाइल अल्कोहल और मिथाइल अल्कोहल साथ-साथ जमा होते हैं. अवैध शराब बनाने वाले मिथाइल और एथाइल अल्कोहल अलग नहीं कर पाते हैं. यही जहरीली शराब होती है.

जानिए क्या बोले फॉरेंसिक एक्सपर्ट प्रो. डॉ अजय अग्रवाल
बेहोशी छाना, मतलब बचना मुश्किल

डॉ. अजय अग्रवाल ने बताया कि मिथाइल से बनी शराब पीने वाला जब बेहोश हो जाए तो समझ लेना चाहिए कि उसकी हालत नाजुक है. ऐसे व्यक्ति के बचने की संभावना कम रहती है. इसलिए प्राथमिक लक्षण दिखाई देने पर तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए.

मिथाइल अल्कोहल की शराब से पीड़ित का इलाज चिकित्सक भी दवाओं के साथ ओरल एथाइल अल्कोहल देकर करते हैं. क्योंकि लीवर में एथाइल अल्कोहल के मेटााबाल्जिम की प्रक्रिया मिथाइल अल्कोहल से पहले शुरू होती है. इस दौरान लीवर में मिथाइल अल्कोहल निष्क्रिय रहता है. जो उसी दौरान यूरिन के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाता है.

15 एमएल मिथाइल अल्कोहल से मौत

डॉ अजय अग्रवाल ने बताया कि मिथाइल अल्कोहल से बनी शराब जहरीली होती है. मिथाइल अल्कोहल की 15 एमएल की मात्रा से ही मौत सकती है.

आगरा. ताजनगरी के तीन थाना थाना क्षेत्र के चार गांव में जहरीली शराब के सेवन से दस लोगों की मौत से कोहराम मचा हुआ है. सीएम योगी की फटकार से जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारी हरकत में आ चुके हैं.

इस संबंध में चार मृतकों का पोस्टमार्टम कराया गया है, उनकी विसरा रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. पोस्टमार्टम और फारेंसिक लैब की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि मिथाइल अल्कोहल की बनी शराब का सेवन करने से इन लोगों की मौत हुई है.

ईटीवी भारत ने गुरुवार को एनएन मेडिकल कॉलेज (एसएनएमसी) के फॉरेंसिक मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रो. डॉ अजय अग्रवाल से जहरीली शराब या मिथाइल अल्कोहल को लेकर विशेष बातचीत की. उन्होंने बताया कि मिथाइल अल्कोहल से बनी जहरीली शराब पीने वाले को यदि समय पर उपचार मिल जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है.

यह हैं प्राथमिक लक्षण

एसएनएमसी के फॉरेंसिक मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रो. डॉ अजय अग्रवाल ने बताया कि मिथाइल अल्कोहल से बनी शराब पीने के बाद ही व्यक्ति में कुछ ही देर बाद प्राथमिक लक्षण दिखते हैं. जहरीली शराब पीने वाले को पहले घबराहट होती है, उल्टियां होती हैं, फिर सिर चकराने लगता है.

तीन से चार घंटे में मिथाइल अल्कोहल अपना पूरा असर दिखाना शुरू कर देता है. जब उसके मेटाबॉलिज्म की चेन शुरू होती है. जहरीली मेटाबॉलिज्म की पूरी प्रक्रिया 36 घंटे में पूरी होती है. इसमें मिथाइल अल्कोहल के मेटाबालिज्म से फार्मेल्डिहाइड बनता है. इसका सबसे ज्यादा असर आंखों पर पड़ता है. आंखों की रोशनी चली जाती है.

मिथाइल अल्कोहल का असर फैफड़े, किडनी और लीवर पर भी पड़ता है. अधिक मात्रा में मिथाइल अल्कोहल की शराब पीने से मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर की आशंका ज्यादा रहती है.

यूं बनता है फॉर्मेल्डिहाइड

डॉ. अजय अग्रवाल ने बताया कि लीवर का काम शरीर को डिटॉक्सिफाई करना होता है. लीवर में डिहाइड्रोजनेट एन्जाइम होता है. मिथाइल अल्कोहल ज्यादा मात्रा में पहुंचने पर लीवर प्रभावित होता है. इससे डिटॉक्सिफाई प्रक्रिया पर असर पड़ता है. लीवर मिथाइल अल्कोहल को फॉर्मेल्डिहाइड में बदलता है. यही वजह है कि फॉर्मेल्डिहाइड सीधे हमारे अंगों को प्रभावित करता है.

यह भी पढ़ें : रोड एक्सीडेंट से नहीं मरा था ढाबा संचालक, दोस्तों ने ही रची थी मौत की साजिश


इसलिए जहरीली होती है मिथाइल अल्कोहल की बनी शराब

डॉ अजय अग्रवाल ने बताया कि देसी शराब शीरे या सड़े फलों के उपयोग से बनाई जाती है. इसमें खमीर बनता है. खमीर में एक वैक्टीरिया लहन को एथाइल अल्कोहल में और दूसरा वैक्टीरिया लहन को मिथाइल अल्कोहल में बदलता है.

इसमें सबसे बड़ी गलती उस समय होती है जब शराब बनाते समय आसवित मिश्रण जिस बर्तन में जमा होता है, उसमें एथाइल अल्कोहल और मिथाइल अल्कोहल साथ-साथ जमा होते हैं. अवैध शराब बनाने वाले मिथाइल और एथाइल अल्कोहल अलग नहीं कर पाते हैं. यही जहरीली शराब होती है.

जानिए क्या बोले फॉरेंसिक एक्सपर्ट प्रो. डॉ अजय अग्रवाल
बेहोशी छाना, मतलब बचना मुश्किल

डॉ. अजय अग्रवाल ने बताया कि मिथाइल से बनी शराब पीने वाला जब बेहोश हो जाए तो समझ लेना चाहिए कि उसकी हालत नाजुक है. ऐसे व्यक्ति के बचने की संभावना कम रहती है. इसलिए प्राथमिक लक्षण दिखाई देने पर तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए.

मिथाइल अल्कोहल की शराब से पीड़ित का इलाज चिकित्सक भी दवाओं के साथ ओरल एथाइल अल्कोहल देकर करते हैं. क्योंकि लीवर में एथाइल अल्कोहल के मेटााबाल्जिम की प्रक्रिया मिथाइल अल्कोहल से पहले शुरू होती है. इस दौरान लीवर में मिथाइल अल्कोहल निष्क्रिय रहता है. जो उसी दौरान यूरिन के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाता है.

15 एमएल मिथाइल अल्कोहल से मौत

डॉ अजय अग्रवाल ने बताया कि मिथाइल अल्कोहल से बनी शराब जहरीली होती है. मिथाइल अल्कोहल की 15 एमएल की मात्रा से ही मौत सकती है.

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