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145 चिकित्सा संस्थानों के नवीनीकरण आवेदन खारिज, 40 चिकित्सा इकाइयों पर लगेगा ताला - आगरा में किराए की डिग्रियों पर हॉस्पिटल

यूपी में किराए की डिग्रियां लेकर बहुत सारे चिकित्सा संस्थान चल रहे हैं. आगरा में भी 15 ऐसे डॉक्टर हैं, जिनके नाम से अलग-अलग जिलों में 449 हॉस्पिटल और पैथोलॉजी पंजीकृत हैं. आगरा सीएमओ ने 145 चिकित्सा संस्थानों के नवीनीकरण के आवेदन खारिज कर दिए हैं.

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Published : Jul 20, 2023, 9:06 AM IST

आगरा: ताजनगरी में किराए की डिग्रियों पर चल रहे चिकित्सा संस्थानों की चर्चा लखनऊ तक हो रही है. जिले में 15 ऐसे चिकित्सक सामने आए हैं, जिनके नाम पर राज्य के अलग-अलग जिलों में 449 चिकित्सा संस्थान (हाॅस्पिटल और पैथोलाॅजी) पंजीकृत हैं. किराए की डिग्री से संचालित झोलाछाप की दुकान बंद करने के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने सख्ती बरतना शुरू कर दी है. इसकी वजह से कई लोगों ने खुद चिकित्सा संस्थान का रजिस्ट्रेशन सरेंडर कर दिया है, जबकि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की सख्ती से चिकित्सकों ने हाथ खड़े कर दिए हैं. इससे चिकित्सा संचालकों को दूसरे नए चिकित्सक की डिग्री रजिस्ट्रेशन का नवीनीकरण कराने के लिए नहीं मिल रही है. इससे जिले में 40 चिकित्सा इकाइयों पर ताला लटक जाएगा.

बता दें कि बीते दिनों आगरा सीएमओ कार्यालय ने चिकित्सा संस्थानों के रजिस्ट्रेशन में डाॅक्टर्स की किराए की डिग्री के खेल का चौकाने वाला खुलासा किया था. इससे आगरा से राजधानी लखनऊ तक चिकित्सा विभाग और चिकित्सकों में खलबली मच गई. आगरा सीएमओ कार्यालय ने ऐसे 15 चिकित्सक के नाम उजागर किए, जिनके नाम से प्रदेश भर में 449 हाॅस्पिटल और पैथोलाॅजी का रजिस्ट्रेशन मिला था. इससे खुलासा हुआ था कि यूपी में ऐसे दर्जनों चिकित्सक हैं, जो अपनी डिग्री किराए पर उठाकर मोटी कमाई कर रहे हैं. इससे झोलाछाप हॉस्पिटल, क्लीनिक, पैथोलाॅजी और रेडियो डायग्नोस्टिक सेंटर खोल कर लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं.

इस वजह से चिकित्सा इकाइयां होंगी बंद

सीएमओ डाॅ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि जिले में करीब 145 चिकित्सा संस्थान के नवीनीकरण आवेदन खारिज कर दिए गए हैं. अब इन इकाइयों चलाने के लिए दूसरे डॉक्टर्स की जरूरत है. इसके साथ ही कार्यालय में 12 चिकित्सा इकाइयों ने अपने लाइसेंस खुद सरेंडर कर दिए हैं. अब ये संचालक चिकित्सा इकाइयों का संचालन नहीं करेंगे. इसके साथ ही विभाग की टीमों की कार्रवाई की 17 इकाइयां अभी सील हैं, जो बंद पड़ी हैं. बाकी की चिकित्सा इकाइयों ने दोबारा नवीनीकरण के लिए आवेदन नहीं किया है. इसके साथ ही 23 चिकित्सा इकाइयों के संचालकों को लाइसेंस के लिए दूसरे डॉक्टर्स नहीं मिल रहे. इसलिए, जिले में 40 चिकित्सा इकाइयां बंद होने की स्थिति में हैं.

अब सावधानीपूर्वक दस्तावेजों की छानबीन

सीएमओ डाॅ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि जिले में विभाग की टीम लगातार ऐसे चिकित्सा संस्थानों पर कार्रवाई करके उन्हें सील कर रही है, जहां पर रजिस्ट्रेशन वाला चिकित्सक या अनट्रेंड स्टाॅफ मिल रहा है. लगातार टीमें सीलिंग की कार्रवाई कर रही हैं. अब चिकित्सा इकाइयों के पंजीकरण और पंजीकरण के नवीनीकरण की प्रक्रिया चल रही है. इसमें बहुत सावधानी बरती जा रही है. तमाम छानबीन के बाद ही लाइसेंस जारी होंगे.

डाॅ. मनीष कुमार पर सख्त कार्रवाई को भेजी रिपोर्ट

सीएमओ डाॅ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि किराए की डिग्री को लेकर विभाग ने अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को भेज दी है. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को एक पत्र लिखा है. इसमें डॉ. मनीष कुमार वार्ष्णेय की स्वास्थ्य इकाइयों की जानकारी दी है. इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की है. डॉ. मनीष कुमार वार्ष्णेय के नाम 65 स्वास्थ्य इकाइयां संचालित मिली थीं. इस पर स्वास्थ्य विभाग ने आगरा में संचालित हॉस्पिटल और पैथोलॉजी पर कार्रवाई की थी. अब सख्त कार्रवाई के लिए विभाग को रिपोर्ट भेजी है.

यह भी पढ़ें: एचआईवी पॉजिटिव जवान का प्रमोशन रोकना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन: इलाहाबाद हाईकोर्ट

आगरा: ताजनगरी में किराए की डिग्रियों पर चल रहे चिकित्सा संस्थानों की चर्चा लखनऊ तक हो रही है. जिले में 15 ऐसे चिकित्सक सामने आए हैं, जिनके नाम पर राज्य के अलग-अलग जिलों में 449 चिकित्सा संस्थान (हाॅस्पिटल और पैथोलाॅजी) पंजीकृत हैं. किराए की डिग्री से संचालित झोलाछाप की दुकान बंद करने के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने सख्ती बरतना शुरू कर दी है. इसकी वजह से कई लोगों ने खुद चिकित्सा संस्थान का रजिस्ट्रेशन सरेंडर कर दिया है, जबकि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की सख्ती से चिकित्सकों ने हाथ खड़े कर दिए हैं. इससे चिकित्सा संचालकों को दूसरे नए चिकित्सक की डिग्री रजिस्ट्रेशन का नवीनीकरण कराने के लिए नहीं मिल रही है. इससे जिले में 40 चिकित्सा इकाइयों पर ताला लटक जाएगा.

बता दें कि बीते दिनों आगरा सीएमओ कार्यालय ने चिकित्सा संस्थानों के रजिस्ट्रेशन में डाॅक्टर्स की किराए की डिग्री के खेल का चौकाने वाला खुलासा किया था. इससे आगरा से राजधानी लखनऊ तक चिकित्सा विभाग और चिकित्सकों में खलबली मच गई. आगरा सीएमओ कार्यालय ने ऐसे 15 चिकित्सक के नाम उजागर किए, जिनके नाम से प्रदेश भर में 449 हाॅस्पिटल और पैथोलाॅजी का रजिस्ट्रेशन मिला था. इससे खुलासा हुआ था कि यूपी में ऐसे दर्जनों चिकित्सक हैं, जो अपनी डिग्री किराए पर उठाकर मोटी कमाई कर रहे हैं. इससे झोलाछाप हॉस्पिटल, क्लीनिक, पैथोलाॅजी और रेडियो डायग्नोस्टिक सेंटर खोल कर लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं.

इस वजह से चिकित्सा इकाइयां होंगी बंद

सीएमओ डाॅ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि जिले में करीब 145 चिकित्सा संस्थान के नवीनीकरण आवेदन खारिज कर दिए गए हैं. अब इन इकाइयों चलाने के लिए दूसरे डॉक्टर्स की जरूरत है. इसके साथ ही कार्यालय में 12 चिकित्सा इकाइयों ने अपने लाइसेंस खुद सरेंडर कर दिए हैं. अब ये संचालक चिकित्सा इकाइयों का संचालन नहीं करेंगे. इसके साथ ही विभाग की टीमों की कार्रवाई की 17 इकाइयां अभी सील हैं, जो बंद पड़ी हैं. बाकी की चिकित्सा इकाइयों ने दोबारा नवीनीकरण के लिए आवेदन नहीं किया है. इसके साथ ही 23 चिकित्सा इकाइयों के संचालकों को लाइसेंस के लिए दूसरे डॉक्टर्स नहीं मिल रहे. इसलिए, जिले में 40 चिकित्सा इकाइयां बंद होने की स्थिति में हैं.

अब सावधानीपूर्वक दस्तावेजों की छानबीन

सीएमओ डाॅ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि जिले में विभाग की टीम लगातार ऐसे चिकित्सा संस्थानों पर कार्रवाई करके उन्हें सील कर रही है, जहां पर रजिस्ट्रेशन वाला चिकित्सक या अनट्रेंड स्टाॅफ मिल रहा है. लगातार टीमें सीलिंग की कार्रवाई कर रही हैं. अब चिकित्सा इकाइयों के पंजीकरण और पंजीकरण के नवीनीकरण की प्रक्रिया चल रही है. इसमें बहुत सावधानी बरती जा रही है. तमाम छानबीन के बाद ही लाइसेंस जारी होंगे.

डाॅ. मनीष कुमार पर सख्त कार्रवाई को भेजी रिपोर्ट

सीएमओ डाॅ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि किराए की डिग्री को लेकर विभाग ने अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को भेज दी है. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को एक पत्र लिखा है. इसमें डॉ. मनीष कुमार वार्ष्णेय की स्वास्थ्य इकाइयों की जानकारी दी है. इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की है. डॉ. मनीष कुमार वार्ष्णेय के नाम 65 स्वास्थ्य इकाइयां संचालित मिली थीं. इस पर स्वास्थ्य विभाग ने आगरा में संचालित हॉस्पिटल और पैथोलॉजी पर कार्रवाई की थी. अब सख्त कार्रवाई के लिए विभाग को रिपोर्ट भेजी है.

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