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आगरा के इस केंद्र ने 44759 दिव्यांगों का किया है मुफ्त इलाज

दुनिया भर में हर साल 3 दिसंबर को विश्व विकलांग दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन को मुख्य रूप से दिव्यांगों के प्रति लोगों के व्यवहार में बदलाव लाने और उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए 1992 से ही शुरू कर दिया गया था.

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विश्व विकलांग दिवस विशेष.
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Published : Dec 3, 2019, 12:47 AM IST

आगराः आज हम आपको एक ऐसे संस्थान की ओर ले चलेंगे जो हजारों दिव्यांगों की जिंदगियों को संवार चुका है. ताज नगरी आगरा में हरदयाल विकलांग केंद्र ऐसी जगह है, जहां लोग लंगड़ाते हुये आते हैं और चलते हुए जाते हैं. इस केंद्र ने अभी तक 44759 दिव्यांग जनों की निःशुल्क मदद की है.

विश्व विकलांग दिवस विशेष: इस केंद्र ने 44759 दिव्यांगों का किया है मुफ्त इलाज.

पहले दिल्ली में बनता था कृतिम पैर

विकलांग केंद्र के अध्यक्ष सुनील अग्रवाल ने बताया कि यह केंद्र 1996 से ही दिव्यांगों की जिंदगियों को संवार रहा है. इस केंद्र की स्थापना उनके पिता स्व. ओम प्रकाश अग्रवाल ने की थी. सन 1996 में उनके पिताजी स्व. ओम प्रकाश अग्रवाल यहां से दिव्यांगों को दिल्ली कृत्रिम पैर लगवाने के लिए लेकर के जाते थे. इसमें कृत्रिम पैर (लिंब), कैलीपर्स, वैशाखी और अन्य शामिल थे.

दिव्यांगों को बस से दिल्ली ले जाया जाता था और कृत्रिम पैर लगने के बाद फिर उन्हें आगरा लाया जाता था. दिल्ली आने-जाने में मरीजों को काफी मुश्किल होती थी. इसको लेकर स्व. ओम प्रकाश अग्रवाल ने विष्णु कपूर से चर्चा की और फिर यह तय हुआ कि वे आगरा में भी एक वर्कशॉप शुरू करेंगे. हरदयाल विकलांग केंद्र के नाम से एक सेंटर बनाया गया और यहीं पर वर्कशॉप शुरू हुआ. अब यहीं पर दिव्यांग जनों के लिए कैलिपर्स और अन्य उपकरण बनाए जाते हैं.

चार तरह आते हैं विकलांग

विकलांग केंद्र के अध्यक्ष सुनील अग्रवाल ने बताया कि उनके पास दो डॉक्टर हैं, जो पहले शिविर में आने वाले हर मरीज को देखते हैं. चेकअप करते हैं और यह तय करते हैं कि वे इस मरीज की मदद कर पाएंगे या नहीं. डॉक्टर यह तय करते हैं कि हम किस मरीज के लिए लिंब बनाएंगे, किसके लिए कैलिपर्स बनाएंगे और किसके एएफओ बनाएंगे. किसको ट्राईसाइकिल देंगे. इस तरह से चार भागों में काम को बांट लेते हैं.

72 घंटे में तैयार होता है उपकरण

एक्सपर्ट नाप लेकर लिंब और कैलिपर्स बनाते हैं. 72 घंटे में फिर दिव्यांग को देते हैं. ट्रायल करके फिर यह देखते हैं और फिर मरीज को भेजते हैं. सुनील अग्रवाल ने बताया कि यहां पर विकलांगों से संबंधित हर प्रकार की व्यवस्था मौजूद है और उपकरणों का रिपेयर भी किया जाता है.

केंद्र ने किया है 44759 दिव्यांगों की निःशुल्क मदद

केंद्र के अध्यक्ष सुनील अग्रवाल ने बताया कि हर गुरुवार को लगने वाले कैंप में अलग-अलग जगहों से कुल मिलाकर 200 दिव्यांग आते हैं. इनमें से करीब 30 % दिव्यांग लिंब के होते हैं. 70% दिव्यांग कैलीपर्स के होते हैं. केंद्र के कम्प्यूटर में मौजूद डाटा के अनुसार अभी तक 23 सालों में इस केंद्र के द्वारा कुल 44759 दिव्यांग जनों की निःशुल्क मदद की जा चुकी है.

आगराः आज हम आपको एक ऐसे संस्थान की ओर ले चलेंगे जो हजारों दिव्यांगों की जिंदगियों को संवार चुका है. ताज नगरी आगरा में हरदयाल विकलांग केंद्र ऐसी जगह है, जहां लोग लंगड़ाते हुये आते हैं और चलते हुए जाते हैं. इस केंद्र ने अभी तक 44759 दिव्यांग जनों की निःशुल्क मदद की है.

विश्व विकलांग दिवस विशेष: इस केंद्र ने 44759 दिव्यांगों का किया है मुफ्त इलाज.

पहले दिल्ली में बनता था कृतिम पैर

विकलांग केंद्र के अध्यक्ष सुनील अग्रवाल ने बताया कि यह केंद्र 1996 से ही दिव्यांगों की जिंदगियों को संवार रहा है. इस केंद्र की स्थापना उनके पिता स्व. ओम प्रकाश अग्रवाल ने की थी. सन 1996 में उनके पिताजी स्व. ओम प्रकाश अग्रवाल यहां से दिव्यांगों को दिल्ली कृत्रिम पैर लगवाने के लिए लेकर के जाते थे. इसमें कृत्रिम पैर (लिंब), कैलीपर्स, वैशाखी और अन्य शामिल थे.

दिव्यांगों को बस से दिल्ली ले जाया जाता था और कृत्रिम पैर लगने के बाद फिर उन्हें आगरा लाया जाता था. दिल्ली आने-जाने में मरीजों को काफी मुश्किल होती थी. इसको लेकर स्व. ओम प्रकाश अग्रवाल ने विष्णु कपूर से चर्चा की और फिर यह तय हुआ कि वे आगरा में भी एक वर्कशॉप शुरू करेंगे. हरदयाल विकलांग केंद्र के नाम से एक सेंटर बनाया गया और यहीं पर वर्कशॉप शुरू हुआ. अब यहीं पर दिव्यांग जनों के लिए कैलिपर्स और अन्य उपकरण बनाए जाते हैं.

चार तरह आते हैं विकलांग

विकलांग केंद्र के अध्यक्ष सुनील अग्रवाल ने बताया कि उनके पास दो डॉक्टर हैं, जो पहले शिविर में आने वाले हर मरीज को देखते हैं. चेकअप करते हैं और यह तय करते हैं कि वे इस मरीज की मदद कर पाएंगे या नहीं. डॉक्टर यह तय करते हैं कि हम किस मरीज के लिए लिंब बनाएंगे, किसके लिए कैलिपर्स बनाएंगे और किसके एएफओ बनाएंगे. किसको ट्राईसाइकिल देंगे. इस तरह से चार भागों में काम को बांट लेते हैं.

72 घंटे में तैयार होता है उपकरण

एक्सपर्ट नाप लेकर लिंब और कैलिपर्स बनाते हैं. 72 घंटे में फिर दिव्यांग को देते हैं. ट्रायल करके फिर यह देखते हैं और फिर मरीज को भेजते हैं. सुनील अग्रवाल ने बताया कि यहां पर विकलांगों से संबंधित हर प्रकार की व्यवस्था मौजूद है और उपकरणों का रिपेयर भी किया जाता है.

केंद्र ने किया है 44759 दिव्यांगों की निःशुल्क मदद

केंद्र के अध्यक्ष सुनील अग्रवाल ने बताया कि हर गुरुवार को लगने वाले कैंप में अलग-अलग जगहों से कुल मिलाकर 200 दिव्यांग आते हैं. इनमें से करीब 30 % दिव्यांग लिंब के होते हैं. 70% दिव्यांग कैलीपर्स के होते हैं. केंद्र के कम्प्यूटर में मौजूद डाटा के अनुसार अभी तक 23 सालों में इस केंद्र के द्वारा कुल 44759 दिव्यांग जनों की निःशुल्क मदद की जा चुकी है.

Intro:आगरा.
ताजनगरी में लंगड़े की चौकी स्थित हरदयाल विकलांग केंद्र दिव्यांगजनों का मददगार बना हुआ है. सेवा भाव से शुरू किया गया. यह शहर ही नहीं, यूपी के साथ ही दूसरे प्रदेश के दिव्यांगों की आस बन गया है. यहां पर तमाम दुख सहकर दिव्यांग यहां घिसटते और लंगड़ाते हुए आते हैं और यहां से अपने पैरों पर जाते हैं. तब उनके चेहरे की खुशी देखते ही बनती है. उस समय ऐसा लगता है, जैसे उन्हें सब कुछ मिल गया. विश्व दिव्यांग दिवस पर ईटीवी भारत ने दिव्यांगों को यह खुशी प्रदान करने वाले हरदयाल विकलांग केंद्र के अध्यक्ष सुनील अग्रवाल से विशेष बातचीत की. जिसमें उन्होंने संस्था के सेवा कार्य पर चर्चा की.


Body:कैसे शुरू की गई
विकलांग केंद्र के अध्यक्ष सुनील अग्रवाल ने बताया कि, सन 1996 में मेरे पिताजी स्व. ओम प्रकाश अग्रवाल यहां से दिव्यांगों को दिल्ली कृत्रिम पैर लगवाने के लिए लेकर के जाते थे. जिसमें
कृत्रिम पैर (लिंब), कैलीपर्स, वैशाखी और अन्य शामिल थे. दिव्यांगों को बस से दिल्ली ले जाया जाता था और कृत्रिम पैर लगने के बाद फिर उन्हें आगरा लाएगा था. इस दौरान काफी मुश्किल होती थी. इसको लेकर मेरे पिताजी ने विष्णु कपूर से चर्चा की और फिर यह तय हुआ कि हम आगरा में भी एक वर्कशॉप शुरू करेंगे और तब जाकर के सेवा भाव से हरदयाल विकलांग केंद्र बनाएगा और यहीं पर वर्कशॉप बनाई गई जहां पर दिव्यांग जनों के लिए कैलिपर्स और अन्य उपकरण बनाए जाते हैं.
वर्कशॉप पर किस तरह से काम होता है
विकलांग केंद्र के अध्यक्ष सुनील अग्रवाल ने बताया कि, हमारे पास 2 डॉक्टर हैं, जो पहले शिविर में आने वाले हर मरीज को देखते हैं. चेकअप करते हैं. और यह तय करते हैं कि हम इस मरीज की मदद कर पाएंगे या नहीं कर पाएंगे. डॉक्टर जब तय कर लेते हैं कि हम किस मरीज के लिए लिंब बनाएंगे, किसके लिए कैलिपर्स बनाएंगे और किसके एएफओ बनाएंगे. किसको ट्राईसाइकिल देंगे. इस तरह से चार भागों में बांट लेते हैं फिर एक्सपर्ट नाप लेकर लिंब और कैलिपर्स बनाते हैं. 72 घंटे में फिर दिव्यांग को देते हैं. ट्रायल करके फिर यह देखते हैं और फिर भेजते हैं.
हर माह के कैंप में कितने दिव्यांग आते हैं
हरदयाल विकलांग केंद्र के अध्यक्ष सुनील अग्रवाल ने बताया कि, महा के हर गुरुवार को लगने वाले कैंप में अलग-अलग जगहों से कुल मिलाकर 200 दिव्यांग आते हैं. जिनमें से करीब 30 % दिव्यांग लिंब के होते हैं. 70% दिव्यांग कैलीपर्स के होते हैं. इसके साथ ही कई ऐसे मरीज दिव्यांग आते हैं. जिनके लिंब या कैलिपर्स में छोटी मोटी कमी होती है. जिसे दूर किया जाता है. हमें एक ऐसी संस्था है, जो नए कैलीपर्स बनाने के साथ ही उनमें छोटी मोटी आने वाली कमियों की रिपेयर भी करते हैं.

23 साल में 44759 दिव्यांग की मदद की
हरदयाल विकलांग केंद्र के अध्यक्ष सुनील अग्रवाल ने बताया कि, ने बताया कि 23 साल में संस्था के द्वारा 44700 से ज्यादा दिव्यांगों को निशुल्क कृतिम उपकरण उपलब्ध कराएं है. रिकार्ड कंप्यूटराइज्ड है. जिसमें दिव्यांग की पूरी डिटेल रखी जाती है. दिव्यांग का पता, आधार कार्ड सहित अन्य जानकारी रहती हैं.

आंकड़े
सन् ...................दिव्यांग की संख्या




Conclusion:पहले जयपुर से फुट बनकर आते थे. मगर अब यहीं पर फुट और अन्य तैयार होते हैं. हर माह गुरुवार को लगने वाले शिविर में 20 लोग सेवा करते हैं. जिसमें चिकित्सक, टेक्नीशियन और अन्य शामिल हैं.
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वन टू वन सुनील अग्रवाल, संचालक ( हरदयाल विकलांग केंद्र, आगरा)।
संस्था में माह के गुरुवार को दिव्यांग आते हैं. इसलिए दिव्यांगों के विजुअल नहीं हैं। कुछ फोटोज हैं, जिन्हें रैप से इसी हैडिंग से भेज रहा हूँ.
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श्यामवीर सिंह
आगरा
8387893357
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