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Happy Teachers Day 2021: आज के युग में जरूरी है बच्चों के डिजिटल डाइट पर बैलेंस बनाना: साइबर एक्सपर्ट - necessary for children to know about cybercrime

5 सितंबर हर साल टीचर्स डे के तौर पर मनाया जाता है. एक शिक्षक का किसी भी छात्र के जीवन में खास महत्व होता है. आज के डिजिटल जमाने में बच्चों के भविष्य को संवारने में इंटरनेट भी अहम भूमिका निभा रहा है. वहीं, डिजिटल वर्ल्ड में साइबर क्राइम का ग्राफ भी तेजी से बढ़ रहा है. साइबर क्राइम पर लगाम लगाने के लिए साइबर एक्सपर्ट रक्षित टंडन ने कुछ उपयुक्त सुझाव दिए हैं.

स्पेशल रिपोर्ट.
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Published : Sep 5, 2021, 11:18 AM IST

Updated : Sep 5, 2021, 11:29 AM IST

आगरा: आज डिजिटल इंडिया (Digital India) का जमाना है. क्योंकि, आज हर हाथ में स्मार्टफोन है. लेपटॉप और डेस्कटॉप पर बच्चे, युवा और बुजुर्गों की खूब अंगुलियां खूब नाचती हैं. कोरोना संक्रमण से तो संचार के संसार का दरिया तेजी से बढ़ रहा है. क्योंकि, दुनियां में हर छोटी से बड़ी खरीदारी, जॉब्स और पढ़ाई भी ऑनलाइन है. डिजिटल वर्ल्ड में साइबर क्राइम का ग्राफ भी तेजी से बढ़ रहा है. आगरा के रक्षित टंडन 13 साल से साइबर साक्षरता की अलख जगा रहे हैं. शिक्षक दिवस पर ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में साइबर क्राइम एक्सपर्ट रक्षित टंडन ने बताया कि उन्होंने अब तक में 40 से 45 लाख बच्चों को साइबर साक्षर बनाया है. पुलिस और अन्य एसोसिएशन के साथ मिलकर लगातार साइबर साक्षरता की मुहिम चला रहे हैं. आजकल साइबर का संसार बढ़ने से बच्चों की डिजिटल बैंलेंस डाइट भी जरूरी है.

साइबर क्राइम एक्सपर्ट रक्षित टंडन ने बताया कि, जब हमारा बच्चा सुबह इंटरनेट ऑन करता है. वह मोबाइल, लेपटॉप या डेस्कटॉप की स्क्रीन पर जाता है तो वह तरह के एप्लीकेशन को कंज्यूम करता है. वह सोशल मीडिया पर जाता है. वहां पर कोई फेक न्यूज होती है. अश्लील चित्र होता है. उसे देखता है. पोर्न साइट पर जाता है. अव्यूज ऑफ कंटेट होता है. कुछ अच्छा कंटेट होता है. कुछ बुरा कंटेट होता है. मोबाइल में बच्चा 10 तरह के एप्लीकेशन चलता है. वह गेम्स खेलता है. हैडफोन लगा लेता है. उसके साथ दुनियाभर के लोग गेम्स खेल रहे होते हैं. वह यह सब चीजें देखता और सीखता है. यह उसकी डिजिटल डाइट है.

शिक्षक दिवस पर स्पेशल रिपोर्ट.

इंटरनेट से तमाम चीजें कंज्यूम कर रहे बच्चे
साइबर क्राइम एक्सपर्ट रक्षित टंडन ने बताया कि, जिस तरह से हम अपने बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए बैलेंस डाइट का ध्यान रखते हैं. बच्चों को पोषण वाली ​बैलेंस डाइट देते हैं. क्योंकि, जब बच्चा गलती से कुछ बाहर की चीज खा लेता है तो उसका पेट खराब हो जाता है. बच्चे को दवा खानी पड़ती है. ऐसे में मेरा बच्चा इंटरनेट चलाता है. वह वहां से तमाम अलग-अलग तरह की चीजें कंज्यूम कर लेता है. तो वह उसके दिमाग पर असर करता है. उसकी मेंटल हेल्थ पर असर करता है. यह कोई देखने वाला नहीं है कि, मेरा बच्चा जो कंज्यूम कर रहा है. वो कंटेट उसके लिए सही है या गलत है. जैसे हर गेम के नीचे लिखा होता है, उम्र. 16 या 17 है. ऐसे में माता-पिता को यह देखना चाहिए. इसके नतीजे भी आपने देखे होंगे. उदाहरण के तौर पर जैसे बच्चे ने ऑनलाइन गेम में मोबाइल से माता-पिता के 40 हजार रुपये गंवा दिए. कहीं बच्चा 10 लाख रुपये गेम में हार गया हो. यह गेम बच्चों की मानसिकता पर असर कर रहे हैं.

बैलेंस डिजिटल डाइट जरूरी क्यों

साइबर क्राइम एक्सपर्ट रक्षित टंडन ने बताया कि, आज इंटरनेट हमारे जीवन का हिस्सा बन गया है. आज इंटरनेट से हमारे बच्चों की पढ़ाई पिछले डेढ़ साल से चल रही है. माता-पिता इंटरनेट रोक नहीं सकते हैं. मगर, यह तो निश्चित कर सकते हैं कि बच्चे किस तरह से साइबर संसार में सुरक्षित रहें. उनके दिमाग पर गलत असर न पड़े. इसलिए हर मां-पिता को अपने बच्चों को बैलेंस डिजिटल डाइट देना जरूरी है. क्योंकि, शिक्षकों ने खुद को बदल लिया है. जो टीचर मार्कर से बोर्ड पर पढ़ाती थी. आज वो बच्चे को ऑनलाइन पढ़ा रही है. आज के समय हम बच्चों को इंटरनेट से दूर नहीं कर सकते, लेकिन हमें ये समझने की जरूरत है कि बच्चा कौन सा गेम खेल रहा है या कौन सी साइट देख रहा है.

शिक्षक दिवस.
शिक्षक दिवस.

आगरा पुलिस संग 25 लाख लोगों को करेंगे साइबर साक्षर

साइबर क्राइम एक्सपर्ट रक्षित टंडन ने बताया कि, वह 2008 से साइबर साक्षरता पर काम कर रहे हैं, जिसमें भारत सरकार, यूपी सरकार, यूपी ​पुलिस और अन्य संगठन उनकी मदद कर रहे हैं. अभी हाल साइबर साक्षरता को लेकर साइबर पीस जागरुकता कैंपेन एडीजी जोन आगरा राजीव कृष्ण के साथ चल रहा है. जिसमें पहले फेस आगरा जोन में अलग-अलग सेशन में पुलिसकर्मियों को साइबर साक्षर किया जाएगा. इसमें आगरा जोन के 826 पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग दी गई. जिससे साइबर क्राइम बढ़ने पर वे कैसे काम करेंगे. कैसे अनुसंधान होगा. इसपर मदद मिल सकेगी. वहीं, स्कूल, कॉलेज, एसोसिएशन, आमजन सभी को साइबर साक्षर किया जा रहा है. इस कैंपेन से करीब 25 लाख लोगों को जोड़ने की योजना है.

साइबर क्राइम एक्सपर्ट रक्षित टंडन ने बताया कि, साइबर साक्षरता की शुरूआत साल 2008 में की गई थी. जब आगरा में पहली साइबर क्राइम कांफ्रेंस यूपी पुलिस की मदद से की गई थी. उसके बाद इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के साथ ही केंद्रीय गृह मंत्रालय में मिनिस्ट्री ऑफ आईटी ने हमें इसके लिए चुना. जहां देश के ढाई लाख से ज्यादा बच्चों से हमने अपना सुझाव साझा.उस दौरान हम देश के 63 शहर के 1800 स्कूल में गए. यह कैंपेन 2008, 2009 और 2010 तक चला. इससे ही शुरुआत हुई थी.

रक्षित टंडन ने बताया कि उन्होंने तकरीबन 40 से 45 लाख बच्चों को साइबर साक्षर और सुरक्षित किया है. जहां बच्चों को साइबर हाइजीन, साइबर नेटिकेट और साइबर लॉ सिखाया गया. जिससे बच्चे अच्छी तरह से इंटरनेट का उपयोग कर सकें और एक डिजिटल नागरिक बने.

इसे भी पढे़ं- शिक्षक दिवस विशेष: डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का काशी हिंदू विश्वविद्यालय से था गहरा नाता

आगरा: आज डिजिटल इंडिया (Digital India) का जमाना है. क्योंकि, आज हर हाथ में स्मार्टफोन है. लेपटॉप और डेस्कटॉप पर बच्चे, युवा और बुजुर्गों की खूब अंगुलियां खूब नाचती हैं. कोरोना संक्रमण से तो संचार के संसार का दरिया तेजी से बढ़ रहा है. क्योंकि, दुनियां में हर छोटी से बड़ी खरीदारी, जॉब्स और पढ़ाई भी ऑनलाइन है. डिजिटल वर्ल्ड में साइबर क्राइम का ग्राफ भी तेजी से बढ़ रहा है. आगरा के रक्षित टंडन 13 साल से साइबर साक्षरता की अलख जगा रहे हैं. शिक्षक दिवस पर ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में साइबर क्राइम एक्सपर्ट रक्षित टंडन ने बताया कि उन्होंने अब तक में 40 से 45 लाख बच्चों को साइबर साक्षर बनाया है. पुलिस और अन्य एसोसिएशन के साथ मिलकर लगातार साइबर साक्षरता की मुहिम चला रहे हैं. आजकल साइबर का संसार बढ़ने से बच्चों की डिजिटल बैंलेंस डाइट भी जरूरी है.

साइबर क्राइम एक्सपर्ट रक्षित टंडन ने बताया कि, जब हमारा बच्चा सुबह इंटरनेट ऑन करता है. वह मोबाइल, लेपटॉप या डेस्कटॉप की स्क्रीन पर जाता है तो वह तरह के एप्लीकेशन को कंज्यूम करता है. वह सोशल मीडिया पर जाता है. वहां पर कोई फेक न्यूज होती है. अश्लील चित्र होता है. उसे देखता है. पोर्न साइट पर जाता है. अव्यूज ऑफ कंटेट होता है. कुछ अच्छा कंटेट होता है. कुछ बुरा कंटेट होता है. मोबाइल में बच्चा 10 तरह के एप्लीकेशन चलता है. वह गेम्स खेलता है. हैडफोन लगा लेता है. उसके साथ दुनियाभर के लोग गेम्स खेल रहे होते हैं. वह यह सब चीजें देखता और सीखता है. यह उसकी डिजिटल डाइट है.

शिक्षक दिवस पर स्पेशल रिपोर्ट.

इंटरनेट से तमाम चीजें कंज्यूम कर रहे बच्चे
साइबर क्राइम एक्सपर्ट रक्षित टंडन ने बताया कि, जिस तरह से हम अपने बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए बैलेंस डाइट का ध्यान रखते हैं. बच्चों को पोषण वाली ​बैलेंस डाइट देते हैं. क्योंकि, जब बच्चा गलती से कुछ बाहर की चीज खा लेता है तो उसका पेट खराब हो जाता है. बच्चे को दवा खानी पड़ती है. ऐसे में मेरा बच्चा इंटरनेट चलाता है. वह वहां से तमाम अलग-अलग तरह की चीजें कंज्यूम कर लेता है. तो वह उसके दिमाग पर असर करता है. उसकी मेंटल हेल्थ पर असर करता है. यह कोई देखने वाला नहीं है कि, मेरा बच्चा जो कंज्यूम कर रहा है. वो कंटेट उसके लिए सही है या गलत है. जैसे हर गेम के नीचे लिखा होता है, उम्र. 16 या 17 है. ऐसे में माता-पिता को यह देखना चाहिए. इसके नतीजे भी आपने देखे होंगे. उदाहरण के तौर पर जैसे बच्चे ने ऑनलाइन गेम में मोबाइल से माता-पिता के 40 हजार रुपये गंवा दिए. कहीं बच्चा 10 लाख रुपये गेम में हार गया हो. यह गेम बच्चों की मानसिकता पर असर कर रहे हैं.

बैलेंस डिजिटल डाइट जरूरी क्यों

साइबर क्राइम एक्सपर्ट रक्षित टंडन ने बताया कि, आज इंटरनेट हमारे जीवन का हिस्सा बन गया है. आज इंटरनेट से हमारे बच्चों की पढ़ाई पिछले डेढ़ साल से चल रही है. माता-पिता इंटरनेट रोक नहीं सकते हैं. मगर, यह तो निश्चित कर सकते हैं कि बच्चे किस तरह से साइबर संसार में सुरक्षित रहें. उनके दिमाग पर गलत असर न पड़े. इसलिए हर मां-पिता को अपने बच्चों को बैलेंस डिजिटल डाइट देना जरूरी है. क्योंकि, शिक्षकों ने खुद को बदल लिया है. जो टीचर मार्कर से बोर्ड पर पढ़ाती थी. आज वो बच्चे को ऑनलाइन पढ़ा रही है. आज के समय हम बच्चों को इंटरनेट से दूर नहीं कर सकते, लेकिन हमें ये समझने की जरूरत है कि बच्चा कौन सा गेम खेल रहा है या कौन सी साइट देख रहा है.

शिक्षक दिवस.
शिक्षक दिवस.

आगरा पुलिस संग 25 लाख लोगों को करेंगे साइबर साक्षर

साइबर क्राइम एक्सपर्ट रक्षित टंडन ने बताया कि, वह 2008 से साइबर साक्षरता पर काम कर रहे हैं, जिसमें भारत सरकार, यूपी सरकार, यूपी ​पुलिस और अन्य संगठन उनकी मदद कर रहे हैं. अभी हाल साइबर साक्षरता को लेकर साइबर पीस जागरुकता कैंपेन एडीजी जोन आगरा राजीव कृष्ण के साथ चल रहा है. जिसमें पहले फेस आगरा जोन में अलग-अलग सेशन में पुलिसकर्मियों को साइबर साक्षर किया जाएगा. इसमें आगरा जोन के 826 पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग दी गई. जिससे साइबर क्राइम बढ़ने पर वे कैसे काम करेंगे. कैसे अनुसंधान होगा. इसपर मदद मिल सकेगी. वहीं, स्कूल, कॉलेज, एसोसिएशन, आमजन सभी को साइबर साक्षर किया जा रहा है. इस कैंपेन से करीब 25 लाख लोगों को जोड़ने की योजना है.

साइबर क्राइम एक्सपर्ट रक्षित टंडन ने बताया कि, साइबर साक्षरता की शुरूआत साल 2008 में की गई थी. जब आगरा में पहली साइबर क्राइम कांफ्रेंस यूपी पुलिस की मदद से की गई थी. उसके बाद इंटरनेट और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के साथ ही केंद्रीय गृह मंत्रालय में मिनिस्ट्री ऑफ आईटी ने हमें इसके लिए चुना. जहां देश के ढाई लाख से ज्यादा बच्चों से हमने अपना सुझाव साझा.उस दौरान हम देश के 63 शहर के 1800 स्कूल में गए. यह कैंपेन 2008, 2009 और 2010 तक चला. इससे ही शुरुआत हुई थी.

रक्षित टंडन ने बताया कि उन्होंने तकरीबन 40 से 45 लाख बच्चों को साइबर साक्षर और सुरक्षित किया है. जहां बच्चों को साइबर हाइजीन, साइबर नेटिकेट और साइबर लॉ सिखाया गया. जिससे बच्चे अच्छी तरह से इंटरनेट का उपयोग कर सकें और एक डिजिटल नागरिक बने.

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Last Updated : Sep 5, 2021, 11:29 AM IST
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