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मौत वाली मॉकड्रिल: पीड़ित परिवार बोले- सीबीआई से कराई जाए जांच

यूपी के आगरा में पारस हॉस्पिटल के संचालक को क्लीन चिट मिलने से पीड़ितों के परिजन नाराज हैं. परिजनों का कहना है कि पूरी जांच रिपोर्ट मैनेज है. उन्होंने यूपी सरकार से सीबीआई और अन्य एजेंसी से इसकी जांच की मांग की है.

पारस हॉस्पिटल
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Published : Jun 19, 2021, 8:24 PM IST

आगरा: पारस हॉस्पिटल की 'मौत वाली मॉकड्रिल' की जांच रिपोर्ट पर सवाल उठ रहे हैं. डेथ ऑडिट कमिटी और स्वास्थ्य विभाग की जांच कमेटी की रिपोर्ट में हॉस्पिटल संचालक डॉ. अरिंजय जैन को क्लीन चिट मिली है. इस पर पीड़ित परिवारों का कहना है कि, यह तो होना ही था. परिवारों ने कहा कि जांच रिपोर्ट मैनेज है. यूपी सरकार से मांग है कि सीबीआई या अन्य एजेंसी से इसकी जांच कराई जाए. यदि ऐसा नहीं होता है तो हम न्याय के लिए हाईकोर्ट जाएंगे.


एडीएम सिटी डॉ. प्रभाकांत अवस्थी की अध्यक्षता में डेथ ऑडिट कमेटी का गठन किया था. जिसमें एसएन मेडिकल कॉलेज के 4 वरिष्ठ चिकित्सकों को शामिल किया गया था. सीएमओ ने दो एसीएमओ को जांच सौंपी थी. दोनों ही कमेटियों ने जांच रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंप दी है, जिसको लेकर सवाल उठ रहे हैं.

पारस हॉस्पिटल
अब तक एडीएम सिटी की अध्यक्षता वाली समिति के सामने 11 शिकायतें पहुंची हैं. जिनमें हर पीड़ित परिवार का आरोप है कि, 'मौत की मॉकड्रिल' में उनके अपनों की हॉस्पिटल संचालक डॉ. अरिंजय जैन ने हत्या की थी. इन शिकायतों से जिला प्रशासन के 26 और 27 अप्रैल को बताए गए मौत के आंकड़ों की पोल खुल रही है.

पीड़ित अशोक चावला का कहना है कि 26 और 27 अप्रैल को पारस हॉस्पिटल की कथित मॉकड्रिल में उसके साथ ही पिता और भाई की पत्नी की मौत के जिम्मेदार संचालक डॉ. अरिंजय जैन हैं. अब जिला प्रशासन की जांच रिपोर्ट में सीधे तौर पर हॉस्पिटल संचालक डॉ. अरिंजय जैन का बचाव किया गया है. पीड़ित परिवार को जिला प्रशासन से किसी भी तरह की कार्रवाई और न्याय की उम्मीद नहीं है. उनकी यूपी सरकार से मांग है कि इस मामले की सीबीआई या किसी निष्पक्ष एजेंसी से जांच कराए. उन्होंने कहा कि हम हाईकोर्ट में अपील करेंगे, जिससे दोषी हॉस्पिटल संचालक को सजा दिला सकें.

पीड़ित अशोक चावला का कहना है कि जिला प्रशासन की बनाई कमेटी ने पीड़ित परिजनों के बयान लिए थे. एडीएम सिटी डॉक्टर प्रभाकांत अवस्थी ने उनके और दूसरे कई पीड़ित परिवारों के बयान लिए थे. लेकिन, उन बयानों को जांच कमेटी के सामने नहीं रखा गया था. सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस का कहना है कि चांदपुर में पीड़ित परिवारों के बयान शामिल नहीं किए गए हैं. यह पूरी जांच रिपोर्ट मैनेज है, इसलिए मैं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को दोबारा से शिकायत करूंगा और उनसे मांग करूंगा कि मानवाधिकार की टीम आकर के यहां स्थलीय निरीक्षण करें, जिससे हकीकत सामने आ सके. यह मामला सामूहिक हत्या का है, इसमें ही मुकदमा दर्ज होना चाहिए.

ताजनगरी में आगरा-दिल्ली हाईवे स्थित पारस हॉस्पिटल संचालक के डॉ. अरिंजय जैन के 4 वीडियो 7 जून को वायरल हुए. जिसमें डॉ. अरिंजय जैन अपने हॉस्पिटल में भर्ती कोविड-19 मरीजों की पांच मिनट तक ऑक्सीजन हटाने की 'मॉकड्रिल' की बात कर रहे हैं. यह 'मॉकड्रिल' 26 अप्रैल-2021 को हुई थी. उस समय हॉस्पिटल में 96 मरीज भर्ती थे. जिसमें से गंभीर 22 मरीजों की हालत खराब हो गई थी. इस मामले के तूल पकड़ने और हड़कंप मचने पर जिला प्रशासन ने पारस हॉस्पिटल सील करके डॉ. अरिंजय जैन के खिलाफ महामारी एक्ट का मुकदमा दर्ज कराया था.

आगरा: पारस हॉस्पिटल की 'मौत वाली मॉकड्रिल' की जांच रिपोर्ट पर सवाल उठ रहे हैं. डेथ ऑडिट कमिटी और स्वास्थ्य विभाग की जांच कमेटी की रिपोर्ट में हॉस्पिटल संचालक डॉ. अरिंजय जैन को क्लीन चिट मिली है. इस पर पीड़ित परिवारों का कहना है कि, यह तो होना ही था. परिवारों ने कहा कि जांच रिपोर्ट मैनेज है. यूपी सरकार से मांग है कि सीबीआई या अन्य एजेंसी से इसकी जांच कराई जाए. यदि ऐसा नहीं होता है तो हम न्याय के लिए हाईकोर्ट जाएंगे.


एडीएम सिटी डॉ. प्रभाकांत अवस्थी की अध्यक्षता में डेथ ऑडिट कमेटी का गठन किया था. जिसमें एसएन मेडिकल कॉलेज के 4 वरिष्ठ चिकित्सकों को शामिल किया गया था. सीएमओ ने दो एसीएमओ को जांच सौंपी थी. दोनों ही कमेटियों ने जांच रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंप दी है, जिसको लेकर सवाल उठ रहे हैं.

पारस हॉस्पिटल
अब तक एडीएम सिटी की अध्यक्षता वाली समिति के सामने 11 शिकायतें पहुंची हैं. जिनमें हर पीड़ित परिवार का आरोप है कि, 'मौत की मॉकड्रिल' में उनके अपनों की हॉस्पिटल संचालक डॉ. अरिंजय जैन ने हत्या की थी. इन शिकायतों से जिला प्रशासन के 26 और 27 अप्रैल को बताए गए मौत के आंकड़ों की पोल खुल रही है.

पीड़ित अशोक चावला का कहना है कि 26 और 27 अप्रैल को पारस हॉस्पिटल की कथित मॉकड्रिल में उसके साथ ही पिता और भाई की पत्नी की मौत के जिम्मेदार संचालक डॉ. अरिंजय जैन हैं. अब जिला प्रशासन की जांच रिपोर्ट में सीधे तौर पर हॉस्पिटल संचालक डॉ. अरिंजय जैन का बचाव किया गया है. पीड़ित परिवार को जिला प्रशासन से किसी भी तरह की कार्रवाई और न्याय की उम्मीद नहीं है. उनकी यूपी सरकार से मांग है कि इस मामले की सीबीआई या किसी निष्पक्ष एजेंसी से जांच कराए. उन्होंने कहा कि हम हाईकोर्ट में अपील करेंगे, जिससे दोषी हॉस्पिटल संचालक को सजा दिला सकें.

पीड़ित अशोक चावला का कहना है कि जिला प्रशासन की बनाई कमेटी ने पीड़ित परिजनों के बयान लिए थे. एडीएम सिटी डॉक्टर प्रभाकांत अवस्थी ने उनके और दूसरे कई पीड़ित परिवारों के बयान लिए थे. लेकिन, उन बयानों को जांच कमेटी के सामने नहीं रखा गया था. सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस का कहना है कि चांदपुर में पीड़ित परिवारों के बयान शामिल नहीं किए गए हैं. यह पूरी जांच रिपोर्ट मैनेज है, इसलिए मैं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को दोबारा से शिकायत करूंगा और उनसे मांग करूंगा कि मानवाधिकार की टीम आकर के यहां स्थलीय निरीक्षण करें, जिससे हकीकत सामने आ सके. यह मामला सामूहिक हत्या का है, इसमें ही मुकदमा दर्ज होना चाहिए.

ताजनगरी में आगरा-दिल्ली हाईवे स्थित पारस हॉस्पिटल संचालक के डॉ. अरिंजय जैन के 4 वीडियो 7 जून को वायरल हुए. जिसमें डॉ. अरिंजय जैन अपने हॉस्पिटल में भर्ती कोविड-19 मरीजों की पांच मिनट तक ऑक्सीजन हटाने की 'मॉकड्रिल' की बात कर रहे हैं. यह 'मॉकड्रिल' 26 अप्रैल-2021 को हुई थी. उस समय हॉस्पिटल में 96 मरीज भर्ती थे. जिसमें से गंभीर 22 मरीजों की हालत खराब हो गई थी. इस मामले के तूल पकड़ने और हड़कंप मचने पर जिला प्रशासन ने पारस हॉस्पिटल सील करके डॉ. अरिंजय जैन के खिलाफ महामारी एक्ट का मुकदमा दर्ज कराया था.

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