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यमुना एक्सप्रेस-वे : नहीं मिला जमीन अधिग्रहण का पैसा, पिछले 6 महीने से दे रहे हैं धरना

आगरा के अलग-अलग दो जगहों पर किसानों का धरना न तो मीडिया की नजरों में आ रहा है, और न ही अधिकारी उनकी इस समस्या का कोई हल बता पा रहे हैं. लिहाजा किसान अपनी जमीन वापसी के लिए हलफनामा दाखिल कर संघर्ष कर रहे हैं.

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Published : Mar 4, 2019, 1:13 PM IST

आगरा किसान

आगरा : विकास कार्यों के नाम पर किसानों की जमीन अधिग्रहण को लेकर अन्नदाता आज भी संघर्ष कर रहे हैं. बिना अधिग्रहण किए खतौनी से जमीन हड़प लेने और 64 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजा न मिलने की वजह से किसान करीब छह महीने से धरने पर बैठे हैं, लेकिन इनकी सुनने वाला यहां कोई नहीं है. यहां एक दो नहीं बल्कि 300 से ज्यादा किसान धरना दे रहे हैं. जिले के अलग-अलग दो जगहों पर किसानों का धरना न तो मीडिया की नजरों में आ रहा है, और न ही अधिकारी उनकी इस समस्या का कोई हल बता पा रहे हैं. लिहाजा किसान अपनी जमीन वापसी के लिए हलफनामा दाखिल कर संघर्ष कर रहे हैं.

देखें विशेष रिपोर्ट.

क्या है पूरा मामला
वर्ष 2007 में यमुना एक्सप्रेस-वे और साल 2009 में जेपी टाउनशिप के लिए एत्मादपुर तहसील के गांवों के किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई. यमुना एक्सप्रेस-वे चालू हो गया,लेकिन अभी भी जेपी टाउनशिप नहीं बसाई गई है. इन दोनों प्रोजेक्ट में जिन किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई, वे किसान पिछले छह महीने से धरने पर बैठे हैं. धरने पर बैठे किसान धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि यमुना एक्सप्रेसवे और जेपी टाउनशिप को लेकर किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई थी. उसके विरोध में ही यह धरना दिया जा रहा है.

धरने में विशेष रूप से शामिल 339 किसान वैसे हैं जिन्होंने अधिग्रहित जमीन वापस करने के लिए एफिडेविट दिया है. धरने देने वाले कुछ किसान ऐसे भी हैं जिनसे जबरन करार कराया गया था, लेकिन उनकी जमीन न वापस हुई और न ही उन्हें अतिरिक्त 64 फीसदी का भुगतान किया गया. इस पूरे प्रोजेक्ट में 8000 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित किया गया है जिससे लगभग 2000 किसान प्रभावित हैं.

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मामले से जुड़े कुछ अहम बिंदु

  • किसानों के खिलाफ 2009 से अब तक 84 मुकदमे हुए दर्ज
  • अकेले किसान मनोज शर्मा के खिलाफ 32 मुकदमे हैं दर्ज
  • 250 किसानों के खिलाफ यमुना एक्सप्रेसवे और जेपी टाउनशिप में जमीन अधिग्रहित होने के विरोध में लिखे गए मुकदमे.
  • 2010 में पहली बार किसान धरने पर बैठे, तब कैबिनेट सचिव शशांक शेखर ने 19 दिन बाद धरना खत्म कराया.
  • 2012 में दूसरी बार तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव के आश्वासन पर 28 दिन बाद धरना खत्म हुआ
  • 2014 में किसान फिर धरने पर बैठे और 14 दिन तक धरना चला.
  • 3 अक्टूबर 2018 को चौथी बार किसान धरने पर बैठे, जिसे 6 माह पूरे हो चुके हैं.

किसानों का यह मामला कोर्ट तक पहुंच गया है. ऐसे में जिले के अधिकारी इस बारे में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं. उनसे जब भी बात की जाती है तो उनका बस एक ही कहना होता है कि कोर्ट के बाद ही इस बारे में कुछ कहा जा सकता है.

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आगरा : विकास कार्यों के नाम पर किसानों की जमीन अधिग्रहण को लेकर अन्नदाता आज भी संघर्ष कर रहे हैं. बिना अधिग्रहण किए खतौनी से जमीन हड़प लेने और 64 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजा न मिलने की वजह से किसान करीब छह महीने से धरने पर बैठे हैं, लेकिन इनकी सुनने वाला यहां कोई नहीं है. यहां एक दो नहीं बल्कि 300 से ज्यादा किसान धरना दे रहे हैं. जिले के अलग-अलग दो जगहों पर किसानों का धरना न तो मीडिया की नजरों में आ रहा है, और न ही अधिकारी उनकी इस समस्या का कोई हल बता पा रहे हैं. लिहाजा किसान अपनी जमीन वापसी के लिए हलफनामा दाखिल कर संघर्ष कर रहे हैं.

देखें विशेष रिपोर्ट.

क्या है पूरा मामला
वर्ष 2007 में यमुना एक्सप्रेस-वे और साल 2009 में जेपी टाउनशिप के लिए एत्मादपुर तहसील के गांवों के किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई. यमुना एक्सप्रेस-वे चालू हो गया,लेकिन अभी भी जेपी टाउनशिप नहीं बसाई गई है. इन दोनों प्रोजेक्ट में जिन किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई, वे किसान पिछले छह महीने से धरने पर बैठे हैं. धरने पर बैठे किसान धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि यमुना एक्सप्रेसवे और जेपी टाउनशिप को लेकर किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई थी. उसके विरोध में ही यह धरना दिया जा रहा है.

धरने में विशेष रूप से शामिल 339 किसान वैसे हैं जिन्होंने अधिग्रहित जमीन वापस करने के लिए एफिडेविट दिया है. धरने देने वाले कुछ किसान ऐसे भी हैं जिनसे जबरन करार कराया गया था, लेकिन उनकी जमीन न वापस हुई और न ही उन्हें अतिरिक्त 64 फीसदी का भुगतान किया गया. इस पूरे प्रोजेक्ट में 8000 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित किया गया है जिससे लगभग 2000 किसान प्रभावित हैं.

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मामले से जुड़े कुछ अहम बिंदु

  • किसानों के खिलाफ 2009 से अब तक 84 मुकदमे हुए दर्ज
  • अकेले किसान मनोज शर्मा के खिलाफ 32 मुकदमे हैं दर्ज
  • 250 किसानों के खिलाफ यमुना एक्सप्रेसवे और जेपी टाउनशिप में जमीन अधिग्रहित होने के विरोध में लिखे गए मुकदमे.
  • 2010 में पहली बार किसान धरने पर बैठे, तब कैबिनेट सचिव शशांक शेखर ने 19 दिन बाद धरना खत्म कराया.
  • 2012 में दूसरी बार तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव के आश्वासन पर 28 दिन बाद धरना खत्म हुआ
  • 2014 में किसान फिर धरने पर बैठे और 14 दिन तक धरना चला.
  • 3 अक्टूबर 2018 को चौथी बार किसान धरने पर बैठे, जिसे 6 माह पूरे हो चुके हैं.

किसानों का यह मामला कोर्ट तक पहुंच गया है. ऐसे में जिले के अधिकारी इस बारे में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं. उनसे जब भी बात की जाती है तो उनका बस एक ही कहना होता है कि कोर्ट के बाद ही इस बारे में कुछ कहा जा सकता है.

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Intro:आगरा।
जिले में दो जगह किसान धरने पर बैठे हैं। सदर तहसील के गांव गुतला में 26 माह से और एत्मादपुर तहसील के गांव छलेसर में 6 माह से किसान धरने पर बैठे हैं। दोनों ही धरने में एक समानता है। किसानों की एक ही पीड़ा है। वह है भूमि अधिग्रहण के बाद मुआवजा नहीं मिलना। मुआवजा में अधिकारियों की लीपापोती। ईटीवी भारत ने दोनों ही धरने पर जाकर किसानों की पीड़ा जानी तो यह बात सामने आई कि मामला कोर्ट तक पहुंच गया है। ऐसे में जिले के अधिकारी इस बारे में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। उनका तो बस एक ही कहना है कि कोर्ट के बाद ही इस बारे में कुछ कहा जा सकता है।


Body:अन्नदाता पीड़ा पार्ट वन: यमुना एक्सप्रेस-वे और जेपी टाउनशिप

सन 2007 में यमुना एक्सप्रेस-वे और सन 2009 में जेपी टाउनशिप के लिए एत्मादपुर तहसील के गांवों के किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई। यमुना एक्सप्रेसवे चालू हो गया लेकिन अभी भी जेपी टाउनशिप नहीं बसी है। यमुना एक्सप्रेस वे और जेपी टाउनशिप में जिन किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई। वे किसान गांव छलेसर में धरने पर बैठे हैं। 6 माह हो गए किसानों का धरना जारी है। धरने पर बैठे किसान धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि यमुना एक्सप्रेसवे और जेपी टाउनशिप को लेकर किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई थी। उसके विरोध में धरना चल रहा है। खासकर वे 339 किसान, जिन्होंने जमीन वापसी के लिए एफिडेविट दिया था। ऐसे ही किसान जिन से जबरन करार कराया गया था। लेकिन उनकी जमीन वापस नहीं हुई और ना ही उन्हें जो 64% अतिरिक्त भुगतान किया गया। इस पूरे प्रोजेक्ट की 8000 हेक्टेयर जमीन है। जिससे करीब दो हजार किसान प्रभावित हैं।
किसान योगेश शर्मा ने बताया कि करीब 6 माह से हम यहां पर धरने पर बैठे हुए हैं। 9 साल से किसानों का जमीन अधिग्रहण के चलते सरकार जेपी टाउनशिप से आंदोलन चल रहा है। अभी इस धरने की प्रमुख मांग 3 हैं। जिसमें पहली है ऐसे ऐसे 25 हेक्टेयर जमीन के किसान जिन्होंने कोई करार नहीं किया था और ना ही उन्होंने कोई पैसा लिया है। इसके बाद भी उनके नाम खतौनी से काट दिए गए हैं। सरकार जल्द से जल्द ऐसे किसानों के नाम खतौनी में चढ़ाएं।
दूसरी मांग यह है कि जिन किसानों ने करार किया था तो सरकार के आदेश के बाद भी उन्हें 64% अतिरिक्त मुआवजे का भुगतान क्यों नहीं किया गया। यह भी किया जाए । और तीसरी हम मांग यह है कि 2009 से अब तक किसानों पर तमाम मुकदमे लगाए गए। जिन्हें खत्म किया जाए। किसानों के मुकदमें खत्म नहीं किए जा रहे हैं। जबकि राजनेताओं के मुकदमें खत्म किए जाते हैं। ऐसे में पीएम मोदी और सीएम योगी किसानों के हितेषी है तो फिर किसानों के हित की बात करें।
अहम प्वाइंट्स
- किसानों के खिलाफ 2009 से अब तक 84 मुकदमे दर्ज हुए।
-अकेले किसान मनोज शर्मा के खिलाफ 32 मुकदमे दर्ज हैं।
- 250 किसानों के खिलाफ यमुना एक्सप्रेसवे और जेपी टाउनशिप में जमीन अधिग्रहित होने के विरोध में लिखे गए मुकदमे।
- 2010 में पहली बार किसान धरने पर बैठे, तब कैबिनेट सचिव शशांक शेखर ने 19 दिन बाद धरना खत्म कराया।
- 2012 में दूसरी बार तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव के आश्वासन पर 28 दिन बाद धरना खत्म हुआ।
- 2014 में किसान फिर धरने पर बैठे और 14 दिन तक धरना चला।
- 3 अक्टूबर 2018 को चौथी बार किसान धरने पर बैठे, जिसे 6 माह पूरे हो चुके हैं।

अन्नदाता पीड़ा पार्ट टू: इनररिंग रोड
13 दिसंबर 2016 से सदर तहसील के गांव गुतला में किसान धरना दे रहे हैं। किसानों की मांग है उन्हें अपनी जमीन का मुआवजा 4 गुना मिलना चाहिए और अन्य योजनाओं का लाभ भी मिले। इस भूमि अधिग्रहण में किए गए घोटालों की जांच भी होनी चाहिए। क्योंकि इसमें बड़े पूंजीपति, अधिकारी और राजनेता शामिल हैं। लेकिन सरकार का इस ओर ध्यान नहीं है। किसानों ने हाल में ही अपनी जमीन जुताई की और उसमें बुवाई की तैयारी की है। इससे पहले भी कई बार प्रशासन की ओर से किसानों की खड़ी फसल पर बुलडोजर चलवाए गए। लेकिन फिर भी किसान नहीं मान रहे हैं और अपनी मांगों को लेकर लगातार प्रदर्शन और धरना कर रहे हैं।
किसान कृपाल सिंह ने बताया कि 27 माह हो गए किसानों को यहां धरना देते हुए। इनर रिंग में बड़ा घोटाला हुआ है। किसानों की जमीन अधिग्रहण में खेल किया गया है। किसानों को धोखे से ₹628 के हिसाब से मुआवजा दिया गया, जो बहुत कम है। इसलिए किसान चार गुना मुआवजा की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं। धरना तब तक जारी रहेगा, जब तक किसानों की मांग पूरी नहीं हो जाती है।
किसान सोमवीर सिंह यादव ने बताया कि छलेसर से लेकर रोहता तक के 22 गांवों के 5000 से ज्यादा किसान इनर रिंग रोड की जमीन अधिग्रहण से प्रभावित है। किसानों की मांग पूरी नहीं हुई है। इसलिए 27 माह से धरने पर बैठे हैं। और जब तक उनकी मांगों की सुनवाई नहीं होगी। धरना ऐसे ही अनवरत जारी रहेगा।


Conclusion:अन्नदाता पीड़ा पार्ट वन: यमुना एक्सप्रेस-वे और जेपी टाउनशिप
में दो किसान धर्मेंद्र सिंह और किसान योगेश शर्मा की बाइट है। और विजुअल हैं।


अन्नदाता पीड़ा पार्ट टू: इनररिंग रोड
इस पार्ट में दो किसान कृपाल सिंह और सोनवीर सिंह की है। इस खबर में सिटी मजिस्ट्रेट डा. प्रभा कांत अवस्थी की भी बाइट है।
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