आगरा: सर्दी-जुकाम से पीड़ित किशोर मरीजों को जिले के झोलाछाप डॉक्टर पुड़िया में पीसकर टीबी की दवा खिला रहे हैं. यह चौंकाने वाला खुलासा हाल में जिला क्षय रोग अधिकारी की स्क्रीनिंग रिपोर्ट में हुआ है. जिला क्षय रोग अधिकारी ने ऐसे सभी झोलाछाप डॉक्टरों को पहले नोटिस दिया और नोटिस का जवाब न मिलने पर अब एसएसपी कार्यालय में दोषी झोलाछापों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए तहरीर दी है.
पीएम मोदी 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने के लिए नई-नई पहल कर रहे हैं. वहीं आगरा में झोलाछाप डॉक्टर टीबी मुक्त भारत में अडंगा लगा रहे हैं. जिला क्षय रोग अधिकारी की स्क्रीनिंग में डेढ़ दर्जन ऐसे मामले सामने आए हैं, जो सर्दी और खांसी के मरीज थे, लेकिन झोलाछाप डॉक्टर उन्हें पुड़िया में टीबी की दवा पीसकर कर खिला रहे थे. ऐसे में अब स्वास्थ्य विभाग झोलाछाप डॉक्टरों के यहां उपचार कराने वाले मरीजों की फिर से स्क्रीनिंग करने में जुट गया है.
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जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. यूबी सिंह ने बताया कि टीबी के मरीजों की स्क्रीनिंग की गई तो पता चला कि झोलाछाप डॉक्टरों से उपचार कराने वाले किशोर मरीजों को टीबी नहीं थी. उनकी तमाम और अन्य जांचें भी कराई गईं, जिसमें स्पष्ट हुआ कि किशोर मरीजों को टीबी नहीं थी, लेकिन झोलाछाप डॉक्टर उन्हें पुड़िया में टीबी की दवा खिला रहे थे. इन मरीजों से झोलाछाप की दी गई पुड़िया भी मिली. जब इसकी जांच कराई गई तो उसमें खुलासा हुआ कि पुड़िया में दी जाने वाली दवा टीबी की ही थी. इसके बाद इन झोलाछाप डॉक्टरों को नोटिस दिया गया, जिसका इन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. अब ऐसे सभी झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए एसएसपी कार्यालय में तहरीर दी है.
इन झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ दी गई तहरीर
⦁ मुकेश शर्मा, मधु नगर, देवरी रोड
⦁ कप्तान सिंह वर्मा, प्रेम नगर, राजपुर
⦁ देवी राम कुशवाहा हकीम, ताल सेमरी
⦁ उपाध्याय क्लिनिक, 100 फुटा रोड, कालिंदी विहार, टेढ़ी बगिया
⦁ पाराशर क्लीनिक, विकास नगर कॉलोनी, 100 फुटा रोड, टेडी बगिया
⦁ बघेल क्लीनिक, जगदंबा डिग्री कॉलेज रोड, फाउंड्री नगर
⦁ गुप्ता क्लीनिक, बी ब्लॉक, कालिंदी विहार
⦁ विकास वाष्णेय, डी ब्लॉक, कालिंदी विहार
⦁ दीक्षित क्लिनिक, कालिंदी विहार
⦁ बंगाली क्लीनिक, राजपुर, शमशाबाद रोड
आगरा में टीबी के उपचार के लिए 20 यूनिट और 806 डॉट सेंटर हैं. जिले में टीबी के करीब 18 हजार मरीज हैं. इनमें से 12 हजार टीबी के मरीजों का उपचार सरकारी अस्पतालों में चल रहा है. छह हजार मरीज निजी क्लीनिक से टीबी का उपचार ले रहे हैं.