आगरा: ताजनगरी में मंडलीय खादी ग्रामोद्योग (mandaleey khaadee graamodyog) की प्रदर्शनी में बंदियों के हुनर को नया मंच मिला है. यूपी में पहली बार सलाखों के पीछे रह रहे बंदियों के हुनर को खुला मंच मिला है. यहां बंदियों के हुनर के खूब कद्रदान मिल रहे हैं. प्रदर्शनी में बंदियो के बनाए फर्नीचर आइटम, स्पोर्ट्स और सर्दी के कपड़े खूब की डिमांड है. खरीददार जहां आगरा केंद्रीय कारागार (Agra Central Jail) के बंदियों द्वारा बनाए गए फर्नीचर खरीद रहे हैं तो मेरठ कारागार में बने जैकेट, फुटबॉल, टीशर्ट, लोअर और स्पोर्ट्स आइटम्स खूब पसंद किए जा रहे हैं. डिमांड ऐसी है कि माल कम पड़ रहा है. इस प्रदर्शनी में सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र आगरा केंद्रीय कारागार के बंदियों द्वारा बनाईं गई गवर्नर और न्यायाधीश की कुर्सी है.
प्रदर्शनी में बंदियों के उत्पाद सभी को खूब भा रहे. प्रदर्शनी में बंदियों की बनाई जैकेट लोगों को खूब पसंद आ रही. बता दें कि एमजी रोड पर सेंट जॉन चौराहे पर स्थित खादी ग्रामोद्योग की मंडलीय प्रदर्शनी लगी है. यह प्रदर्शनी 14 जनवरी तक चलेगी. प्रदर्शनी में आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद, एटा, मैनपुरी, कानपुर, प्रयागराज, बिजनौर, मेरठ समेत अन्य तमाम जिलों के खादी ग्रामोद्योग से जुड़े हुए लोगों ने स्टाल लगाए हैं. प्रदर्शनी में पहली बार जिला एवं केंद्रीय कारागारों में बंदियों द्वारा बनाए गए आइटम्स की प्रदर्शनी लगाई गई है. लकड़ी का फर्नीचर देखकर लोग हैरत में हैं. विजिटर माही यादव ने बताया कि बंदियों के बनाए हुए आइटम बेहतरीन हैं. इनमें खूब मेहनत की गई है. इनकी फिनिशिंग कमाल की है. यह आइटम सस्ते और मजबूत भी हैं. लोगों को बंदियों के बनाए ये आइटम्स खरीदने चाहिए, जिससे उनका उत्सास बढ़ सके. विजिटर राकेश यादव ने बताया कि, यह बहुत अच्छा है. प्रदर्शनी में बंदियों के बनाए हुए आइटम की स्टॉल लगाने से उनका उत्साहवर्धन बढ़ेगा. लोग उनके हुनर को जान सकेंगे. विजिटर सुजाता ने बताया कि भले ही किसी अपराध में बंदी जेल गए हों मगर, उनके बनाए सामान बेहतरीन हैं. इस कदम से बंदी बुरी आदत छोड़ेंगे. कुछ हुनर सीखकर जब जेल से बाहर आएंगे तो यह काम करके परिवार भी पाल सकेंगे.प्रदर्शनी के हर स्टाल पर पहुंच रहे लोग. आगरा केंद्रीय कारागार के जेल वार्डन लक्ष्मीकांत पचौरी ने बताया कि हमारे स्टॉल पर खूब विजिटर और खरीददार आ रहे हैं. आगरा केंद्रीय कारागार में बने फर्नीचर उन्हें खूब पसंद भी आ रहे हैं. लोगों का यह सवाल रहता है कि क्या जेल में ऐसे आइटम्स बनते हैं. अभी तक लोगों की यह धारणा थी कि जेलों में इस तरह के काम नहीं होते होंगे क्योंकि, वहां अपराध में सजा काट रहे लोग रहते हैं. आगरा केंद्रीय कारागार के बंदियों के बने फर्नीचर आइटम्स में बच्चों की फोल्डिंग कुर्सी, कॉर्नर, लकड़ी के बने मंदिर, गमला स्टैंड आदि खूब बिक रहे हैं. इसके साथ ही बंदियों की बनाई गई 'गवर्नर कुर्सी' और 'न्यायधीश कुर्सी' आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं.
न्यायाधीश और गर्वनर कुर्सी. अलीगढ़ जिला जेल से आए जेल वार्डन विपिन कुमार ने बताया कि बंदियों के बनाए लकड़ी के शिवलिंग, शंख और इलेक्ट्रॉनिक आइटम लेकर आया हूं. पहली बार किसी प्रदर्शनी में बंदियों के बनाए गए आइटम्स की स्टॉल लगी है इसलिए अभी कम लोगों को पता है. मेरठ जेल से आए जेलकर्मी सुमित कुमार ने बताया कि मेरठ से स्पोर्ट्स आइटम लेकर के प्रदर्शनी में आए हैं. इसमें फुटबॉल, ट्रैकसूट, लोअर, टी शर्ट के साथ ही गर्म जैकेट हैं. पहली बार के चलते ज्यादा माल नहीं लाए थे. मगर, यहां पर फुटबॉल, ट्रैक सूट और गर्म जैकेट की खूब डिमांड है. पहले दिन ही दो बॉक्स फुटबॉल बिक गई. अधिकतर माल खत्म हो गया है इसलिए, मेरठ जेल से और मंगवाया है. खादी ग्रामोद्योग की प्रदर्शनी में अब तक केंद्रीय कारागार का फर्नीचर का सामान 13,548 रुपए का बिका है. इसमें सबसे ज्यादा बिक्री फोल्डिंग कुर्सी की हुई है. इसके साथ ही इसके साथ ही कॉर्नर स्टैंड, लॉन्ग स्टूल, गमला स्टैंड, मंदिर बड़ा, भगवान का झूला, पूजा की चौकी, चकला, पटला की भी डिमांड है. मेरठ जेल के बंदियों का सामान 4800 रुपए में बिका है. सबसे ज्यादा फुटबॉल की डिमांड हो रही है. इसके साथ ही गरम जैकेट, टी-शर्ट, लोअर और शॉर्ट्स की भी खूब डिमांड है. अलीगढ़ जिला जेल के बंदियों के उत्पाद 7800 रुपए में बिके हैं. ये भी पढ़ेंः Rape in Moradabad: मेडिकल छात्रा से डॉक्टर ने किया रेप, फिर मंगेतर को भेजी अश्लील फोटो