आगरा: ताजनगरी में पर्यटन को बढ़ावा देने और पर्यटकों का रोमांच दोगुना करने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन साल पहले हेलीपोर्ट प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया था. यूपी सरकार की मंशा थी कि आगरा आने वाले पर्यटक ताजमहल सहित अन्य तमाम स्मारकों का उड़नखटोले से 'हवाई दीदार' कर सकें. मगर, आज 3 साल बीत गए. अभी भी हेलीपोर्ट बनाने का काम अधूरा पड़ा है. सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर आगरा, मथुरा, लखनऊ और प्रयागराज में हेलीपोर्ट बनाए जाने के काम में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं. इससे आगरा में पर्यटन विभाग के अधिकारियों ने 19 लाख रुपये का बजट सरकार से हेलीपोर्ट के अधूरे काम को पूरा करने के लिए मांगा है. इससे आगरा में पर्यटकों के ताजमहल समेत अन्य स्मारकों के 'हवाई दीदार' कराने की उम्मीद बढ़ी है.
PM मोदी ने किया था शिलान्यास: पहली योगी सरकार में 2017-18 में आगरा में हेलीपोर्ट बनाने का प्रोजेक्ट तैयार किया गया. इसके लिए आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे और इनर रिंग रोड (यमुना एक्सप्रेस वे) के पास गांव मदरा में 5 एकड़ से ज्यादा जमीन अधिकृत की गई. हेलीपोर्ट बनाने का बजट 4.95 करोड़ रुपये था. पीडब्ल्यूडी विभाग को हेलीपोर्ट बनाने की जिम्मेदारी दी गई. इसके बाद 9 जनवरी, 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हेलीपोर्ट प्रोजेक्ट का विधिवत शिलान्यास किया था. साथ ही अक्टूबर, 2020 में इसके बनकर तैयार होने की बात थी, जो आज तक पूरी नहीं हो सकी है. अब 19 लाख का इंतजार: आगरा में पर्यटन विभाग के उपनिदेशक राजेंद्र कुमार रावत ने बताया कि हेलीपोर्ट के अधूरे पड़े काम में तेजी लाने के लिए 19 लाख रुपये का प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजा है. यह धनराशि स्वीकृत होते ही हेलीपोर्ट बनाने का अधूरा कंस्ट्रक्शन कार्य कराया जाएगा. उपनिदेशक राजेंद्र कुमार रावत का कहना है कि सरकार पीपीपी मॉडल पर हेलीपोर्ट संचालित कराएगी. इसको लेकर के शासन स्तर पर गाइडलाइन तैयार की जा रही है. जल्द ही पर्यटन विभाग की ओर से पीपीपी मॉडल पर हेलीपोर्ट संचालन करने के लिए टेंडर निकाले जाएंगे. इसकी प्रक्रिया भी चल रही है.
मंथन के बाद तय होगा रूट: दरअसल, ताजमहल समेत संरक्षित स्मारकों के ऊपर और आसपास नो फ्लाइंग जोन है. ऐसे में पर्यटकों को हेलीकॉप्टर किस रूट से ताजमहल, आगरा किला सहित अन्य स्मारकों का 'हवाई दीदार' कराएगा. इस पर भी अभी से पर्यटन विभाग ने मंथन शुरू कर दिया है. उपनिदेशक पर्यटन राजेंद्र कुमार रावत का कहना है कि इस बारे में एएसआई के अधिकारियों के साथ बैठकर बातचीत की जाएगी. क्योंकि, संरक्षित स्मारक को कोई नुकसान न पहुंचे और सभी नियम कानून पालन भी कराया जाए. एएसआई अधिकारियों के साथ वार्ता के बाद ही हेलीकॉप्टर संचालन का रूट तय होगा.
इसलिए हो रही देरी: आगरा में हेलीपोर्ट बनाने की डीपीआर लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के लखनऊ मुख्यालय से तैयार की गई थी. इस डीपीआर में फायर फाइटिंग सिस्टम अप टू डेट नहीं था. पिछले साल ही इसको लेकर लखनऊ नया एस्टीमेट बनाकर भेजा गया था. इस एस्टीमेट से हेलीपोर्ट बनाने की लागत 4.95 करोड़ रुपए से बढ़कर 7.9 करोड़ की गई थी. मगर, बजट के अभाव के साथ ही सन् 2020 और सन् 2021 में कोरोना संक्रमण के चलते हेलीपैड बनाने का काम रुक गया. इस बारे में उप निदेशक पर्यटन राजेंद्र कुमार रावत बताते हैं कि, सरकार से हमने जो बजट मांगा है. उससे अधूरे पड़ा कंस्ट्रक्शन वर्क ही पूरा कराया जाएगा. बाकी काम पीपीपी मॉडल पर हेलीपोर्ट संचालन करने वाली फर्म को करना होगा. सरकार अब इस पर और पैसा खर्च नहीं करना चाहती हैं.
एक नजर हेलीपोर्ट प्रोजेक्ट पर
- - 5 एकड़ से ज्यादा जमीन पर बनाया जा रहा है हेलीपोर्ट.
- - 4.5 करोड रुपये का बजट अब तक जारी किया गया है.
- - 7.9 करोड़ रुपये का रिवाइज्ड एस्टीमेट बनाकर भेजा गया.
- - एक हेलीपैड व हेलीकॉप्टर खड़े करने के लिए दो हैंगर बने.
- - 19 लाख रुपये का बजट पर्यटन विभाग ने फिर मांगा है.
- - एडीए और यूपीडा ने हेलीपोर्ट बनाने के लिए जमीन दी है.
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